Sunday, 28 March 2010
कुरुक्षेत्र से लौट कर
दिल्ली से महज़ १६० किलो मीटर दूर स्थित कुरुक्षेत्र जाना यूँ तो कई बार हुआ है मग़र बतौर ब्लौगर वहां जाने का ये पहला मौक़ा था । जाना भी किसी काम-काज के सिलसिले में था मग़र सोचा जब आ ही गया हूँ तो क्यों न कुछ तस्वीरें आपके लिए ले चलूँ सो थानेसर (स्थानेश्वर ) के एक पुराने अंग्रेज़ी शिलालेख , ब्रह्म सरोवर, कुरुक्षेत्र पनोरमा और विज्ञान संग्रहालय में कुछ फोटो लिए । देखें , और बताएं कि आपके मन में कुरुक्षेत्र की जो तस्वीर थी उसके कितना नज़दीक हैं ये । जगह बहुत साफ़ -सुथरी , सलीके वाली है और देखने को इन स्थलों के अलावा भी बहुत-बहुत कुछ है यहाँ जैसे श्री
कृष्ण संग्रहालय , सन्निहित सरोवर, जयराम विद्यापीठ में उड़ीसा का मुंह बोलता मूर्ति-शिल्प, भद्रकाली और थानेसर के अत्यंत प्राचीन मंदिर, सम्राट हर्षवर्धन का टीला , जाट धर्मशाला और मकबरा शेख चेहली का मग़र उसका ज़िक्र फिर कभी , अथ फोटू दर्शनम !
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इस बहाने हमने भी देख लिया कुरुक्षेत्र।
ReplyDeleteवाह जी फ़ोटो तो बहुत अच्छॆ लगे, मजा आ गया, और व्यूह रचना तो वाकई अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं युद्ध क्षेत्र में।
ReplyDeleteI have never been to Kurukshetra, so I saw some of it through your eyes. The first photo about the "Brahmens of Thauneser" has the old colonial flavour like "Cawnpore". By the way, is Sheikh Chehli(in the last photo), the same who was famous for spinning yarns ? I used to hear his anecdotes from my mother when I was a child.
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर जगह दिख रही है, मुनीष भाई. आभार तस्वीरों के लिए.
ReplyDeleteअच्छी तस्वीरें ।
ReplyDeleteप्रिय सुशील, संजय, मनीष , विवेक , समीर जी और हामिद जी जब मैं अपनी कई दफा देखी हुई जगहों के फोटो ले रहा होता हूँ तो लगता है ये कर क्या रहा हूँ मैं और क्यों कर रहा हूँ मगर आपकी टिप्पणी पाकर लगता है कि मेरा कैमरा ले जाना बेकार नहीं गया .
ReplyDelete@ प्रोफ़ेसर हामिद- ये मकबरा उस शेख चिल्ली का न होकर सूफी संत शेख चेहली का बताया जाता है मगर इस बारे में शोध की गुंजाइश है और पुरानी अंग्रेज़ी का ये ज़ायका पुरानी शराब जैसा ही है जिसमें आज का अम्बाला ' Umballa' और कानपुर Cawnpore हुआ करता था .
Thanks for sharing moments of discovery and joy Chandan !
ReplyDeleteसच्ची बात है।
ReplyDeleteकुरुक्षेत्र दर्शन हमने भी कर लिया।
सरोवर और फूलों को देखकर यह समझना मुश्किल है कि आखिर यह जगह युद्ध के लिए क्यों चुनी गई होगी!
ReplyDeleteShaandaar photo darshnam...
ReplyDeletemeaningful fotu-grafi,जबर्दस्त सन्कलन/
ReplyDeleteफ़ूलो के तो फ़ोटु के तो आप expert हो भाई साब /
मुझे सब से अछ्छा जो लगा वो रेअर-व्यु मिरर वाला है,क्योन्कि वाकई मे subjects/objects in mirror are closer (to heart) than they appear !!
और अन्त मे अप्नी १-१/२(देड) अकल का प्रदर्शन:-order of fotoos ,should also be worked out for sometimes even the order or the flow of pictures create a story(of sum/some type).
हाई-वे नंबर 1.....:-) good one.
ReplyDeleteDear Ajit, K.R., Vineeta and abcd ,
ReplyDeletePls. do go there as and when possible. It is really a place worth visiting.
ur camera quality is too gud n ur photography too... bahut masti ki lagta hai...
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