Sunday 22 April 2012

जावेद अख़्तर की कविताई और नारंगी शर्ट वाले शख़्स का बयान

जी हाँ जज साब , दरअस्ल मुझे यूँ वक़्त बर्बाद करना बेहद पसन्द है और मैं अपना गुनाह क़ुबूल करता हूँ ।















          हिल स्टेशन

घुल रहा है सारा मंज़र शाम धुंधली हो गई 
चाँदनी की चादर ओढ़े हर पहाड़ी सो गई
वादियों में पेड़ हैं अब नील-गूँ परछाइयाँ
उठ रहा है कोहरा जैसे चाँदनी का हो धुँआं
चाँद पिघला तो चट्टानें भी मुलायम हो गईँ
रात की साँसे जो महकीं और मद्धम हो गईं
नर्म है जितनी हवा, उतनी फ़िज़ा ख़ामोश है
टहनियों पर ओस पी के हर कली बेहोश है
मोड़ पर करवट लिए अब ऊँघते हैं रास्ते
दूर कोई गा रहा है जाने किसके वास्ते
ये सुकूँ में खोई वादी नूर की जागीर है
दूधिया परदे के पीछे सुरमई तस्वीर है
धुल गई है रूह लेकिन दिल को ये अहसास है,
ये सुकूँ बस चन्द लम्हों को ही मेरे पास है,
फ़ासलों की गर्द में ये सादगी खो जाएगी,
शहर जाकर ज़िंदगी फिर शहर की हो जाएगी ।
                                   ---जावेद अख़्तर 
























>

25 comments:

  1. इस संदर्भ में आपने जावेद अख्तर की लाइनें बहुत ही प्रासंगिक ढंग से कोट की हैं . इस जगह के बारे में और उनके बारे में भी कुछ बताइये जो फ़ोटो खींच रहे/ही हैं.

    ReplyDelete
  2. जी हाँ उसका खुलासा मैं अगली पोस्ट में करूँगा ।

    ReplyDelete
  3. आनंद आ गया, आभार!

    ReplyDelete
  4. जी शर्मा जी ये हिल स्टेशन बिल्कुल तोक्यो में है मेरे घर से मात्र एक घंटे पर ।

    ReplyDelete
  5. वाह, तस्वीरें तो एकदम दिलकश हैं। विशेषकर वो बैंगनी फूलों वाला पेड़.....क्या खूबसूरत माहौल है। मस्त !

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हाँ बहुत ही प्यारी जगह है और वो भी तोक्यो में ही ।

      Delete
  6. मोबाइल पर साफ पता नहीं चल रहा। शायद पेड़ के सफेद पत्ते हैं कुछ हल्की बैंगनी रंगत लिये ।

    ReplyDelete
  7. जी बैंगनी भी हैं और वो हल्के गुलाबी भी हैं जिन्हें साकुरा यानि चैरी के पेड़ कहते हैं जिन पर यहाँ चैरी नहीं लगती लेकिन वो यहाँ की जान हैं ।

    ReplyDelete
  8. कम नहीं जलवागरी में तेरे कूचे से बहिश्त
    यही नक्शा है , वाले इस क़दर आबाद नहीं

    ReplyDelete
    Replies
    1. क्या कह गए शरद भाई । मतलब स्वर्ग से तुलना कर दी आपने तो हमारे कूचे की जो जाने कित्ते दिन का है ।

      Delete
  9. Beautiful place with the orange shirt providing a good contrast.

    ReplyDelete
  10. In fact this place gets fully orange and red in autumn and people come here to see Momiji means Chinar turning dahakte chinar !

    ReplyDelete
  11. Have a look again at my latest post; have added a nazm by Makhdoom which I think you'll like.

    ReplyDelete
  12. Shayad kuch aanch dil tak bhi pahonch jaaye.

    ReplyDelete
  13. जी वो तो पतझ़़ड़ में होगी । आजकल बसंत है । बहरहाल, आपने जो कलाम सुनवाया वो तो वाकई लाजवाब कर गया ।

    ReplyDelete
  14. तो आप ताकाओ पर्वत हो ही आए । साथ में शाकाहारी गोमा दान्गो
    भी मिल गया । बस मौसम कुछ साथ देता तो शायद......
    Hope you enjoyed !!!!

    Viola

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हाँ मौसम कुछ मेहरबान होता तो वहाँ रुकने का ही इरादा था । खैर..अच्छा रहा फिर भी ।

      Delete
  15. mauj hai saab............mauj hai....

    in haseen waadiyon main bina daaru-shaaru ke ......

    kuch samjh nahi aaya sarkaar.......

    ReplyDelete
    Replies
    1. कभी यूँ भी तो हो ...

      Delete
    2. शुक्रिया पारुल जी इस तस्वीरों के सफ़र के सफ़र में शरीक़ होने के लिए ।

      Delete
  16. ब्लाग पर आना सार्थक हुआ । काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति । बहुत सुन्दर बहुत खूब...बेहतरीन प्रस्‍तुति
    हम आपका स्वागत करते है..vpsrajput.in..
    क्रांतिवीर क्यों पथ में सोया?

    ReplyDelete