जी हाँ जज साब , दरअस्ल मुझे यूँ वक़्त बर्बाद करना बेहद पसन्द है और मैं अपना गुनाह क़ुबूल करता हूँ ।
हिल स्टेशन
घुल रहा है सारा मंज़र शाम धुंधली हो गई
चाँदनी की चादर ओढ़े हर पहाड़ी सो गई
वादियों में पेड़ हैं अब नील-गूँ परछाइयाँ
उठ रहा है कोहरा जैसे चाँदनी का हो धुँआं
चाँद पिघला तो चट्टानें भी मुलायम हो गईँ
रात की साँसे जो महकीं और मद्धम हो गईं
नर्म है जितनी हवा, उतनी फ़िज़ा ख़ामोश है
टहनियों पर ओस पी के हर कली बेहोश है
मोड़ पर करवट लिए अब ऊँघते हैं रास्ते
दूर कोई गा रहा है जाने किसके वास्ते
ये सुकूँ में खोई वादी नूर की जागीर है
दूधिया परदे के पीछे सुरमई तस्वीर है
धुल गई है रूह लेकिन दिल को ये अहसास है,
ये सुकूँ बस चन्द लम्हों को ही मेरे पास है,
फ़ासलों की गर्द में ये सादगी खो जाएगी,
शहर जाकर ज़िंदगी फिर शहर की हो जाएगी ।
---जावेद अख़्तर
हिल स्टेशन
घुल रहा है सारा मंज़र शाम धुंधली हो गई
चाँदनी की चादर ओढ़े हर पहाड़ी सो गई
वादियों में पेड़ हैं अब नील-गूँ परछाइयाँ
उठ रहा है कोहरा जैसे चाँदनी का हो धुँआं
चाँद पिघला तो चट्टानें भी मुलायम हो गईँ
रात की साँसे जो महकीं और मद्धम हो गईं
नर्म है जितनी हवा, उतनी फ़िज़ा ख़ामोश है
टहनियों पर ओस पी के हर कली बेहोश है
मोड़ पर करवट लिए अब ऊँघते हैं रास्ते
दूर कोई गा रहा है जाने किसके वास्ते
ये सुकूँ में खोई वादी नूर की जागीर है
दूधिया परदे के पीछे सुरमई तस्वीर है
धुल गई है रूह लेकिन दिल को ये अहसास है,
ये सुकूँ बस चन्द लम्हों को ही मेरे पास है,
फ़ासलों की गर्द में ये सादगी खो जाएगी,
शहर जाकर ज़िंदगी फिर शहर की हो जाएगी ।
---जावेद अख़्तर
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इस संदर्भ में आपने जावेद अख्तर की लाइनें बहुत ही प्रासंगिक ढंग से कोट की हैं . इस जगह के बारे में और उनके बारे में भी कुछ बताइये जो फ़ोटो खींच रहे/ही हैं.
ReplyDeleteजी हाँ उसका खुलासा मैं अगली पोस्ट में करूँगा ।
ReplyDeleteआनंद आ गया, आभार!
ReplyDeleteजी शर्मा जी ये हिल स्टेशन बिल्कुल तोक्यो में है मेरे घर से मात्र एक घंटे पर ।
ReplyDeleteवाह, तस्वीरें तो एकदम दिलकश हैं। विशेषकर वो बैंगनी फूलों वाला पेड़.....क्या खूबसूरत माहौल है। मस्त !
ReplyDeleteजी हाँ बहुत ही प्यारी जगह है और वो भी तोक्यो में ही ।
Deleteमोबाइल पर साफ पता नहीं चल रहा। शायद पेड़ के सफेद पत्ते हैं कुछ हल्की बैंगनी रंगत लिये ।
ReplyDeleteजी बैंगनी भी हैं और वो हल्के गुलाबी भी हैं जिन्हें साकुरा यानि चैरी के पेड़ कहते हैं जिन पर यहाँ चैरी नहीं लगती लेकिन वो यहाँ की जान हैं ।
ReplyDeleteकम नहीं जलवागरी में तेरे कूचे से बहिश्त
ReplyDeleteयही नक्शा है , वाले इस क़दर आबाद नहीं
क्या कह गए शरद भाई । मतलब स्वर्ग से तुलना कर दी आपने तो हमारे कूचे की जो जाने कित्ते दिन का है ।
DeleteBeautiful place with the orange shirt providing a good contrast.
ReplyDeleteIn fact this place gets fully orange and red in autumn and people come here to see Momiji means Chinar turning dahakte chinar !
ReplyDeleteHave a look again at my latest post; have added a nazm by Makhdoom which I think you'll like.
ReplyDeleteSure sir i will.
ReplyDeleteShayad kuch aanch dil tak bhi pahonch jaaye.
ReplyDeletein dehekte chinar ki hi sahi.
ReplyDeleteजी वो तो पतझ़़ड़ में होगी । आजकल बसंत है । बहरहाल, आपने जो कलाम सुनवाया वो तो वाकई लाजवाब कर गया ।
ReplyDeleteतो आप ताकाओ पर्वत हो ही आए । साथ में शाकाहारी गोमा दान्गो
ReplyDeleteभी मिल गया । बस मौसम कुछ साथ देता तो शायद......
Hope you enjoyed !!!!
Viola
जी हाँ मौसम कुछ मेहरबान होता तो वहाँ रुकने का ही इरादा था । खैर..अच्छा रहा फिर भी ।
DeleteWoW !!! Lovely Pictures...
ReplyDeletemauj hai saab............mauj hai....
ReplyDeletein haseen waadiyon main bina daaru-shaaru ke ......
kuch samjh nahi aaya sarkaar.......
कभी यूँ भी तो हो ...
Deletebehad khuubsurat chitr
Deleteशुक्रिया पारुल जी इस तस्वीरों के सफ़र के सफ़र में शरीक़ होने के लिए ।
Deleteब्लाग पर आना सार्थक हुआ । काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति । बहुत सुन्दर बहुत खूब...बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteहम आपका स्वागत करते है..vpsrajput.in..
क्रांतिवीर क्यों पथ में सोया?