उन्नीस मार्च, 2012
जापान घर है 108 सक्रिय ज्वालामुखियों का जिनमें से तीस पर पल-पल निगाह रखी जाती है और उनकी हर धड़कन रेकॉर्ड होती रहती है ताकि समय रहते फटने से पहले ही चेतावनी दी जा सके । इन्हीं में से एक माउंट मिहारा के घर ओशिमा में बैठा हूँ ।कल दोपहर की रिज़र्वेशन कन्फ़र्म हो गई है । आज जीभर कर देख लेना चाहता हूँ इस विचित्र लोक को । प्रशांत महासागर में स्थित ये द्वीप कहने को तोक्यो प्रिफ़ेक्चर में आता है लेकिन है इक अजब-गजब दुनिया ! हरे-भरे सघन वन , फूलों से लदे-फदे उपवन, मज़बूत इन्फ़्रास्ट्रकचर , ज्वालामुखी के गिर्द फैला सहरा,जमा हुआ लावा, दिलकश समुद्र तट और ये सभी कुछ एक छोटे से टापू पर। टापू जो छः सौ मीटर समन्दर में डूबा हुआ है और घर है अनेकानेक जीव रूपों का । इतनी सी जगह में प्रकृति के इतने रंग-रूप मैंने आज तक नहीं देखे । आज मौसम साफ़ है इसलिए जापान की सबसे मशहूर पिक्चर पोस्ट कार्ड इमेज माउंट फ़ुजी के भी दर्शन हो रहे हैं जिन्हें जापानी आदर से कहते हैं फ़ुजी सान । इत्तेफ़ाक़ से ये भी एक सक्रिय ज्वालामुखी है --
भई मुनीश , कहते हैं एक चित्र कोटि-कोटि शब्दों की सामर्थ्य रखता है और तुम्हारे इन चित्रों को देख कर यही लगता है . और उस पर तुम्हारा वर्णन का अंदाज़ भी. उसकी तारीफ़ में ग़ालिब साहब के एक शेर का पहला मिसरा क्योंकि दूसरे मिसरे का यहाँ कोई तुक नहीं होगा .
ReplyDeleteज़िक्र उस परीवश का और फिर बयां अपना
शरद भाई ओशिमा यात्रा में सहभागी होने के लिए धन्यवाद । सच कहूँ अकेले मज़ा नहीं आता और इसीलिए तस्वीरें छापता हूँ कि दोस्तो के साथ मिलकर टीका-टिप्पणी की जाए । भारत में अकेले घूमना और बात है परदेस में काफ़ी बोझिल भी होता है लेकिन बस दिल बहलाने को ग़ालिब ख़्याल
ReplyDeleteअच्छा है ।
बहुत खूब मुनीश भाई,क्या नयनभिराम तसवीरें लगायी हैं आपने जिनसे जापान की खूबसूरती टपक-टपक पड़ती है | तस्वीरों के साथ में आपका दिलचस्प अंदाज़े-बयां लेख को उत्तमता प्रदान करता है |
ReplyDeleteबहुत खूब मुनीश भाई,क्या नयनभिराम तसवीरें लगायी हैं आपने जिनसे जापान की खूबसूरती टपक-टपक पड़ती है | तस्वीरों के साथ में आपका दिलचस्प अंदाज़े-बयां लेख को उत्तमता प्रदान करता है |
ReplyDeleteयहाँ चित्रों के माध्यम से हम जयपान द्वीप को जान पा रहे हैं . एक बात ध्यान देने योग्य यह है कि कोई जगह उसके निवासियों की वजह से भी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि संस्कृति तो मनुष्य से ही बनती है . इसलिए वहां के लोगों के विविध चित्र भी आप लगाते रहें तो आनंद वर्धन कुछ और ही होता रहेगा .
ReplyDelete....aur,logon ke sath-sath apne chitr bhi zaroor lagate rahein.Yun to har tarah ke rochak chitr aap hum tak pahuncha hi rahe hain.
Deleteठीक है शरद भाई अगली ही पोस्ट में लीजिए ।
DeleteBahut acchi tasveerein, khaas kar kachwon ki aur mod mudti do mohtarmaon ki; gaana yaad aa gaya, 'us mod se aate hain, kuch sust kadam raste...'.
ReplyDeleteकुछ तेज़ कदम राहें..पत्थर की हवेली में शीशों के घरौंदे से तिनकों के नशेमन तक इस मोड़ से जाते हैं ।
Deleteलाजवाब पोस्ट है मुनीश भाई! खूबसूरत चित्र, सुन्दर विडियो और कर्णप्रिय स्वर! ये धारीदार दुम वाले पशु का नाम क्या है?
ReplyDeleteजी अनुराग भाई लैमूर नामक जीव हैं ये । टापू पे आने का शुक्रिया ।
DeleteBahut hi pyaari jagah aur aapne jagah ka bahut hi khhobsurta varran kiya hi. Lagta hi sach-much Oshima boola raha hi, ab to jaana hi parega.
ReplyDeleteKamayani
Baap re lagta hi jaise ki lava ne pura ek dweep hi bana diya ho. Bahut hi adbhut jagah hi, prakriti ki sundarta aur kah sakte hi prakriti ka prakop ki jab jwalamukhi phutta hoga to kitna bhayanak hota hoga. Anyway, very beautiful place !
ReplyDeleteधन्यवाद कामायनी जी । आप अवश्य वहाँ जाएँ यूरोप से लौट कर ।
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