Friday, 29 October 2010
पहाड़ संबंधी कुछ फुटकर , आम-फहम बातें :(२)
पहाड़ संबंधी आम बातों का सिलसिला आगे ले जाते हुए कांव -कांव पब्लिकेशन लिमिटेड के मालिक ब्लौगर 'अपूर्ण' ने अपनी टिप्पणियों के ज़रिये उनमें इज़ाफा किया है --
1:युवक काम की तलाश में शहरों का रूख करते हैं , और घर पर रहते हैं माँ-बाप, पत्नी , बच्चे | पहाड़ों में बूढ़े, बच्चों और महिलाओं का प्रतिशत युवाओं से कहीं ज्यादा है | एक कहावत , पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के ही काम नहीं आती |
2:आज , पहाड़ी अपनी ही जमीन पर बने होटलों में बैरों का काम करता है | पहले कभी, पहाड़ियों को हमेशा फौज का लोलीपोप चूसने को दिया गया, गोया वे और कुछ नहीं कर सकते हों |
3:हम ११ चचेरे भाइयों में से २ कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं | एक पंडिताई का पुश्तैनी राग अलाप रहा है | बाकी ८ या तो होटल में काम करते हैं , या सपना पाल रहे हैं | ये पहाड़ के हर घर की कहानी है |
पहाड़ संबंधी मेरा ज्ञान सिर्फ एक यात्री जितना है सो उनकी इन बातों को आपसे साझा करना बनता था । यदि पहाड़ संबंधी कुछ और बातें आप यहाँ बांटना चाहें तो स्वागत है ।
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मुनीश जी, सर्वप्रथम धन्यवाद कि आपने मेरी टिप्पणी को महत्व दिया | अपनी भाषा के रूखेपन के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | बस ऐसे ही , जब छोटा था तो घर में कभी कोई पसंद नहीं आया| किशोरावस्था में अपने गाँव , अपने कुल , अपने अपनों से नफरत सी होने लगी | धीरे धीरे मुहावरा भी गढ़ना शुरू किया कि पहाड़ी लोग तब तक ही भोले होते हैं जब तक कि ये आपको चू*** ना बना दें | आज जिन लोगों से रोज़ मुलाक़ात होती है , समझ गया हूँ कि पहाड़ी इतने बुरे नहीं थे | काश रीवाइंड का बटन होता तो ...
ReplyDeleteभाई मुनीश जी, हम तो एक बात जानते हैं पहाड़ी लोगों के बारे में.......
ReplyDeleteसूरज अस्त,
पहाड मस्त..
दारू.......
खूब पीते हैं... यहाँ दिल्ली में मेरे कई पहाड़ी मित्र हैं...... कुछ तो परम मित्र हैं.
श्रद्धेय बाबा एवम प्यारे अपूर्ण आपकी टिप्पणियों ने मुझे एक नई अंतर्दृष्टि दी है . धन्यवाद आप दोनों का .
ReplyDeletevery true post...
ReplyDeleteDeepak Baba ji : Pahariyo ke baare mai yadi aapka gyan sirf itna hi hai to behad adhura gyan hai...
तो इस अधूरे ज्ञान को पूरा करो विनी चूंकि टिपण्णी कर्ताओं में एक स्वयं को अपूर्ण कहता है और दूजा निस्स्वार्थ बाबा ठहरा !
ReplyDeleteMunish apki blog post completely kafi kuchh kahati hai...so no need to explain myself...
ReplyDeleteमुनीश जी, कम से कम आज के माहौल में बाबा के आगे श्रधेय तो मत लगाइए......
ReplyDelete@विनीता जी, लगता है मेरी टीप से आपको दुःख पहुंचा है. पर मेरे को यही लगता है और मेरे मित्र मंडल में यही कथन प्रसिद्ध है....
और बहुत सी बातें हो सकते है जो पोस्ट के लेखक ने गिनवाईं है और अपूर्ण ने जिसे पूर्ण किया है.
@दीपक जी,
ReplyDeleteआपका कथन बिलकुल सही है|
@विनीता जी,
हमें थोड़ा सहनशील होना चाहिए| वरना एक किवी रिपोर्टर के शीला दीक्षित जी के नाम पर किया गए मजाक को देश की सभ्यता और संस्कृति पर हमला, रेसिज़्म बताने वाले हमें हमेशा भड़काते रहेंगे|
इस पोस्ट के सन्दर्भ में एक बात और हो सकती है जिसपे हम पहाड़ियों को गर्व हो, कि पहाड़ हमेशा से जनआन्दोलन की भूमि रही है| कुछ एक घटनाओं को छोड़कर हमने विरोध प्रदर्शन के लिए हिंसा का सहारा कभी नहीं लिया|
Deepak ji : apka dusra Comment aaj hi dekha...mujhe apki baat se bura nahi laga...bas maine itna hi kahna chaha tha ki yadi aap PAHARIYO ke baare mai matra itna hi jante hai to thora gyan badha lijiye...bura manne wali baat to thi hi nahi...per yadi apko bura lagi meri baat to sorry...
ReplyDeletenothing else...