Wednesday, 7 October 2009
दिल्ली-- यमुनोत्री मोटर साइकिल अभियान --(२)
तीन सौ किलोमीटर से कुछ ऊपर का सफर तय हो चुका था, शाम घिरने लगी थी और हड्डियां आराम मांग रही थीं मगर डाक-पत्थर से ठीक पहले आसन- बराज के नज़ारे ने सारी थकान धो दी। पर्यटक बिल्कुल न थे और इक्का-दुक्का कपल्स झाडियों में इश्क फरमा रहे थे , एक-आध को छोड़ कर बोट वाले भी मक्खियाँ मारने को बैठे थे मगर मक्खियाँ भी तो तब आयें जब पर्यटक आकर कुछ गंद मचाएं ! हमने चाय आर्डर की जो हमें बड़ी इज्ज़त से पेश की
गई । हम हैरान थे चूंकि हमारा हुलिया चिकने ,इज़्ज़त्दार टूरिस्टों से बिल्कुल मेल नहीं खा रहा था और हम कार वाले भी न थे जो बैरे टिप की उम्मीद रखें । दरअस्ल, गढ़वाल मंडल विकास निगम के इस सुंदर मगर विज्ञापन के अभाव में उपेक्षित स्थल पर दिल्ली नम्बर के बाइकर टूरिस्टों का आगमन एक ऐसी घटना थी जो रोज़-रोज़ नहीं होती और हम इसका पूरा लुत्फ़ ले रहे थे । सोचा यहीं रुक लें । ११० रुपये प्रति बेड की दर वाला कमरा भी बिल्कुल साफ़-सुथरा और टिचन टाइप का था मगर नहीं साहब हमें तो डाक -पत्थर जाना था ।
डाक-पत्थर .........कहते हैं पहले यहाँ बस दो ही चीज़ें थीं ढ़ाक
के पौधे और नदी के गोल -गोल पत्थर सो 'ढ़ाक-पत्थर' जो फ़िर बन गया 'डाक-पत्थर' । ये तब की बात है जब यहाँ बिजली बननी शुरू न हुई थी । यमुना और टौंस यहाँ आकर मिलती हैं और बिजली विभाग की एक कालौनी बनी हुई है । आपके साथ-साथ चलती है एक नहर जो आपको एक विशाल जलाशय की ओर ले जाती है । हवाखोरी का ऐसा लुत्फ़ कहीं और नहीं देखा । पहले भी कई बार यहाँ आना हुआ है और हर बार इसे ऐसा ही पाया ...शांत ...स्वच्छ , निर्मल ! नहर के किनारे-किनारे चले जाइए तो गढ़वाल मंडल विकास निगम वालों का एक और रेस्ट हाउस आपका इंतज़ार करता मिलेगा । हमने चौदह बेड वाली 'डोर-मटरी' में दो बेड कब्ज़ा लिए । दर वही ११० रुपैय्ये प्रति बेड , साफ़ -सुथरा टिचन हॉल ! दिल ने कहा ब्लौग -कांफ्रेंस के लिए दिल्ली के इतने पास कोई और जगह न तो बनी है और न बनेगी कभी .....मगर ऐसी जगहों का ज़ियादा प्रचार ठीक नहीं ये दिमाग ने कहा और मैं अब भी पसोपेश में हूँ की किसकी मानूं ? बहरहाल, आप तस्वीरें मुलाहिज़ा फरमाइए ! See video also !
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अच्छा लगा आपका यात्रा पढ़कर
ReplyDeleteये तो जन्नत है मुनीश भाई।
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ReplyDeletebehtreen video...
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ReplyDelete@Shefali-- This is just a humble beer bottle Shefali ji . It is not sharaab actually , but i can understand what u mean. u r right.
ReplyDeletePictures Bahut achhi hai...aur vivran bhi behtreen hai...
ReplyDeleteअन्दाजें बयां और विडियो दोनों खूबसूरत!
ReplyDeleteaji saahab ramram
ReplyDeletehamne video to nahin dekhi, haan botal jarur dekh li hain. pahle chakrata wale tour me bhi aapne is jagah ke aas-paas ke bare me bataya tha,
ab lagta hai ki mujhe to wahan jane ke koi faayda hai nahin kyonki ab ye jagah mere liye nayi nahin rahi.
lekin jaaunga jarur.....
मस्त विडियो और मनोहारी तस्वीरें...बोतल-खाली??? :)
ReplyDeleteBeautiful place, more so after Kingfisher. Nice photographs.
ReplyDeleteखाली दिल
ReplyDeleteखाली हालात में ये खाली बोतल