Tuesday, 6 October 2009
दिल्ली-यमुनोत्री मोटर साइकिल अभियान
हर काम को करने के कम-स -कम दो तरीके होते पाये गए हैं । दिल्ली से यमुनोत्री जाने के भी दो हैं --एक वाया हरिद्वार , दूसरा कुरुक्षेत्र का प्रवेश द्वार । हमने दूसरा चुना । कुरुक्षेत्र में प्रवेश नहीं करना है और इस विशाल नगर द्वार के ठीक सामने याने अपने दायें हाथ जाती रोड पर मुड जाना है और कुछ ही देर में आप हरियाणा के ज़िला यमुना नगर में होते हैं ।हम भी थे ; ये ३० सितम्बर २००९ की बात है साहब ! अद्भुत है यमुनानगर भी । यहाँ से आप आराम से यू.पी, हिमाचल , चंडीगढ़ या उत्तराखंड निकल सकते हैं । हमें उत्तराखंड
जाना था सो कलेसर रोड पकड़ी । कलेसर
'कालेश्वर' का अपभ्रंश है । ये क्षेत्र राष्ट्रीय पार्क घोषित है और तेंदुओं या कहें लेपर्ड्स के लिए जाना जाता है । बीच से गुज़रती सड़क बहुत बढ़िया है ताकि आप जंगल में रुके बिना निकल जाएँ और जंगली जीव आपसे डरें नहीं । कालेश्वर महादेव का एक मन्दिर भी यहाँ है । यात्रा की सफलता के लिए मत्था टेका गया और हम आगे निकल गए । हम यानी मैं, संदीप मल्कानिया और यामाहा । संदीप IIMC के ढेंकनाल (उडीसा) परिसर से अंग्रेज़ी -पत्रकारिता का कोर्स करके लौटा है, यामाहा तो अपनी मिसाल आप है साहब हम क्या बोलें । बहरहाल, संदीप विडियो खेंच लेता है और मैं बाइक और इसी वजह से हमने अपनी पहली मुलाक़ात के बाद यात्रा का फ़ैसला लेने में देर नहीं लगाई । बात की बात में हम हिमाचल प्रदेश के ज़िला सिरमौर में खड़े थे । यहाँ दशम गुरु गोबिंद सिंह काफ़ी समय रहे और उनके अस्त्र-शस्त्र यहाँ बने गुरु द्वारे 'पांवटा -साहिब' में आज भी देखे जा सकते हैं । कहते हैं वो साधना और शिष्यों को अस्त्र-प्रशिक्षण के लिए एक आदर्श स्थल तलाश रहे थे । उनके घोड़े ने यहाँ पहुँच कर अपना पाँव जमा लिया तो नाम पड़ा पांवटा साहिब । यहाँ यमुना पर एक विशाल पुल बना है जिसे पार करते ही आप उत्तराखंड में होते हैं । चाहे तो विकास नगर, देहरादून जाइए या फ़िर डाक -पत्थर । हमें डाक पत्थर जाना था , डाक-बंगले में रात काटनी थी .............(क्रमशः)
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रोचक समाचार।
ReplyDelete----------
बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?
shandar .par ye aakhri chitr lagta hai chalti motarcycle se liya gaya hai .hazoor aise rasto pe ruk ke snaps lijiye.
ReplyDeleteshandaar pics...
ReplyDeletePic no. 4 to Aslai Hindustaan ki asli tasveer ko dikha raha hai...
ReplyDelete@ Dr.Anurag-- U r right sir , but camera was being handled by the back seat rider i.e. Sandeep . He made several videos and took stills too while i drove the bike.
ReplyDelete@ विनीता जी,
ReplyDeleteचित्र नं. ४ यानी वन विभाग की मनाही के बावजूद वाहन ले जा रहे हैं. ले ही नहीं जा रहे बल्कि शान से फोटो भी खींच रहे हैं.
बिलकुल सही, असली भारत की असली तस्वीर.
जीवन चलने का नाम .. बढ़िया यात्रा
ReplyDeleteतस्वीरें बहुत अच्छी हैं , ऐसे ही यात्राएं करते रहिये ...
ReplyDelete@Vineeta & Neeraj-- This pic. was taken out side the national park .
ReplyDeleteWo kanya nadi ke sookhe paat ke beech o beech kya kar rahi hai? Wo chitra mujhe behtareen laga.
ReplyDelete@Manish --Vo koi Sanyasi hai maharaj ,shanti doondh raha hai shayad !
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