Monday, 5 October 2009
यमुनोत्री मार्ग का वह प्रबल- प्रत्युत्पन्न मती खच्चर वाला , मेरी फिट-फिटिया और दीगर अहवाल
यमुनोत्री से वापस दिल्ली लौट आया हूँ । ब-रास्ते हरियाणा -हिमाचल कुल ९०० किलोमीटर के इस सफर के कई किस्से हैं , दिखलाने को फोटू और कुछेक विडियो-शिडियो भी हैं मगर पहले ज़िक्र उस दानिश मंद खच्चर वाहे का जो न होता तो क्या होता ? मकाम बड़कोट से निकले कोई घंटा भर हो चला था मने जानकी- चट्टी पहुँचने में कोई डेढ़ घंटा बाकी था । यमुनोत्री की पैदल चढाई जानकी -चट्टी से ही शुरू होती है ।सो, मोटर साईकिल एक पुल के किनारे लगा दी गई और संदीप फोटू उतारने लगा । इस यात्रा में ये ज़िम्मेदारी उसी की थी और गाड़ी खेंचने की मेरी । तरह-तरह के एंगल-शंगल लेते लिवाते घंटा भर बीत गया । चार-छेः सिगरेट फूँके गए । फ़िर बतौर 'ट्राई- पौड' बाइक का इस्तेमाल करने के चक्कर में वो खड़ी-खड़ी एक तरफ़ को लेट गयी । उठा कर स्टार्ट करने की लाख कोशिश की मगर सब बेकार । ऐसा ईंधन के ओवर फ्लो हो जाने के चलते अक्सर हो जाता है और कुछ देर इंतज़ार के बाद मामला दुरुस्त भी हो जाता है । सो चिंता कोई नहीं लग रही थी , इंतज़ार के चक्कर में एक घंटा और निकल गया । ऑफ़ सीज़न की वजह से आवा -जाही पहले से कम थी जो शाम ढलते थम गयी थी । पुल पर दौड़ा कर स्टार्ट करने के चक्कर में थक कर बुरा हाल हो चला था मगर बाइक स्टार्ट न होती थी । आस पास कोई आबादी भी नज़र न आती थी सो अब चिंता गहराने लगी । कबाड़खाने के प्रोप्राइटर भाई अशोक पांडे ने अपने एक मित्र का नम्बर भी दिया था मग़र वोडा-फ़ोन का वहां कतई नेटवर्क न था , सो बात नहीं हो सकती थी . सर्दी बढ़ने लगी थी और भूख भी सता रही थी । आख़िर वो वहां आया । वो यानी एक खच्चर वाला । कहने लगा ,'' बौजी ये फट-फिटिया ऐसे न मानती, इसको धक्का मार के ऊपर पहाड़ी पे ले जाओ और बैठ के हौले -हौले नीचे आ जाओ, गीयर डालो चालू हो जायेगी '' , बात मामूली थी मगर हमारे ध्यान न आयी ! वैसा ही किया और बाइक' इश्ताट ' ! जान में जान आई चूंकि सुना था की आगे सड़क कच्ची और पथरीली है जिसे सिर्फ़ उजाला रहते ही पार किया जा सकता है , नज़ारा यहाँ लगाये विडियो में दिख जाएगा । अगले दिन वो नेक खच्चर वाला फ़िर दिखाई दिया और इस बार हमने उसका फोटू उतार लिया आप भी देख लो और ज़ोर से बोलो 'जय जमना मैया की '।
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यामाहा का जवाब नही।मुझे आज भी अपनी आर एक्स 100 या्।द आती है।मस्त फ़ोटो,मस्त यात्रा वृतांत
ReplyDeleteये फूल, पहाड़, बादल और आसमान! इस फोटू का तो पोस्टर निकलवाने जा रहा हूँ मैं!
ReplyDeletepictures are really WoW!!!
ReplyDeletelikhne ka andaaz to apka behtreen hai hi...
vedio abhi dekh nahi payi kuki net thora prov\blem kar raha hai isliye uske baare mai baad mai likhungi...
problem not prov\blem
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ReplyDeletevery adventurous! life is an endless & interesting journey and you are following it with true letters and spirit. thanks to share a good experience.
ReplyDeletewaiting eagerly for next part of this fantastic travalogue.
साथ में ब्लोग्वानी भी ...बहुत खूबसूरत तस्वीरें ....
ReplyDeleteयानी कि वो गढ़वाली भी मोटर साइकिल चलाना आपसे ज्यादा जानता था.
ReplyDeleteया फिर खच्चर वाला सिस्टम लागू किया.
बहुत खूबजी, पूरा वृत्तांत सुनाया जाए... हमहू टैली कर लें... :) वो इसलिए कि बस हम भी पिछले दिनों अचानक उठे और यमनोत्री का एक ड्राइव कर आए, आपके जितना एडवेंचरर तो नहीं रहा क्योंकि बाइक कि बजाए कार संप्रदाय ये यात्रा हुई पर ड्राईव में खूब मजा आया। हिमाचल की दिशा से गए और आए... रास्ता खूबसूरत है। खासकर बरकोट के बाद। कुछ तस्वीरें यहॉं डाली हैं Yamnotri
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ReplyDeleteलिंक में गलती के लिए खेद है। सही लिंक है http://www.facebook.com/album.php?aid=34980&id=1013663516&ref=nf
ReplyDelete@ All-- Chaloo hai kissa......aate rahiye .........
ReplyDeleteखुद खच्चर और बुद्धिजीवी भी ऐसे ही इस्टाट हुआ करे हैं। अगर टोपी हवा या हड़बड़ी से फूल कर एक तरफ टेढ़ी न हो जाती तो इस खच्चर वाले को फोटो के एतबार से पाब्लो नेरूदा होना था।
ReplyDeleteजै जमना मैया की! कॉमन सैंस नैवर फ़ेल्स!
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