चंडीगढ़सेकसौलीकेलिएनिकलातोरास्तेमेंचंडीमन्दिरछावनीकेदरवाज़ेपेलगाहिन्दीपखवाडेकाबैनरझूलतादीख गया जिसकेपीछेएक युद्धक- टैंकतनाखड़ाथा ! दिलनेकहादेशमेंहिन्दीअगरवाकईलानीहैतोटैंककेज़रियेहीलाईजासकतीहैवरनाहरसालयूँहीश्राद्ध- पक्षमेंहिन्दीदिवसमनतारहेगाऔरकुछहोना- हवानाहै नहीं ! कसौली पहुंचा तोसडकोंपेबादलथायानीकुदरतीनज़ारोंकीफोटोग्राफीकाचांसनहीं।बादलजबज़राछंटेतोएकछोटासाविडियोउतारलियाऔरकसौलीकीकुँएनुमापार्किंगमेंगाड़ीलगादी।सबसेपहलेजोइमारतध्यानखेंचतीहैवोहैचर्चऑफ़इंग्लैंडकीबहुतपुरानीइमारत ,जिसकारंगरोगनहालफिलहालहुआदिखताहै।बहरहाल , चर्चहैतोउसमेंप्रार्थनाऔरमोमबत्तियांभीहैंऔरसाथहीहैवोधूपघड़ीजोजानेकबसेआँगनमेंखड़ीहैजानेकिसघड़ीकेइंतज़ारमें।चर्चकेभीतरएकदीवारपेउनअंग्रेज़ोंकेनामहैंजोबीसवींसदीकेशुरूआतीदिनोंमेंकसौलीकोभीषणअग्नि - काण्डसेबचातेहुएमरेथे।कहतेहैंउन्हेंएककुत्ताबुलाकरलायाथा . उसवफादारकीएकमूर्तीआजभीशराबकीदुकानकेबाहरलगीहै।हरबारसोचाकिइसकीतस्वीरलेचलूँमगर...इसबारपायाकिमूर्तिकाचेहराखंडितहैसोक्याकियाजाएखैर !चर्चसेनिकलिएतोहरबारकीतरहवहीशर्माजीकाफोटोस्टूडियो।कसौलीजानाइसलिएभाताहैकिवहांलगतानहींकुछख़ासबदलाहै --हरबारवैसाहीधुला -धुलासासाफ़सुथरा ,अनुशासित।शर्माजीकास्टूडियोबहरहालअबपहलेसानहींरहा।पहलेलोगआतेथेतोयादगारफोटोखिंचवातेथे ,अबतोसबडिजीटलकैमरेलिएहुएहीयहाँआतेहैंसोधुलाईकाभीझंझटनहीं।मगरसनावरस्कूल , फौजीजलसोंऔरकुछब्याहशादियोंमेंअबभीउन्हेंहीयादकियाजाताहै।हालांकिनतोमैंसंजयदत्तकाफैन हूँऔरनहीमेनकागांधी,ओमरअब्दुल्लाह या पूजा बेदी और अपूर्व लाखिया का मगरजबभीकसौली जाताहूँतो इनकीऔरकुछहस्तियोंकीवोब्लैकएंडवाईटतस्वीरेंज़रूरदेखताहूँजोसनावरस्कूलकेपुरानेछात्रोंकेसाथदुकानमेंलगीहैं।एकअजबसीकशिशहैइनतस्वीरोंमें। खुशवंत सिंह अपना सारा लेखन कार्य यहीं आकर करते हैं अपने पुश्तैनी बंगले में .बहरहाल ,शर्माजीअबफोटोग्राफीकेअलावाखिलौनेऔरपरचूनकामालभीबेचने लगेहैं , कसौलीबदलेनबदलेवक़्तबदलरहाहै !........................
कसौली दोपहर एक बजे --१३ सितम्बर ०९ (विडियो )
क्या "फ़िल्म" वाले कैमरे भी हमारी स्म्रतियों में बचे रहेंगे, काली सफ़ेद तस्वीर तो बहुत दूर की ही कोई बात होती जा रही है। तकनीक के बदलाव कैसे एक दौर की बहुत उम्दा चीज को भी अप्रसांगिक बना दे रहे है।
पता नहीं आपने नोट किया या नहीं लेकिन कसौली के निचले वाले हिस्से में जिसे आप पुराना कसौली कह सकते हैं, हलवाइयों की कुछ पुरानी दुकाने हैं। उनके यहां पाव के बीच में रखकर गुलाब जामुन मिलता है। सामान ढोने वाले हम्माल, कुली इसे खूब आते हैं। एक चक्कर लगाकर आते हैं और एक पाव-गुलाब जामुन खाते हैं। इसमें काफी कैलोरीज़ होती हैं और हम्मालों को कैलोरीज़ की आवश्यकता होती है।
behtreen tasveren...apke likhne ka andaz unhe aur bhi achha bana deta hai...
@ Vijay saab - Film camera aaj bhi zinda hai...aur aane wale samay mai bhi unki prasangikta bani rahgi... B&W photography ka craze bhi abhi kam nahi hua hai...aisa mera manna hai...
मनीष जी, उस कुत्ते ने तो जीप के ब्रेक ही लगवा दिए थे. वैसे फोटो में पहाड़ के फोटो नहीं हैं, नहीं तो और भी ज्यादा मजा आ जाता. उस दिन जब आप चंडीगढ़ में थे और मेरी आपसे बात हुई थी तो आप कह रहे थे कि समझ नहीं आता कि कसौली जाऊं या रेणुका. तब मैंने कहा कि कसौली चले जाओ. जानते हैं क्यों कहा था???? क्योंकि निकट भविष्य में मेरा भी इरादा रेणुका जाने का है.
बढ़िया तस्वीरें..हिन्दी पखवाड़ा मनाते देख अच्छा लगा.
ReplyDeleteहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
क्या "फ़िल्म" वाले कैमरे भी हमारी स्म्रतियों में बचे रहेंगे, काली सफ़ेद तस्वीर तो बहुत दूर की ही कोई बात होती जा रही है। तकनीक के बदलाव कैसे एक दौर की बहुत उम्दा चीज को भी अप्रसांगिक बना दे रहे है।
ReplyDeleteआपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.
ReplyDeleteआपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
पता नहीं आपने नोट किया या नहीं लेकिन कसौली के निचले वाले हिस्से में जिसे आप पुराना कसौली कह सकते हैं, हलवाइयों की कुछ पुरानी दुकाने हैं। उनके यहां पाव के बीच में रखकर गुलाब जामुन मिलता है। सामान ढोने वाले हम्माल, कुली इसे खूब आते हैं। एक चक्कर लगाकर आते हैं और एक पाव-गुलाब जामुन खाते हैं। इसमें काफी कैलोरीज़ होती हैं और हम्मालों को कैलोरीज़ की आवश्यकता होती है।
ReplyDelete@ Anonymous -- I shall be thankful to u ,if u please reveal ur name . nice information indeed .
ReplyDeleteसचमुच हिंदी दिवस हिंदी का श्राद्ध बन चुका है और हिंदी के ठेकेदार श्राद्ध की खीर खानेवाले कव्वे और कुक्कुर.
ReplyDeleteससी कहा आपने रस्वीरें बहुत सुब्दर हैं आभार्
ReplyDeleteहमें भी कसौली बहुत पसंद आया था।
ReplyDeleteआपने कसौली के प्रसिद्ध पोस्ट बॉक्स की तस्वीर नहीं लगाई?
बेहतरीन तस्वीरें....उड़ते बादलों और मस्त मौज से अधलेटा कुत्ते वाला विडियो बहुत पसंद आया...
ReplyDeleteनीरज
behtreen tasveren...apke likhne ka andaz unhe aur bhi achha bana deta hai...
ReplyDelete@ Vijay saab - Film camera aaj bhi zinda hai...aur aane wale samay mai bhi unki prasangikta bani rahgi... B&W photography ka craze bhi abhi kam nahi hua hai...aisa mera manna hai...
मनीष जी,
ReplyDeleteउस कुत्ते ने तो जीप के ब्रेक ही लगवा दिए थे.
वैसे फोटो में पहाड़ के फोटो नहीं हैं, नहीं तो और भी ज्यादा मजा आ जाता.
उस दिन जब आप चंडीगढ़ में थे और मेरी आपसे बात हुई थी तो आप कह रहे थे कि समझ नहीं आता कि कसौली जाऊं या रेणुका. तब मैंने कहा कि कसौली चले जाओ. जानते हैं क्यों कहा था????
क्योंकि निकट भविष्य में मेरा भी इरादा रेणुका जाने का है.
Thnk you all dear friends .
ReplyDeletechaliye sharma ji ki dukan mein lagi in tasweeron ko aapki madad se yahin baithe baithe dekh liya. aabhar !
ReplyDeleteहमारे इलाक़े में आते हैं और घूमकर चले जाते हैं, वो भी बिना बताए, ये बात अच्छी नहीं है मुनीश जी।
ReplyDeletefir se kasauli chalne ka mann ho to after 19th march program banate hain pakka-2.. waiting 4 ur reply. tell-2
ReplyDeleteFouj me bhi tank, bandook ki aad me Hindi Pakhwada manaya jata ye dekhkar khushi hui.
ReplyDeleteAkhilesh