Monday, 14 September 2009
कसौली का पुराना गिरजा ,शर्मा जी और दीगर अहवाल
चंडीगढ़ से कसौली के लिए निकला तो रास्ते में चंडी मन्दिर छावनी के दरवाज़े पे लगा हिन्दी पखवाडे का बैनर झूलता दीख गया जिसके पीछे एक युद्धक- टैंक तना खड़ा था ! दिल ने कहा देश में हिन्दी अगर वाकई लानी है तो टैंक के ज़रिये ही लाई जा सकती है वरना हर साल यूँ ही श्राद्ध- पक्ष में हिन्दी दिवस मनता रहेगा और कुछ होना- हवाना है नहीं ! कसौली पहुंचा तो सडकों पे बादल था यानी कुदरती नज़ारों की फोटोग्राफी का चांस नहीं ।बादल जब ज़रा छंटे तो एक छोटा सा विडियो उतार लिया और कसौली की कुँए नुमा पार्किंग में गाड़ी लगा दी । सबसे पहले जो इमारत ध्यान खेंचती है वो है चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की बहुत पुरानी इमारत ,जिसका रंग रोगन हाल फिलहाल हुआ दिखता है । बहरहाल , चर्च है तो उसमें प्रार्थना और मोमबत्तियां भी हैं और साथ ही है वो धूप घड़ी जो जाने कब से आँगन में खड़ी है जाने किस घड़ी के इंतज़ार में ।चर्च के भीतर एक दीवार पे उन अंग्रेज़ों के नाम हैं जो बीसवीं सदी के शुरूआती दिनों में कसौली को भीषण अग्नि - काण्ड से बचाते हुए मरे थे । कहते हैं उन्हें एक कुत्ता बुला कर लाया था . उस वफादार की एक मूर्ती आज भी शराब की दुकान के बाहर लगी है। हर बार सोचा कि इसकी तस्वीर ले चलूँ मगर...इस बार पाया कि मूर्ति का चेहरा खंडित है सो क्या किया जाए खैर !चर्च से निकलिए तो हर बार की तरह वही शर्मा जी का फोटो स्टूडियो । कसौली जाना इसलिए भाता है कि वहां लगता नहीं कुछ ख़ास बदला है --हर बार वैसा ही धुला -धुला सा साफ़ सुथरा ,अनुशासित । शर्मा जी का स्टूडियो बहरहाल अब पहले सा नहीं रहा । पहले लोग आते थे तो यादगार फोटो खिंचवाते थे ,अब तो सब डिजीटल कैमरे लिए हुए ही यहाँ आते हैं सो धुलाई का भी झंझट नहीं । मगर सनावर स्कूल , फौजी जलसों और कुछ ब्याह शादियों में अब भी उन्हें ही याद किया जाता है । हालांकि न तो मैं संजय दत्त का फैन हूँ और न ही मेनका गांधी , ओमर अब्दुल्लाह या पूजा बेदी और अपूर्व लाखिया का मगर जब भी कसौली जाता हूँ तो इनकी और कुछ हस्तियों की वो ब्लैक एंड वाईट तस्वीरें ज़रूर देखता हूँ जो सनावर स्कूल के पुराने छात्रों के साथ दुकान में लगी हैं । एक अजब सी कशिश है इन तस्वीरों में । खुशवंत सिंह अपना सारा लेखन कार्य यहीं आकर करते हैं अपने पुश्तैनी बंगले में .बहरहाल ,शर्मा जी अब फोटोग्राफी के अलावा खिलौने और परचून का माल भी बेचने लगे हैं , कसौली बदले न बदले वक़्त बदल रहा है !........................
कसौली दोपहर एक बजे --१३ सितम्बर ०९ (विडियो )
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बढ़िया तस्वीरें..हिन्दी पखवाड़ा मनाते देख अच्छा लगा.
ReplyDeleteहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
क्या "फ़िल्म" वाले कैमरे भी हमारी स्म्रतियों में बचे रहेंगे, काली सफ़ेद तस्वीर तो बहुत दूर की ही कोई बात होती जा रही है। तकनीक के बदलाव कैसे एक दौर की बहुत उम्दा चीज को भी अप्रसांगिक बना दे रहे है।
ReplyDeleteआपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.
ReplyDeleteआपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
पता नहीं आपने नोट किया या नहीं लेकिन कसौली के निचले वाले हिस्से में जिसे आप पुराना कसौली कह सकते हैं, हलवाइयों की कुछ पुरानी दुकाने हैं। उनके यहां पाव के बीच में रखकर गुलाब जामुन मिलता है। सामान ढोने वाले हम्माल, कुली इसे खूब आते हैं। एक चक्कर लगाकर आते हैं और एक पाव-गुलाब जामुन खाते हैं। इसमें काफी कैलोरीज़ होती हैं और हम्मालों को कैलोरीज़ की आवश्यकता होती है।
ReplyDelete@ Anonymous -- I shall be thankful to u ,if u please reveal ur name . nice information indeed .
ReplyDeleteसचमुच हिंदी दिवस हिंदी का श्राद्ध बन चुका है और हिंदी के ठेकेदार श्राद्ध की खीर खानेवाले कव्वे और कुक्कुर.
ReplyDeleteससी कहा आपने रस्वीरें बहुत सुब्दर हैं आभार्
ReplyDeleteहमें भी कसौली बहुत पसंद आया था।
ReplyDeleteआपने कसौली के प्रसिद्ध पोस्ट बॉक्स की तस्वीर नहीं लगाई?
बेहतरीन तस्वीरें....उड़ते बादलों और मस्त मौज से अधलेटा कुत्ते वाला विडियो बहुत पसंद आया...
ReplyDeleteनीरज
behtreen tasveren...apke likhne ka andaz unhe aur bhi achha bana deta hai...
ReplyDelete@ Vijay saab - Film camera aaj bhi zinda hai...aur aane wale samay mai bhi unki prasangikta bani rahgi... B&W photography ka craze bhi abhi kam nahi hua hai...aisa mera manna hai...
मनीष जी,
ReplyDeleteउस कुत्ते ने तो जीप के ब्रेक ही लगवा दिए थे.
वैसे फोटो में पहाड़ के फोटो नहीं हैं, नहीं तो और भी ज्यादा मजा आ जाता.
उस दिन जब आप चंडीगढ़ में थे और मेरी आपसे बात हुई थी तो आप कह रहे थे कि समझ नहीं आता कि कसौली जाऊं या रेणुका. तब मैंने कहा कि कसौली चले जाओ. जानते हैं क्यों कहा था????
क्योंकि निकट भविष्य में मेरा भी इरादा रेणुका जाने का है.
Thnk you all dear friends .
ReplyDeletechaliye sharma ji ki dukan mein lagi in tasweeron ko aapki madad se yahin baithe baithe dekh liya. aabhar !
ReplyDeleteहमारे इलाक़े में आते हैं और घूमकर चले जाते हैं, वो भी बिना बताए, ये बात अच्छी नहीं है मुनीश जी।
ReplyDeletefir se kasauli chalne ka mann ho to after 19th march program banate hain pakka-2.. waiting 4 ur reply. tell-2
ReplyDeleteFouj me bhi tank, bandook ki aad me Hindi Pakhwada manaya jata ye dekhkar khushi hui.
ReplyDeleteAkhilesh