मुनिश जी अभी तक किराये की कार से सफ़र किया है हा जब पहिली बार स्कुटर चलायी थी तब अगला पहिया हवा मे यु उछला था कि गाडी हवाई जहाज की तरह टेकाआफ़ कर रही हो ।फ़िर गाडी सरपट दौडी हम गाडी के उपर घसीट रहे थे ,हमने जोर से ब्रेक मारी ,धडाम की आवाज की साथ गाडी रुकी ।पास आकर लोगो ने कहा जोर से ब्रेक मारने का नतीजा समझ आया ।हमने कहा हा समझ मे आया ना ब्रेक मारने से गाडी रुक जाती है और क्या?
हमारे दर्द-ऐ-दिल को आपने इज़्ज़त बख्शी , शुक्रिया अशोक भाई. सिद्धेश्वर बाबू देखिये कब वो मुबारक घड़ी आती है और भाई दीपक पुरानी कहावत है के ''fools build houses and wise live in them'' आपके लिए कहना होगा ''fools buy cars and wise travel in them''.
मुनिश जी अभी तक किराये की कार से सफ़र किया है हा जब पहिली बार स्कुटर चलायी थी तब अगला पहिया हवा मे यु उछला था कि गाडी हवाई जहाज की तरह टेकाआफ़ कर रही हो ।फ़िर गाडी सरपट दौडी हम गाडी के उपर घसीट रहे थे ,हमने जोर से ब्रेक मारी ,धडाम की आवाज की साथ गाडी रुकी ।पास आकर लोगो ने कहा जोर से ब्रेक मारने का नतीजा समझ आया ।हमने कहा हा समझ मे आया ना ब्रेक मारने से गाडी रुक जाती है और क्या?
ReplyDeletevery clever.
ReplyDeleteऐसी बेहतरीन पोस्ट पर कमेन्ट तो क्या करूं दोस्त, एक पूरी पोस्ट ही लगा दी है: http://kabaadkhaana.blogspot.com/2008/10/blog-post_1540.html.
ReplyDeleteमौज आई!
कोई सी भी खरीद लो भाई पर अपन को एक बार सवारी जरूर करा दीजो. तभी कह पाएंगे- 'गड्डी जांदी ए छलांगा मारदी..
ReplyDeleteबोफ़्फ़ाईन साब .
जय मारुति देवी!!
हमारे दर्द-ऐ-दिल को आपने इज़्ज़त बख्शी , शुक्रिया अशोक भाई. सिद्धेश्वर बाबू देखिये कब वो मुबारक घड़ी आती है और भाई दीपक पुरानी कहावत है के ''fools build houses and wise live in them'' आपके लिए कहना होगा ''fools buy cars and wise travel in them''.
ReplyDeleteबढ़िया है महाराज!!
ReplyDeleteपुरानी मारूति के प्रति आपका प्रेम पढ़कर ऑंखें भर आई, आज के ज़माने में प्रेम की ऐसी मिसाल मिलना मुश्किल ही नही नामुमकिन है
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