1975 में आई थी ये फ़िल्म जिसमें एक्स जुबली कुमार राजेंद्र कुमार और हिन्दी सिनेमा के इटर्नल शो मैन राजकपूर स्थायी स्थूलावस्था को प्राप्त होने के बावजूद मुख्य भूमिकाओं में थे । ये वही साल था जब शोले भी रिलीज़ हुई थी । बहरहाल हसरत जयपुरी और रवीन्द्र जैन ने मिलकर जो कुछ लिखा और उसे रवीन्द्र जैन ने संगीत में बाँध कर जिस तरह पेश किया वो कुछ ऐसी जुगलबन्दी है जो आज भी पुराना पड़ने का नाम नहीं लेती । रफ़ी साहब और मुकेश साहब का गाया ये गीत बाज़ार में मिलावट की बात करता था । कौन कहता है रामगढ़ आ गया , ताँगा अभी भी रस्ते में है । ना यक़ीन हो तो सुन कर देख लें--
bindaash rahne kaaaaaaa.
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