Tuesday 10 April 2012

...आज जावेद अख़्तर

जावेद साहब के दीवान तरकश से चन्द अशआर जो मैंने कभी सुने थे मग़र शायद समझे अब हैं या शायद अब भी नहीं ।

6 comments:

  1. बीस साल पहले की याद ताज़ा कर दी, आपसे उधार लेकर पढ़ी थी। असल में कहें तो जावेद अख्तर गुलजार नहीं हैं क्योंकि इनके अफसानों में ईमानदारी और रवानी नहीं है। शायद इसलिए इस मायने में मैं आपके एहसास को साझा करता हूँ।

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  2. फिर भी जाने क्यों मुझे जावेद ठीक ही लगते हैं क्योंकि शबाना के ठीक उलट एक सच्चे सेकुलर तो हैं ही वो ।

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  3. As a writer of film dialogues, definitely good; as a secular person, well, you may be right; but as a poet, I have not much to say about him....to put it mildly , definitely not in the same league as Faiz, Kaifi Azmi, or Sahir ludhianvi, to name a few.

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    1. ..but i think the beauty of his poetry lies in its simplicity and i think it is difficult to write simple and plain things. I think he is class apart and definitely not in class of stalwarts you have mentioned sir.

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    2. जबरदस्त ,क्या बात है ,मज़ा आ गया सुन कर-बिलाशक शब्दों की जादूगरी !!

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      मुझे याद पड़ता है ,बहुत साल पहले -late 80s में -दूरदर्शन पे कैफ़ी आज़मी साब का interview आ रहा था और उसमे उनसे पूछा गया कि 'जावेद साब की शायरी के बारे में उनकी क्या राय है ??'तो उनका जवाब था की 'जावेद साब "शायर" है भी ??'
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      ये वाक्या ,इतना बेहतरीन vdo सुनने के बाद, सुनाना तो गलत है !लेकिन याद इसलिए आ गया क्योंकि अभी कुछ दिन पहले हसरत जयपुरी को श्र्क़द्धान्जली देता एक प्रोग्राम आ रहा था ,और उसमे जब जावेद साब को कुछ कहने के लिए बोला गया तो उन्होंने हसरत साब की शान में कहा कि वे एक उम्दा " फ़िल्मी lyricist " थे !

      मेरे ख़याल से यही तारीफ़ जावेद साब के लिए भी ठीक रहेगी |
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      anyways a gr8 vdo munish bhai .

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  4. लेकिन जो भी हो उन्होंने आपको कमेन्ट करने पर तो मजबूर किया ना और यही है उनकी जादूगरी । वैसे मैख़ाने के कुछ पुराने पन्ने भी खंगालें तो इनायत होगी । अर्से बाद आपकी आमद हुई है खुश-आमदीद जनाब ।

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