Tuesday, 24 January 2012

बात एक रात कीः निशि ओजिमा

पिछले साल फ़रवरी में भी तोक्यो में बर्फ़बारी देखने का मौक़ा मिला था लेकिन इस साल मैं निशि ओजिमा के ऐसे प्यारे इलाक़े में हूँ जहाँ गाहे-ब-गाहे कुछेक भारतीय अपने बाल गोपाल के साथ भी दिख जाते हैं और उनकी मौजूदगी में जनवरी की ये बर्फ़ तोक्यो में भी मसूरी , शिमला और श्री नगर की यादें ताज़ा करती है । पिछले साल मैं मुसाशि कोसुगी नाम के एक ऐलीट इलाक़े में था , इस बार निशि ओजिमा जैसे पुराने मध्यवर्गीय इलाक़े में । तस्वीरों की तुलना से फ़र्क समझ में आ जाएगा कि जीवन और ज़िंदादिली कहाँ ज़्यादा है । मैं यहाँ आकर वाक़ई ख़ुश हूँ । विडियो क्लिकियाएँ और देखें एक ज़िंदादिल हिन्दुस्तानी दोस्त को जो इस कड़ाके की ठंड में बालक के साथ निकले हुए हैं और मंज़र बयान कर रहे हैं ।अचानक दिख गए और बोले सर जी दिल होना चाहिए , जगह तो अपने आप बन जाती है । अपने भाई हिंदुस्तानियों की ज़िंदादिली और दिलखुश तबीयत को मैं सैल्यूट करता हूँ ।

14 comments:

  1. Munish ji i am also happy to ,because you came at nishi ojima ,i got a very good friend near our house "lale di jaan ,dil kush insaan" Munish Sharma.
    Thankyou
    aapka dost Sandeep Sharma

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  2. Wow.... Mere yahan bhi bahut snow hai...

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  3. Bahut khoob, lekin doosre deen chutti nahi milli :(

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  4. Superlike Munish Bhai...
    Ab to lagta hai ke aap Japani hi ho gaye :-)

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    1. Nahin koi chahe to bhi ye kabhi hota nahin or main to Hindustani hi bhala , but thank for sharing, appreciating !

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  5. hindustaani jahaan bhi hoga maje main hoga

    hume khushi dudni ahi padti wo to hume viraasat main hi mili hoti hai

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    1. पते की बात कै रए हो गुरु क़सम उड़ान झल्ले की ।

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  6. सच ही कहा उन्होने दिल होना चाहिए जगह आपने आप बन जाती है। अगर खुस मिजाज हो इंसान तो उसे कहीं भी खुशियाँ मिल जाती है

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  7. वाह, बर्फ़ के चित्र और विडियो देखकर अच्छा लगा।

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    1. अनुराग भाई आप इस अनुभव में साझेदार हैं तो मज़ा और बढ़ जाता है।

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