Friday, 9 December 2011

जापान लोक में एक साल

अभी साल भर नहीं हुआ जब फ़्राँस के प्रतिनिधि अखबार -ला मोंद- की हैडलाइन कहती थी कि जापान खत्म हो चुका है । न सिर्फ़ आधुनिक बल्कि दुनिया के सभी मुल्कों की राय यही थी । लेकिन जापान अब भी वहीं खड़ा है डॉलर के मुकाबले तेज़ी से मज़बूत होते येन के साथ । कोई पहला मौक़ा नहीं है जापान को समाप्त घोषित किया गया हो लेकिन वो फिर उठ खड़ा होता है जैसे दंतकथाओं में अपनी ही भस्म से पर फ़ड़फ़ड़ा कर उड़ता हुआ फ़ीनिक्स पक्षी ।अणु बम की विभीषिका से पहले भी जाने कितनी बार भस्मीभूत और रक्तरंजि होते रहे इसके शहर । साल भर हो गया यहाँ आए और आते ही मैंने आदतन यात्रा वृत्त का सिलसिला शुरू किया लेकिन वो कभी नियमित बन नहीं पाया । इसलिए नहीं कि मैं यात्रा नहीं कर रहा था , इसलिए भी नहीं कि समय नहीं था मेरे पास । इसलिए क्योंकि सीधे, सपाट शब्दों में एकदम बयान कर देना इस देश को मुमकिन ही नहीं है । भारत यदि अतुल्य है तो जापान अद्भुत । भारत यदि देश है तो जापान एक लोक है , एक विचित्र रहस्य लोक । आठवीं सदी से पहले का इतिहास कोहरे में है यहाँ लेकिन फिर भी इस छोटे से द्वीपिय देश को जानने समझने के लिए एक शब्द है -- जैपनोलॉजी । ठीक वैसे जैसे भारत के लिए है -- इंडोलॉजी । लेकिन कहाँ विराट् , विश्वगुरू कहाने वाला भारत और कहाँ एक छोटा सा देश लेकिन फिर भी इसे जानने, समझने को वर्षों लगते हैं । मैं तो बस कोशिश करता हूँ , भाषा जानता नहीं लेकिन जितना समय बीतता है यहाँ उतना ही आश्चर्य जनक होता चला जाता है मेरा जापान - प्रवास । दुकान से शराब लीजिए तो यूँ लगे कि जैसे सचमुच गंगाजल ही दिया गया अदब से , कायदे और मान से ।पारंपरिक मयखाने इज़ाकाया में जाइए तो जूते बाहर उतारिए । धरती के भीतर एक के ऊपर एक दौड़ती तीन - तीन ट्रेनें । समय की पाबंदी ऐसी कि जैसे ईश्वर की बंदगी । रह-रह कर आते रहने वाले भूकंप लेकिन सब कुछ समयबद्ध , लयबद्ध चलता हुआ । बात-बात में दोमो अरिगातो गुज़ाइमास यानि धन्यवाद और गोम्मेनसाई यानि क्षमा कीजिए और सुमिमासेन यानि हे श्रीमान् की गुहार ।सड़क, पुल, भवन-निर्माण के मामले में कोरिया जैसे कई नज़दीकी देशों ने इसी की हू-ब-हू नकल की है लेकिन असल में धुर पूरब का ये देश न तो पश्चिम के ही किसी देश से मेल खाता है और न ही पूरब , उत्तर या दक्षिण के। निवासियों के मूल-व्यवहार में चीनियों,कोरियाइयों और नज़दीकी दीगर मुल्कों के मुकाबले भारत के लद्दाख या कहिए भूटान और नेपाल जैसे सुदूरवर्ती देशों के वासियों की कुछ झलक ...केवल कुछ झलक ज़रूर है । मैं क्योंकर आ गया इस अद्भुत लोक में कहना कठिन है और निकलूँगा कब ये भी, लेकिन चाहता हूँ कि आप इस अद्भुत लोक के चित्रों का अवलोकन करते रहें मेरे साथ । ये तमाम चित्र हैं इनोशिमा द्वीप के जो तोक्यो शहर के पास ही है । यहाँ एक मंदिर है जिसमें सरस्वती जैसी एक देवी है जो विद्या और संगीत की देवी बताई जाती है ।हैरत होती है ये देखकर कि यहाँ बौद्ध धर्म से पहले से मौजूद है शिंतो धर्म जिसके देवी , देवता बहुत हद तक हिंदू हैं लेकिन यहाँ सब धर्मों से ऊपर है राष्ट्रधर्म और कह सकते हैं कि जापानवासियों का धर्म दरअस्ल जापान ही है । ईश्वर करे हमारे यहाँ भी भारतीयता ही धर्म बन जाए । खैर, कैसी जगह लगी ये आपको ।
चित्र परिचय--
सबसे ऊपर
. श्वान युग्म(एनोशिमा द्वीप के रखवाले)
1. भविष्यवक्ता लड़की
2. पाषाण मयूर-युग्म
3. पुष्प दर्शन
4. पुष्पा
5. पुनश्चःपुष्पदर्शन
6.ड्रैगन बुर्ज
7.सावधान कव्वा प्लेट से ले उड़ता है यहाँ
8. मंदिर में मूरत
9. कश्तियाँ
10. डैंड्रफ़ - एक विश्व-व्यापी समस्या
11. मैं अकेला
12. मंदिर में काष्ठ-कला
13. पारंपरिक प्याऊ
14. मैं फिर अकेला
15. साहिल
16. स्पीड बोट
17. वाटिका में छतरी

16 comments:

  1. मुनीष भाई सुन्दर-सुन्दर जापानी कुडी बहुत दिखा रहे हो, क्या बात है?

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  2. सुंदरता का वास देखने वालों की आँखों में बताया गया है संदीप भाई । आपका दिल सुंदर है सो आपको सुंदरता नज़र आ रही है वरना लोग ऐसे भी होंगे जो कहेंगे लो जी ये क्या हैं जी ,,,,

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  3. सुंदर चित्रों से सजा यात्रा वृतांत,
    जाट की नजर तो सीधे ही पड़गी।

    राम राम

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  4. प्रिय शर्मा जी आपके आने से बड़ी हिम्मत मिलती है ये मश्क्कत जारी रखने की ।

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  5. दौड़ते हुए गिरना, गिर कर फिर संभलना, सभलते ही तेजी से दौड़ना

    अजीब सी ताक़त है इनके पास

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  6. जी हाँ मग़र वो भी इंसान हैं और ये ताक़त हम भी पैदा कर सकते हैं अगर भारतीयता ही धर्म बना जाए तो ।

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  7. Write more about the soul of Japan. I request you to Write a book on this topic in this times of soulessness

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  8. धन्य भये! जापान की जिजीविषा अदम्य है। अनुशासन तो लाजवाब है ही मगर जिसने जापान नहीं देखा, उसे पता ही नहीं कि विनम्रता क्या चीज़ होती है। हमारी अपनी भी विशेषतायें हैं परंतु अफ़सोस ...

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  9. श्वान युग्म नहीं देख पा रहा, चित्र बड़ा करके भी कोशिश की।

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  10. सुंदर लगी जापानी झांकी ...

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  11. :) दिख गये जी। बहुत सुन्दर, आभार!

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  12. शिंतो धर्म के अनुयायी शिवभक्त हैं, वे हिंदुओं की तरह लिंगपूजक भी हैं, बाक़ायदा फर्टिलिटी फेस्टिवल होता है जिसमें शिवजी का जापानी स्टाइल में जुलूस निकलता है और अभिषेक होता है.
    राजेश प्रियदर्शी

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  13. जी आप सच कहते हैं राजेश भाई । सच ही कहते हैं ।

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  14. @डॉक्टर साहिबा- आपकी टिप्पणियों का मैं इंतज़ार करता हूँ ।

    @गोपाल तिवारी- गोपाल जी आपको पहली बार यहाँ देख रहा हूँ और चाहता हूँ कि आप आया करें ।

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  15. @ अनिल यादव- आपका सुझाव अच्छा है लेकिन मैं अभी खुद विडियो से प्रयोग करना चाहता हूँ ।

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