अभी पता चला कि वो अपने चाहने वालों को छोड गए हैं सदा के लिए । सकारात्मक सोच और रचनात्मक ऊर्जा से लबरेज़ उनकी शख्सियत एक जादुई असर छोड़ती थी । 88 साल तक सक्रिय जीवन जिया उन्होंने । जबसे ख़बर सुनी तो रह-रह के याद आता है कि एक दफ़ा एफ़एम गोल्ड के इसरार पर दफ़्तर आए थे । मैं देखता था लोग उनसे हमेशा की तरह उनको घेरे हुए उनकी फ़िटनेस का राज़ ही पूछते रहे और वो मुस्कुराते हुए कहते थे कि जैंटलमैन एक आँवला रोज़ खाओ , भुने चने चबाओ, व्यस्त रहो,मस्त रहो और केला खाना तो आदत बना लो, कम पियो.... और ज़ियादा भी पीनी ही पड़ जाए तो पहले ही एक टिकिया मक्खन की आधी करके खा जाओ फ़िट रहोगे क्या समझे ! बहरहाल, उनके ये नुस्खे आज़मा के भी कोई दूसरा देव पैदा नहीं होगा ।वक्त से आगे की सोचते थे , तेज़ चलते थे और बोलने की रफ़्तार भी वैसी ही थी । अपने ज़माने के अंग्रेज़ी साहित्य के ऑनर्स थे और उनकी सबसे यादगार फ़िल्म भी एक अंग्रेज़ी उपन्यास गाइड पर आधारित रही ।कहते हैं, बल्कि मैंने खुद उनसे सुना कि गाइड का क्लाइमेक्स फ़िल्माए जाते हुए सूखा-ग्रस्त इलाक़े में सच में वैसी ही बारिश हुई जैसी फ़िल्म की कहानी माँग करती थी । हिंदी कविता की भी समझ रखते थे तभी तो नीरज जैसे कवि को खुद लेकर गए गीत लिखवाने ।डाकखाने में क्लर्की से लेकर स्टारडम तक जब तक जिए अपने मन की की । फ़िल्म के चलने या ना चलने से बहुत ऊपर थे वो ।नेपाल, भूटान और नॉर्थ ईस्ट के कटे हुए इलाक़े उनकी फ़िल्मों की वजह से ही आम हिंदुस्तानी के ज़ेहन में जगह बनाते रहे । एक बार ग्रेगरी पैक से तुलना करते हुए उन पर मैंने लिखा था ।कला प्रेमियों के लिए उनका जाना सचमुच एक युग के अवसान जैसा है । वो तमाम कंपेरिज़न से ऊपर थे मगर आज श्रद्धांजली स्वरूप वही पुराना लेख फिर से छापता हूँ । देव साहब हमेशा रहेंगे हमारे दिल में ।
मयखाने में ग्रेगरी बरक्स देव
पुराने दिनों के हिंदी सिनेमा को सोचिये तो एक पूरा ज़माना दिलीप कुमार , राज कपूर और देव आनंद के नाम लिखा पाते हैं और इनमें भी देवानंद तो आज तक सक्रिय हैं । हॉलीवुड स्टार ग्रेगरी पैक से देव आनंद की खूब तुलना हुई है हालांकि ग्रेगरी पैक की फिल्मों का मिज़ाज काफी अलग रहा और कद-काठी में भी देव साहब पे वो भारी पड़ते हैं । एक वक़्त में ये भी खूब लिखा गया कि सुरैय्या ग्रेगरी पैक पे मरती थीं मगर वो पहुँच के बाहर थे सो देव में उनको ढूँढती थीं और देव आनंद को ये बात मालूम थी सो इश्क तो लड़ाया पर शादी नहीं की सुरैय्या से! बहरहाल , बात जब अंदाज़ की आती है तो देव आनंद आज भी २० मालूम देते हैं । मैंने ग्रेगरी पैक की 'रोमन होलीडे', 'गन्स ऑफ़ नेवारोन ' , ' लादोल्ची विता' वगैरह फिल्में देखी हैं और इन सब फिल्मों में जान तो है मगर यही कहूँगा के देव साहब अपने तमाम लटके झटके के बा-वजूद जिस तरह 'हम दोनों' में एक फौजी का डबल -किरदार निभा ले जाते हैं वो किसी हॉलीवुड वाले के बस की बात नहीं है । चूंकि हॉलीवुड की एक्टिंग में 'अदा' नाम की वो चीज़ कहाँ जो हमारे हिन्दोस्तानी एक्टर्स का ट्रेड-मार्क रहा है । मिसाल के तौर पे फिल्म 'हम दोनों' के इस गीत में देखिये मूछों वाला फौजी अफसर किस तरह गिलास उठाता है .....कोई और इस जगह होता तो लोग हँस-हँस कर दोहरे हो जाते मगर ये देव आनंद की अदा है के हम कन्विंस हो जाते हैं और मेरा ख़याल है आप भी ...क्यों ?
There can never be another Dev Anand; we grew up seeing his films and in our university days, we always saw his films first day, first show, even if it meant standing in the advance booking queue for an hour. His style, his dialogue delivery and esp. his chaal, which all of us friends agreed, even a heroine could not match. He was simply matchless.
ReplyDeleteMay his soul rest in peace. Amen!
Maykhaana stands blessed with your genuine and heartfelt comments Professor sahib !
ReplyDeleteDev Anand - a true legend, a never ending source of positivity.
ReplyDeletesuch people never die.
देवाअनन्द का जाना एक युग का अवसान है।
ReplyDeleteसच में सपनीली दुनिया की वैसी ही फिल्मे. अच्छी फिल्मे, अच्छे, भले, चुलबुले, सदाबहार देव साहेब को श्रदांजलि ..
ReplyDeleteसच में एक युग का अवसान...... विनम्र श्रद्धांजलि ..नमन
ReplyDeleteReally a sad news...
ReplyDeleteमैं तो अभी तक सदमे मैं हूँ की आखिर ये हो क्या रहा है
ReplyDeleteपहले जगजीत सिंह फिर भूपेन हजारिका और अब देव आनंद
क्या इसे नयी सुबह से पहले होने वाली रात समझूं या हिंदी सिनेमा का लगभग अंत
एक अरसे के बाद मैं मयखाने आया ।
ReplyDeleteबात निकली उनकी तो मयखाने आया॥
सचमुच देव साब का जाना एक युग का अवसान कहा जाएगा। जिंदादिली, दरियादिली और कभी न हार मानने वाले देव आनंद असली के हीरो थे।
ReplyDelete@Lalit ji- आप आए बहार आई।
ReplyDelete@Nanak- सही कहते हो यार ।