the tavern,居酒屋,میخانه ...वो जाता था कि हम निकले
these photos are from one of my wishlist...awesome pics!!!
Thnx Sid !
Beautiful pictures!
Thnx Ji !
आपने तो इसे पतझड़ कहा मगर मैं तो कहूँगा :गुलशन में आग लग रही थी रंगे गुल से मीरबुलबुल पुकारी देख के साहेब परे - परे भले से रंगे गुल न सही रंगे पत्ती ही हो .
beautiful pix...
@शरद-- क्या खूब कहा शरद भाई । एक दिन इसी बाग़ के गुलों की तस्वीर लगाता हूँ ।@abcd- Itz after a long time that you are here in comment box. Your comments are always very insightful . wish i could know your name too.
Mainein kya kaha,Meer-Taqi-Meer ne kaha.Vaise Tasveer-e-Gul ka intezaar rahega.
कुछ परिंदों के घर हुआ करते थे यहाँदेखता हूँ अब तो वीरान सा लगता है
सही कहते हो फ़कीरा भाई लेकिन असल में अब भी काफ़ी परिंदों का बसेरा है यहाँ ।
Really beautiful; the colours and the patterns, esp. the maple leaves, which I like so much.
हामिद साहेब, कश्मीर के दहकते चनारों के बारे में सुना था लेकिन गया वहाँ अप्रैल में सो दिखे नहीं । अब तोक्यो में समझ आया है मतलब ।
वाह, क्या रंग है पतझर का! आभार!
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ReplyDeleteThnx Sid !
ReplyDeleteBeautiful pictures!
ReplyDeleteThnx Ji !
ReplyDeleteआपने तो इसे पतझड़ कहा मगर मैं तो कहूँगा :
ReplyDeleteगुलशन में आग लग रही थी रंगे गुल से मीर
बुलबुल पुकारी देख के साहेब परे - परे
भले से रंगे गुल न सही रंगे पत्ती ही हो .
beautiful pix...
ReplyDelete@शरद-- क्या खूब कहा शरद भाई । एक दिन इसी बाग़ के गुलों की तस्वीर लगाता हूँ ।
ReplyDelete@abcd- Itz after a long time that you are here in comment box. Your comments are always very insightful . wish i could know your name too.
Mainein kya kaha,Meer-Taqi-Meer ne kaha.
ReplyDeleteVaise Tasveer-e-Gul ka intezaar rahega.
कुछ परिंदों के घर हुआ करते थे यहाँ
ReplyDeleteदेखता हूँ अब तो वीरान सा लगता है
सही कहते हो फ़कीरा भाई लेकिन असल में अब भी काफ़ी परिंदों का बसेरा है यहाँ ।
ReplyDeleteReally beautiful; the colours and the patterns, esp. the maple leaves, which I like so much.
ReplyDeleteहामिद साहेब,
ReplyDeleteकश्मीर के दहकते चनारों के बारे में सुना था लेकिन गया वहाँ अप्रैल में सो दिखे नहीं । अब तोक्यो में समझ आया है मतलब ।
वाह, क्या रंग है पतझर का! आभार!
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