Monday, 25 October 2010

मयखाने में --"जाने वाले सिपाही से पूछो....."

'उसने कहा था' , कहते हैं पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की इस अमर कहानी का दुनिया की तकरीबन सभी प्रमुख भाषाओं में तर्जुमा हो चुका है और इसके बगैर प्रेम कथाओं का कोई भी संग्रह अधूरा है१९६० में इस कहानी पर आधारित इसी नाम से फ़िल्म भी आई थी जिसमें मन्ना डे ने मखदूम साहब का ये गाना सलिल दा के निर्देशन में गाया थासुनील दत्त पर फिल्माए इस गाने को देख कर एक ही लफ्ज़ ज़ेहन में आता है --ईमानदारी

6 comments:

  1. munish bhaayi bikaneri bhjiye khakr nye nye aaidiye aate hen o hm jese logon ke jivn men khubsurti ghol dete hen . akhtar khan akela kota rajthan

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  2. वाकई...आभार इस गीत के लिए..उसने कहा था...न जाने कितनी बार पढ़ी है.

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  3. बस ईमानदारी...

    जो आज नहीं है.

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  4. वाह मुनीश जी क्या नायाब चीजें तलाश कर लाते है आप।

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  5. @Akhtar bhai,Samir ji, Deepak baba and Nilofar sahiba=
    Shukria for sharing one of my favourite gems here .

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  6. बहुत सुन्दर! धन्यवाद! हमें याद रखना है कि हमारे ये भाई भी इंसान हैं, किसी के भाई, बेटे, पति, पिता हैं - और अपना सर्वस्व त्यागने को तैयार हैं।

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