मयखाने में म्याऊं गान
धवल वेश धारी ये क्रूस पूजक मसीही बालक 'म्याऊं गान' करते कितने भले मालूम देते हैं इसका ताल्लुक उनके गायन से भी ज़्यादा इस बात से है कि श्रोताओं को हँसा-हँसा कर दोहरा करने पर भी वे स्वयं गंभीर बने रहते हैं । मुझे लगता है ये STOIC सम्प्रदाय का कोई अभ्यास है जिसमें खुशी और गम से परे रहने की तालीम दी जाती है--
बहुत दिलचस्प ।
ReplyDeleteShukria Dr. saab for enjoying the music with me .
ReplyDeleteओ हो हो हो
ReplyDeleteमजा आ गया।