टेलीफिल्म 'सदगति' के अलावा सत्यजित रे ने महज़ एक फीचर फ़िल्म हिंदी में बनायी --अमर कथा शिल्पी प्रेमचंद की कहानी 'शतरंज के खिलाड़ी' पे आधारित और इसी नाम से । कहानी और फ़िल्म में कई जगह फर्क है मग़र आत्मा वही है । आपने देखी है ? क्या कहा अभी जल्दी में हैं ? ...तो फिर इसे न ही देखें तो अच्छा । हालांकियेतोमहज़शुरुआतहैमग़र जब फुर्सत हो सिर्फ तभी देखने की चीज़ है .......बड़े लोगों की चीज़ है साहब कोई बम्बैया बाईस्कोप नहीं !
I saw this film with my friends in Lucknow when it was first released.Being Lucknowites, we enjoyed it immensely, esp. the dialogues between Meer saheb and Mirza saheb. It was a good portrayal of the decadent aristrocracy of Lucknow with superb perfomances by Sanjeev Kumar and Saeed Jaffry. But in my opinion the best film on decadent aristrocacy is Guru Dutt's "Sahib,Bibi aur Ghulam", an excellent film with great songs and unforgettable performances by Rehman, Meena Kumari, Guru Dutt, Waheeda Rehman and Sapru.
नीरज भाई अगर मौलिक अवदान के नज़रिए से देखें तो इसमें मेरा क्या है मगर जब अपनी पसंद को सराहने वाला कोई न मिले तो अकेलापन महसूस होता है :( मेरे निज के भावोदगारों को कोई न सराहे कोई बात नहीं मगर जिसपे मैंने 'वाह' कहा हो ,दिल करता है सब कहें :) जाने क्यों ?
एक ज़माने में देखी थी पर फ़िलवक्त ये टुकड़ा देखने में इतना तल्लीन हो गया कि यक-ब-यक इसके ख़त्म होने पर झटका भी लगा....साथ ही अंग्रेज़ों की धूर्तता पर थोड़ा क्रोध भी आया.....और ये भी ग़ौर किया कि बिग बी का नुक़तों से कोई लेना देना नहीं है....पर महान फिल्मकार सत्यजीत राय को क्या हुआ था ?...... ख़ैर ..... फ़िल्म याद नहीं आ रही पर इस मामले में उसमें पंकज कपूर का Narration प्रभावित करता है...मगर हाँ,मैं ये लिख कर बिग बी को छोटा करने की ओछी कोशिश क़तई नहीं कर रहा हूँ ....इस अनुपम टुकड़े के लिए धन्यवाद.
कमेंट्स की तादाद ही बता रही है कि पीपुल आर डैम बिजी दीज डेज़ ;)
ReplyDeleteI saw this film with my friends in Lucknow when it was first released.Being Lucknowites, we enjoyed it immensely, esp. the dialogues between Meer saheb and Mirza saheb. It was a good portrayal of the decadent aristrocracy of Lucknow with superb perfomances by Sanjeev Kumar and Saeed Jaffry. But in my opinion the best film on decadent aristrocacy is Guru Dutt's "Sahib,Bibi aur Ghulam", an excellent film with great songs and unforgettable performances by Rehman, Meena Kumari, Guru Dutt, Waheeda Rehman and Sapru.
ReplyDelete@ Prof. Hamid--I have been quite a movie buff ,but unfortunately couldn't watch Guru dutt's classics . Now i will.
ReplyDeleteमुनीश भाई,
ReplyDeleteकमेन्ट्स पर न जाईये, मयखाने की हर पोस्ट को फ़ुरसत में ही देखते हैं।
नीरज भाई अगर मौलिक अवदान के नज़रिए से देखें तो इसमें मेरा क्या है मगर जब अपनी पसंद को सराहने वाला कोई न मिले तो अकेलापन महसूस होता है :(
ReplyDeleteमेरे निज के भावोदगारों को कोई न सराहे कोई बात नहीं मगर जिसपे मैंने 'वाह' कहा हो ,दिल करता है सब कहें :) जाने क्यों ?
सिर्फ़ एक बार देखने वाली फिल्म तो है नही ये…
ReplyDeleteसही कहती हैं पारुल आप.ये हमें एक अलग ज़माने में ले जाती है .
ReplyDeleteएक ज़माने में देखी थी पर फ़िलवक्त ये टुकड़ा देखने में इतना तल्लीन हो गया कि यक-ब-यक इसके ख़त्म होने पर झटका भी लगा....साथ ही अंग्रेज़ों की धूर्तता पर थोड़ा क्रोध भी आया.....और ये भी ग़ौर किया कि बिग बी का नुक़तों से कोई लेना देना नहीं है....पर महान फिल्मकार सत्यजीत राय को क्या हुआ था ?...... ख़ैर ..... फ़िल्म याद नहीं आ रही पर इस मामले में उसमें पंकज कपूर का Narration प्रभावित करता है...मगर हाँ,मैं ये लिख कर बिग बी को छोटा करने की ओछी कोशिश क़तई नहीं कर रहा हूँ ....इस अनुपम टुकड़े के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteशुक्रिया शरद भाई आपकी प्रतिक्रिया के लिए .
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