Friday 16 April 2010

वो मिस रजनीगंधा मयखाने में...

रजनीगन्धा --ये नाम आजकल एक पान-मसाले के ब्रांड के तौर पे ज़ियादे प्रचलित है जिसे हमारे पत्रकार दोस्त गाहे --गाहे चाबते नज़र आते हैं फूल भी होते हैं रजनीगन्धा के जो मह-मह महक रहे हैं परदे पे आज तलक , सन १९७४ से ,जबके मिस रजनीगन्धा ने इन्हें गुलदान में सजाया होगा साड़ी पहने किताबों के साथ लड़कियां अब दुर्लभ हैं से कम फ़िल्मी परदे पर !

5 comments:

  1. बड़ी पुरानी यादों में लौटा ले गये...साथ याद आई एक और फिल्म ’आंधी’ ...न जाने क्यूँ.

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  2. मुनीश जी आपकी पोस्ट की हैडिग ब्लोग्वानी में देखकर ये वाला गाना और फिल्म याद आ गई थी। दिल खुश कर दिया जी आपने।

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  3. मुनीश जी पुराने दिनों से अभी अभी वापस आया था फ़िर वंही पंहुच गया हूं.

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  4. "कितना सुख है बंधन मे" ये पंक्ति सदा मोहती है…गीत तो सदाबहार है ही


    फिर इस सादगी का भी कोई जोड़ नही

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