रजनीगन्धा --येनामआजकलएकपान-मसालेकेब्रांडकेतौरपेज़ियादेप्रचलितहैजिसेहमारेपत्रकारदोस्त गाहे -ब-गाहेचाबतेनज़रआते हैं । फूल भी होतेहैंरजनीगन्धाकेजोमह-महमहकरहेहैं परदेपेआजतलक ,सन१९७४से,जबकेमिसरजनीगन्धानेइन्हेंगुलदानमेंसजायाहोगा।साड़ीपहनेकिताबोंकेसाथलड़कियांअबदुर्लभहैंसेकमफ़िल्मीपरदेपर !
बड़ी पुरानी यादों में लौटा ले गये...साथ याद आई एक और फिल्म ’आंधी’ ...न जाने क्यूँ.
ReplyDeleteमुनीश जी आपकी पोस्ट की हैडिग ब्लोग्वानी में देखकर ये वाला गाना और फिल्म याद आ गई थी। दिल खुश कर दिया जी आपने।
ReplyDeletenice...
ReplyDeleteमुनीश जी पुराने दिनों से अभी अभी वापस आया था फ़िर वंही पंहुच गया हूं.
ReplyDelete"कितना सुख है बंधन मे" ये पंक्ति सदा मोहती है…गीत तो सदाबहार है ही
ReplyDeleteफिर इस सादगी का भी कोई जोड़ नही