Sunday, 7 March 2010

महिला दिवस की हक़ीक़त

शेफ्मैन की इस मशहूर कृति का नाम है --"POLITICS" , मग़र जाने क्यूं मुझे लगता है कि इसका नाम 'महिला दिवस' ज़्यादा माकूल रहताइस बारे में आपका विचार मायने रखता है सरकार , सो कहिये क्या ख़याल है?

6 comments:

  1. so its ma day... u didnt wish....

    ReplyDelete
  2. इस पेंटिंग को देखकर 'अनारकली' फिल्म का ये गीत याद आ गया:

    आ जा अब तो आ जा मेरी क़िस्मत के ख़रीदार
    नीलाम हो रही है मेरी चाहत सर-ए-बाज़ार
    सब ने लगाई बोली ललचाई हर नज़र
    मैं तेरी हो चुकी हूँ दुनिया है बेख़बर
    ज़ालिम बड़े भोले हैं मेरे ये तलबगार
    हस्रत भरी जवानी ये हुस्न ये शबाब
    रँगीन दिल को महफ़िल मेरे हसीन ख़्वाब
    गोया कि मेरी दुनिया लूटने को है तैयार

    ReplyDelete
  3. @Nanak --very appropriate observation , but i think all the men shown in the painting are male -bloggers trying to impress female bloggers with their posts without actual concern.

    ReplyDelete
  4. आज की मीटिंग में अगली मीटिंग की डेट फिक्स हो गयी है... आगे देखते हैं फिर कब बैठेंगे :)

    ReplyDelete
  5. खयाल तो नेक है!वैसे पोस्ट से ज्यादा इफ़ेक्टिव तो आपका ही कमेण्ट है!

    ReplyDelete
  6. Only one lady, rest are male.

    ReplyDelete