Friday, 5 March 2010
मेरी यादों में : दगशाई
दगशाई -- दिल्ली सेकरीब ३१० किलो मीटर दूर १९०० मीटर कीऊँचाई पे मौजूद ये मेरा एक पसंदीदा हिल स्टेशन है जिसे मैंने किसी किताब या वेबसाईट की मदद से नहीं बल्कि ख़ुद की अवारागी से ढूँढा है । जांबाज़ गोरखा रेजिमेंट का एक गढ़ होने के नाते ये ऐसा अनजाना भी नहीं है मगर सैलानी यहाँ कम ही आते हैं । ये दिल्ली-कालका-शिमला सड़क पर बहुत आसानी पहुँचने लायक है . कोई हाट-बाज़ार या चमक-दमक न होने की वजह से यहां वो सुकून अभी भी बरकरार है जो किसी ज़माने में शिमला में हुआ करता होगा या मसूरी में भी होता था ! दिल्ली के" नीओ -रिच " पंजाबी -सौदागरों ने जिस तरह नैनीताल ,मसूरी और शिमले का मट्ठ मारा है इसका भी मार ही देना था मगर जाने कैसे ये बचा रह गया । उम्मीद है कि आप जब वहां जायेंगे तो उसे उतना ही साफ-ओ शफ्फाफ छोड़ करआयेंगे जितना वो आपको मिला था ! जिन पीना यूं तो बुरी बात है मगर रास्ते में हिमाचल सरकार की दूकान से लीची का रस लेकर उसके साथ यहाँ ट्राई की जा सकती है , मज़ा आता है !
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डगशाई और सुबाथू मुझे भी बहुत पसंद हैं।
ReplyDeleteना शिमला की तरह गंदगी, ना भीड़भाड़ या
गाड़ियों का हुजूम।
@ अगर आपको ये दोनों पसंद हैं तो यकीनन आप मुझे पसंद हैं और इसके लिए ये ज़रूरी है की प्लीज़ आप अपने असली प्रोफाइल से टिप्पणी करें . मैनें सबाथू का ज़िक्र इसलिए नहीं किया चूंकि वहां की फोटो नहीं ली थीं मैंने. मैं आपका intro. चाहता हूँ और इसे आप इल्तिजा समझें.
ReplyDeletehamari to jaan hai subathu, dagshai aur KASAULI... hai marr jawan... kinni soni places hain....
ReplyDeleteमुनीश भाई, आपके इसी खोजी प्रवर्ति के तो हम कायल हैं,मैं भी तीन चार दिल्ली में था पर इन इलाकों के बारे में मालूम नहीं था ,आपने दिलचस्पी बढ़ा दी है ...देखें अब इसे देखने का मौक़ा कब मिलता है |
ReplyDeleteHamare sath b chaliye ek baar, kritarth ho jayenge... m inviting u for coming saturday... ab na mat bolna dil na todna... m waiting 4 ur reply!!!!
ReplyDeleteek request karun maano ya na upto u... ye jo i hate tears pushpa wali line display ho rahi hai na top per pls uski jagah kuch acha sa likho...jaise ki i love ghoomna firna, ya profile of "Mr. Ghumakar"
ReplyDeleteya kuch aur... its simply a suggestion..
@ Vimal- Khabar to diya karo jab aao bhai ! Come again lets meet !
ReplyDelete@Niharika-- Thanx for advice , i'll give it a thought.
ReplyDeleteमुनीश जी,
ReplyDeleteशिमला से तो मुझे भी एलर्जी है. हां, रास्ते में पडने वाले सभी रेलवे स्टेशन (कालका-शिमला मार्ग के) बेहतरीन व भीड भाड से दूर हैं.
और हां, मैं इस रविवार को रेणुका जा रहा हूं.
@ नीरज जाट- अच्छी बात है भाई हो आओ रेणुका जी . मैं कई बार वहां गया हूँ . सुन्दर स्थल है.
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