Tuesday, 2 March 2010
फिर झोंक में मयखान्वी........
एस. सी. बेदी , गुलशन नंदा, मायापुरी , जासूस चक्रम और चिरकुट , कानों में फूल खोंसे संपादक जी , पोपट-चौपट , सुस्तराम-चुस्तराम , नन्हा जासूस बब्लू ,रानू, राजन- इकबाल , बिल्लू-पिंकी , मिस डायना पामर , लोथार और मैनड्रैक का xanadu, चाचा चौधरी का दिमाग़ कम्प्यूटर से तेज़ चलता है , .......वेताल उर्फ़ फैंटम उर्फ़ चलता फिरता प्रेत !....बहादुर और उसका 'नासुद' ,बेला , कार्टून कोना डब्बू जी...,"जिस नाविल के पीछे एस. सी .बेदी का शाल ओढे फोटो हो उसको ही असल समझना ...नक्कालों से सावधान" ... "वेद प्रकाश शर्मा का कैदी नम्बर १०० जल्द आ रहा है लंदन में छापे आकर्षक कवर के साथ ...अपनी प्रति आज ही सुरक्षित करा लें."....रानू , जेम्स हेडली चेज़ के कवर पे छपी अधनंगी फिरंगन मेमें ,छोटू-लंबू ...शेहाब..आबिद सुरती ...धर्मयुग ....बात कुछ ज़ियादा लम्बी हो जायगी बाबू! पुरानी शराब पीने के बाद बातें भी पुरानी ज़ियादा याद आती हैं.... नहीं????
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बड़ी पुरानी यादें ताजा कर दीं.
ReplyDeleteबढियां है -वो एलिस इन वंडरलैंड में एक कैरेक्टर हर वक्त भागता रहता है न -फुरसत ही नहीं रहती उसके पास !
ReplyDeletewaah, bahut kuch yaad aa gaya ji
ReplyDeleteबिल्लू,चीकू,दीवाना तेज़,मोटू-पतलू,गुर्रन,चाचा चौधरी का राकेट,और पुरानी बातों मे याद आती है गोल्डन ईगल उसका जवाब कार्ल्सबर्ग और फ़ोस्टर मे कंहा।मज़ा आ गया मुनीश भाई और ये मयखान्ची भी जमा।
ReplyDeleteआहा!!!! बस एस्ट्रिक्स भूल गए आप !!!
ReplyDeleteदिक्कत ये है कि आजकल कामिक्स अंग्रेजी में ही ज्यादा दिखती हैं इसिलिए सायद आपको हिंदी वालियों के चित्र भी नहीं मिले। वैसे मुझे तो अमर चित्र कथा सबसे ज्यादा पसंद थी।
ReplyDeleteThank u all dear friendz for bein party to my craziness and nostalgia .
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