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Sunday, 21 February 2010
मयखाने में 'बराका'
1992 में आई रोँ फ्रिक की ये फिल्म कोई कहानी बयान नहीं करती और ना ही इसमें कोई संवाद हैं । २४ देशों की १५२ लोकेशंस पर शूट की गयी इस फिल्म को बनाने में कई साल लगे । अरबी ज़ुबान में 'बराका' का मतलब है 'आशीर्वाद ' । धरती और जीवन प्रकृति के आशीर्वाद हैं और इंसान उन्हें कैसे-कैसे बरतता है , किस तरह जीवन ;चाहे वो जंगली कबीले का हो, उपासना गृहों का या फिर आधुनिक शहरों का , फ़क़त एक रिचुअल , एक अंतहीन दोहराव है यही फिल्मकार बतलाना चाहता है । ज़बरदस्त सिनेमाटोग्राफी जिसमें टाइम -लैप्स का बेजोड़ इस्तेमाल हुआ है , इस फिल्म की जान है । ये और ऐसी कई बातें तो आपको नेट पे भी मिल जायेंगी मगर ये कोई नहीं बतायेगा कि इस फिल्म का मज़ा सिर्फ घनघोर -घुप्प ,शांत अँधेरे में .....,जहाँ कोई गर हो तो बस आपका एक सबसे क़रीबी दोस्त, ...बस वहीँ लिया जा सकता है । शीतल बीयर की बोतलें और सिगरेट्स ऑप्शनल सौदे हैं । ये पिक्चर आप किसी भी बुद्धिजीवी के 'टेस्ट' को चुनौती देकर या उसकी बुद्धि -शीलता की बलैयां लेकर हासिल कर सकते हैं और यदि वो इस पिक्चर की कापी उपलब्ध नहीं करा सकता तो उसकी इंटलेक्चुअल -कैलिबर शिनाख्त के दायरे में आया चाहेती है । देखें ये पीस--
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Suman ji i've told u something which u'll really cherish and u are saying just 'nice' ??
ReplyDeleteCertainly this is a top-shelf film. Good that you reminded me of it again.
ReplyDeleteProbably I would watch it again tonight.
good one munish.....
ReplyDeleteबिलकुल निशब्द हो गई हूं। इस Film के बारे में बताने और इतने चौंकाने और हिलाने वाले वीडियो के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। कुछ बातें शब्दों में कहना मुमकिन नहीं होता। इसे देखकर मैं जैसे स्तंभित बैठी हूं, वो भी कह नहीं सकती। अवाक् हूं। ऐसी भी Film मुमकिन है?
ReplyDeletePahle bhi dekha tha...aaj fir dekh kar accha laga..
ReplyDeletedhanyawaad..
वाह मुनीश भाई, इसके बारे में मैं भी लिख चुका हूं.
ReplyDeletehttp://mishnish.wordpress.com/2010/11/21/about-baraka/