सत्तर की दहाई में आई. एस. जौहर ने 'फाइव राइफल्स' नाम की एक 'सी' ग्रेड फिल्म बनाई थी । फिल्म को लोग भूल गए मगर जिसने एक बार इस गीत को या कहूं अज़ीज़ नाज़ां की इस क़व्वाली को सुन लिया वो इसे कभी नहीं भूलेगा ऐसा मुझे लगता है , आपको क्या लगता है ?
मयखाना तो मेरा घर ही है। आज का पेग "झूम बराबर झूम" पीनेसे मजा आगया। हरिवंश की "मधुशाला" कही मिले तो वह भी इस ब्लॉग पर डाल दे। मेरे जैसे बेवडे रोज इसी अड्डे पर जमे रहेंगे।
फिल्म के कई दृष्य भी याद हैं और यह कव्वाली भी
ReplyDeleteबी एस पाबला
bhai maza aa gaya yahan aakar 7-8 gaane sune aur ghanto jhoomte rahe ,bha gaya hame to blog ye .
ReplyDeleteक्या याद दिलाया है..वाह!! आज तो एक एकस्ट्रा स्कॉच इसके नाम!! :)
ReplyDeleteमयखाना तो मेरा घर ही है। आज का पेग "झूम बराबर झूम" पीनेसे मजा आगया। हरिवंश की "मधुशाला" कही मिले तो वह भी इस ब्लॉग पर डाल दे। मेरे जैसे बेवडे रोज इसी अड्डे पर जमे रहेंगे।
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