Wednesday 22 July 2009

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को क्लीन -चिट

पिछले साल १९ सितम्बर को दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में शेर-ऐ कुमाओं इंस्पेक्टर मोहन र्मा की शहादत पर कुछ गलीज़ नेताओं ने सवालिया निशान लगाए थे और मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सौंप दिया गया था . आज दिल्ली के हिन्दुस्तान टाईम्स ने आयोग की रिपोर्ट की तफ्सीलात छापते हुए बयाँ किया है की किस तरह ये एनकाउंटर बिलकुल असली था और उस जांबाज़ की शहादत भी १००% खालिस थी . उन गलीज़ लोगों के हर शक़-ओ-शुबहे का जवाब आयोग ने दिया है . अखबार कहता है की स्वर्गीय इंस्पेक्टर को क्लीन चिट मिल गयी है , मैं कहता हूँ इस क्लीन चिट की ज़रुरत तो खुद आयोग को थी और एक नागरिक के तौर पे मुझे खुशी है की वो उसे मिल गयी है .

6 comments:

  1. कोई ऐसा नियम बनाया जाना चाहिये कि इसके लिये टीवी पर प्राईम टाईम में २ मिनिट का कार्यक्रम दिखाया जाये जिससे इन नेताओं को कुछ तो शर्म महसूस हो।

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  2. There are many T.V. topguns here . Letz c vat they do !

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  3. आख़िर सच की जीत हो गई। आयोग की रिपोर्ट समाज के उन लोगों के चेहरे पर एक तमाचा है जो इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की शहादत पर ऊँगली उठा रहे थे। ये वाकई देश की हिफाज़त में लगे हमारे शूरवीरों का मनोबल तोड़ने की सोची समझी संगठित साजिश थी। ऐसे लोगों को समझ जाना चाहिए की सच तो सच है वो ना तो कम होता है ना ज़्यादा, वह काल के प्रभाव से भी मुक्त रहता है और शेर को बकरी कहने से वो बकरी नहीं बन जाता, शेर ही रहता है।

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  4. Sach ko ankhir kitne dino tak dabaya ja sakta tha...kabhi na kabhi to use sab ke samne aana hi tha...

    Mohan Sharma ek jabaaz officer the our uni shahaadat pe sawal uthane walo ko ye jo karara jawab mila hai isse to mujhe bhi bahut khushi hui hai...

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  5. मुनीश जी,

    नेता तो राजनीति करते हैं, वो तो हर घटना को अपनी राजनीति के कोण से देखते और बयान देते है। लेकिन ऐसे बुद्धिजीवियों की भी कोई कमी नहीं है जो इस घटना को हर सम्भव फर्जी बताने पर तुले रहते हैं, उनके लिये भी दो शब्द कहें। इनका हाल तो राजनीति से भी अधम है।

    और राष्ट्रीय मानवाधिकार!!!
    आप इस विषय पर एक पोस्ट कबाड़खाना पर भी लगायें।
    मीर तक़ी मीर के शेर में शायद "सत्य" ही चीख कर कह रहा है--

    मैं गिरिया-ए-ख़ूनी को रोके ही रहा वरना
    यक दम में जमाने का यहाँ रंग बदल जाता

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  6. Dear Vivek,Vinita,Nanak & Pritish thanx for sharing the concern of a fellow countryman.

    @Pritish: Dear Pritish Kabaadkhana is a community blog where u can't keep something posted for a long duration and I don't want such posts to be overlapped too soon & that is why i choose this platform.

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