Wednesday, 29 July 2009

महारानी गायत्री देवी : विनम्र श्रद्धांजलि

सुन्दरता ,गरिमा और लोकप्रियता की मुंह-बोलती तस्वीर थीं राजमाता ! बिलकुल वैसी तो नहीं जैसी आप नंदन या चंदामामा में पढ़ते हैं मगर समय की निष्ठुरता के बा-वजूद बहुत कुछ वैसी ही . मशहूर फैशन पत्रिका 'वोग' के मुताबिक दुनिया की दस सबसे खूबसूरत महिलाओं में शुमार राजमाता गायत्री देवी! तीन बार जयपुर से सांसद रहीं . पहला चुनाव तो उन्होंने जो जीता वो एक विश्व रिकॉर्ड भी बना भारी मतों के अंतर की वजह से . लेकिन उनकी अपार लोकप्रियता ने उन्हें दुश्मन भी कम नहीं दिए और वो धीरे धीरे सक्रिय राजनीति से हटती चली गयीं . बहरहाल, राजमाता अपने शानदार व्यक्तित्व के लिए हमेशा याद की जाएँगी . ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे . श्रद्धांजलि !

14 comments:

  1. abhi news room mein aa kar baitha hi tha ki times now par yeh khabar dekhi. ek shandaar personality ka diya bujh gaya. woh bemishal thi, great thi... aur grace aur dignity ki murti thi. hum keh sakte hai woh ek saaf aaina thi jis mein hum apna saaf chehra dekh sakte the....

    meri ore se Gayatri Devi ko vinarma shardhanjati... I salute you Rajmata.

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  2. Sad to hear of Maharani GAYTRI DEVI ji's sad demise .
    I too pay my humble & fond Tribute to her .
    write up - which is on my BLOG :
    महाराज कुमारी गायत्री देवी का जन्म २३ मे १९१९ के दिन हुआ था।
    महारानी इंदिरा देवी, महारानी गायत्री देवी की माताजी हैं। महारानी इंदिरा देवी, स्वयं संतान हैं -- Maharaja Sayaji Rao III और महारानी चिम्नाबाई (बरोदा के राजा व रानी )की । महारानी गायत्री देवी के पिताजी हैं : Maharaja Jitendra Narayan Bhup Bahadur, जो, महारानी सुनीति देवी सेन एवं Maharaja Nripendra Nayaran Bhup Bahadur की संतान हैं ।
    महारानी गायत्री देवी , जयपुर की महारानी बनीं।
    आइये, जयपुर राज्य का इतिहास , देखें -
    महाराजा सवाई मान सिंघ २ का जन्म एक साधारण से ग्राम प्रांत में , ठाकुर ( Lieutenant-Colonel ) राजा सवाई सिन्घजी व ठकुराइन, ( ठाकुर श्री उमराव सिंघ कोटला की पुत्री ) , की इसाराडा की कोठी में , अगस्त २१ , १९११ की दिन हुआ था। वे उनकी दूसरी संतान थे और उन्होंने पुत्र का प्यार भरा नाम रखा " मोर मुकुट सिंघ "।
    इस बालक का भविष्य अलग था .. ११ साल की उमर में जयपुर राज्य की गद्दी का वारिस बनते ही ,इसे , शानो शौकत की जिन्दगी नसीब हुई। वही कालांतर में, महाराज सवाई मान सिंघ के नाम से विख्यात हुए। महाराज , पोलो खेल के कुशल खिलाड़ी थे और दुसरे विश्व युध्ध में भी , उन्होंने , हिस्सा लिया था। स्पेन राज्य के दूत भी बने थे एवम कच्छवा राजपुतोँ के वे मुखिया हैँ ।
    उनकी पदवी के मुताबिक , उनका पूरा नाम है -- सरमद -इ -राजा -इ -हीन्दुस्तान , राज राजेश्वर , श्री राजाधिराज् , महाराज सवाई जय सिंघ २ , महाराज।
    १७०० से १७४३ तक उन्हीके पिता ने राज किया जिनके नाम पे , शहर जयपुर को नाम मिला हुआ है। जयपुर शहर की संरचना , उन्हीं के आदेशानुसार हुई है। आम्बेर की पुरानी राजधानी से नयी जयपुर राजधानी का तबादला किया गया।
    बादशाह , मुहम्मद औरंगजेब की बदौलत ही " सवाई " जयपुर राज्य के राजा के नाम के साथ हमेशा के लिए, जोड़ दिया गया ।।
    १८८० से १९२२ , तक , महाराजा सवाई माधो सिंघ २ ने राज किया । एक बार जब् एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक के समय , इंग्लैंड की यात्रा का अवसर आया , उस वक्त , महाराज की प्यास बुझाने , गंगा जल, चांदी के विशालकाय घडोँ मेँ , समुद्र पार करके ले जाया गया । चूंकि , समुद्रपार करना अपवित्र समझा जाता रहा था उस वक्त , और महाराज, माधो सिंघ , गंगा जल ही वहां इंग्लैंड में भी उपयोग करते रहे ! और , आज भी जयपुर के राजमहल में, वही चांदी के विशालकाय घडे , आज भी पर्यटक देख सकते हैँ !!
    इन को , विश्व के विशालतम चांदी के बरतन , होने का श्रेय भी हासिल है !


    सरमद -इ -राजा -इ -हिंदुस्तान , राज राजेश्वर श्री महाराजधिराजा महाराजा सवाई श्री सर मान सिंघ २, महाराजा ने , १९२२ से १९७० तक , राज किया । " सर " का खिताब उन्हें ब्रितानी सरकार ने दिया था । वे पोलो की टीम लेकर, ब्रिटेन गए जहां ब्रिटिश ओपन , जीते । १९४७ , राजप्रमुख राजस्थान बनकर, जयपुर का कार्यभार सम्हालते रहे - फ़िर , १९६४ से १९७० भारतीय दूत बनकर स्पेन गए । । महाराज जे सिंघ जी तथा महारानी गायत्री देवी ने विदेशों से आए , जैक्लिन केनेडी तथा इंग्लैंड की महारानी एलिज़बेथ द्वितीय २ जैसी हस्तियों का जयपुर में स्वागत सत्कार किया है।
    १९७० तक राज करने वाले महाराज जे सिंघ जी तथा महारानी गायत्री देवी - इस परिवार का इतिहास , मानो भारत वर्ष के इतिहास का आइना - सा , लगता है - जहां, आपको मुगलिया सल्तनत के साथ साथ राजपूतों का मिला जुला इतिहास, दिखाई देता है और ब्रितानी ताकत के साथ बदलते समाज व राजघरानों का इतिहास भी दीखता है जो , भारत की आज़ादी के समय तक आ पहुंचता है ....
    ........आज, भी , जयपुर राज्य , सैलानियों के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है जिसकी वजह से ही , आतंकवादीयों के निशाने से घायल है ये गुलाबी शहर ...
    आगे , इतिहास की प्रतीक्षा करता हुआ , अतीत को संजोए , आप की प्रतीक्षा करता ...
    - लावण्या

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  3. श्रद्धांजलि !

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  4. हम्म...पोस्ट से कहीं बड़ी टिप्पणी.
    लावण्यम् जी का भी धन्यवाद

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  5. असली श्रद्धांजली तो तब मानी जाएगी जब आप बताएंगे कि गायत्री जी ने अपने जीवनकाल में सुंदर दिखने के अलावा किया क्या। इसलिए यह पोस्ट अधूरा है।

    वैसे भी लोकतंत्र में महारानी होने का महत्व ही क्या है। आज की ही तारीख में इस देश में न जाने कितने हजारों या लाखों महिलाएं दिवंगत हुई होंगी। इन सबका निधन गायत्री जी के निधन जितना ही महत्वपूर्ण या अमहत्वपूर्ण ही माना जाएगा, या माना जाना चाहिए।

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  6. पंचभूत निर्मित ,नश्वर मानव शरीर को अंत तक सुन्दर भी वो ही रख सकता है सुब्रमण्यम जी जिसका मन भी सुन्दर हो ! रानी ९० की उम्र में भी उसी गरिमा से युक्त रहीं जो हमेशा उनकी पहचान थी और ये खूबी सिर्फ पैसे के जोर से नहीं आती . रही बात लोकतंत्र की तो मैंने बताया न की जयपुर की जनता ने उन्हें असीम प्यार हमेशा दिया . उनकी बढ़ती लोकप्रियता से तत्कालीन केंद्र सरकार इतनी भयभीत हो गयी की आपातकाल में उन्हें जेल में डालने से पहले बालों से पकड़ कर गिरफ्तार करवाया गया , राजाओं का प्रिवी-पर्स और उपाधियां छीनने का उपक्रम भी इसलिए हुआ की जनता में ये स्वर बराबर उठ रहा था की ऐसे लोकतंत्र से तो राजाओं के राज बढिया थे ---कम से कम प्रजा को लूटने वाला तो तय था ! आप मेरे उस प्यारे भारत में लोकतंत्र की बात कर रहे हैं जो आज तक एक परिवार के बिना शांति से सरकार नहीं चला सकता . हाँ, इसी दिन कई मरे होंगे लेकिन राजमाता भी तो ,सौतेली सही, उस नरवीर ब्रिगेडियर भवानी सिंह की थी जो ७१ की लड़ाई में पूर्वी पाकिस्तान की सरज़मीन को आज़ाद कराने उतरी छाताधारी फौज का अगुआ था , गोलियों की बौछार में उतरने वाला पहला हिन्दुस्तानी सिपाही ! जय हिंद.!

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  7. महारानी ने नारी शिक्षा और नारी स्वातंत्र्य के लिए भी बहुत काम किए थे। ऐसा मैंने कहीं पढ़ा था।

    किसी एअरपोर्ट पर उन्हें देखने का भी सौभाग्य मिला था। वार्द्धक्य का अद्भुत मातृ सौन्दर्य देख अभिभूत हो गया था।

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  8. Some of these are etched in our minds. They don't raelly have to go out of way to prove a thing ... And in any case ... She was simply grace. And substance. And beauty.

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  9. Maine to Rajmata ka sirf naam hi suna tha...per aaj apki post aur comments se unke baare mai kafi kuchh pata chala...

    Shrdhanjali...

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  10. भगवान ने कहा है, 'आत्मा न तो किसी भी काल में जन्म लेती है न मरती है। वह न तो कभी जन्मी है, न जन्म लेती है और न जन्म लेगी वह अजन्मी, नित्य, शाश्वत और पुरातन है। शरीर के मरने पर आत्मा नहीं मरती।' और किसी संत ने कहा है,
    'आए हैं सो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर। एक सिंहासन चढ़ी चलें, एक बंधे जंजीर।।'
    इसलिए हे भाई, शोकाकुल न हों। समय बलवान है।

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  11. Thnx Nanak for ur words of consolation, but she can't be forgotten easily.

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  12. आप नहीं रही , पर आप कि यादे हमेशा रहेगी , नमन

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  13. गायत्री देवी केवल एक प्रखर सामंती अवशेष नहीं थी, उन्होंने आधी आबादी पर लगे परदों को उतरा .. डिस्कवरी ने पोर्ट्रेट के तहत उन पर लम्बी श्रंखला केवल इसलिए नहीं बनायीं क्योंकि वे एक khoobsoorat maharani थी. उन्होंने प्रजातंत्र में भी खुद को सिद्ध किया तीन बार sansad का चुनाव जीता. स्त्री होकर खुद पर गर्व कर पाना अपने मुताबिक ज़िन्दगी जी पान उस काल खंड में aasaan नहीं था जन्म से आप क्या हैं यह तय कर पाना किसी के भी हाथ नहीं लेकिन अपने कर्मों से उन्होंने कभी सामंतवाद का झंडा बुलंद नहीं किया. स्त्री होकर खुद पर गर्व कर पाना , अपने मुताबिक ज़िन्दगी जी पान उस काल खंड में आसaan नहीं था जन्म से आप क्या हैं यह तय कर पाना किसी के भी हाथ नहीं लेकिन अपने कर्मों से उन्होंने कभी सामंतवाद का झंडा बुलंद नहीं किया. धन और सौंदर्य तो कई महारानियों के पास हैं लेकिन बुलंद शख्सीयत नहीं

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  14. Thank u all friends for sharing my grief for the departed soul !

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