Saturday, 4 July 2009

किस्सा घुड़ -सवार फिरंगन का : दूसरी किस्त

मेजर अपने कॉल का पक्का निकला और लेडी गौडिवा के बुत और उस नेक औरत की याद में निकलने वाले जुलूस की तस्वीरें उसने हमें भेज दी हैं । अफ़सोस वो तस्वीरें हम यहाँ न दे पायेंगे । दरअसल इस जुलूस में घोडे पै सवार होने के लिए हर साल कोवेंट्री शहर की खवातीन में होड़ मची रहती है चूंकि ये वहां के folk tradition का हिस्सा बन चुका है और इसे अच्छी खासी T.V coverage और स्पांसर - शिप हासिल हो जाती है । लेडी गौडिवा ने जो कुछ अपनी अज़ीज़ रियाया की बह्बूदी के लिए एक मजबूरी के चलते ,अपने कमीने शौहर के कहे पे किया , कुछ बरतानवी लौंडियाँ आज वही इस जुलूस में सस्ती शोहरत हासिल करने की खातिर करने पे अमादा हैं । सो बाज़ दफे उनकी पोशाक इस कदर झीनी और बराए नाम रह जाती है के देखने वाले उनके साज़-समान के नज़ारे लूटते हुए छींटा कशी और फबतियों पे उतर आते हैं । उस नेक खातून का मकसद भुला कर आज इस मेले को जिस्मानी नुमाइश का मंज़र बना देखा जाता है ,सो हम इस मेले की कुछ बरस पहले की तस्वीरें छाप रहे हैं ,जब की हालात इतने संगीन न थेऔर बरतानवी खवातीन ने हया का दामन छोड़ा न था !

6 comments:

  1. बहुत अच्छी जानकारी दी आपने. धन्यवाद.

    उपर मेजर अपने काल का पक्का निकला, मे शायद काल की जगह कौल (वचन) का पक्का निकला आयेगा. अगर उचित समझे तो सुधार लिजियेगा. और कृपया बुरा ना माने. मैने सिर्फ़ मेरी राय दी है. गलत भी हो सकती है:) आशा है आप इसे सकारात्मक लेंगे.

    रामराम.

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  2. मुनीश जी की भाषा हिन्दुस्तानी है, आप उर्दू और हिंदी के मिले जुले रूप में वो वाक्य गढ़ते हैं की उनकी दमक कुछ और हो जाती है ठीक ऐसे ही आंग्ल भाषा में भी उनकी पकड़ बेहतर लगती है फिर ये कौल और काल का फर्क सही मायने में ताऊ को उचित ना लगा होगा पर मैंने इसे अंग्रेजी भाषा का शब्द जानते हुए फिट ही माना है रामपुरिया जी चाहें तो इसे स्वीकार सकते हैं.
    आपकी पोस्ट कई काल खंडों में किसी घटना के रूप से विद्रूप हो जाने और उसके प्रति उग आये अज्ञान के विचारों से इतर ले जाने का प्रयास करती है. तस्वीर के प्रति मेरी दृष्टि भी कमोबेश वही थी जिसका आपने पिछली पोस्ट में जिक्र किया था. मेजर साहब को और उनकी संगनी जी को मेरा बड़ा आभार पहुंचाईयेगा कि उनके ज्ञान गागर से छलकी कुछ बूंदों से हम भी तृप्त हुए.

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  3. Thanx for the advise tau ji but i said '' कॉल '' this ardh chandra is pronouced as 'ao' as in BLOCK . In hindi u cant generate this sound without this ardh chandra derived from Gurmukhi script and it is called 'addak'. If i write the way u say it will be pronounced as 'kaool'. So i have not erred here. Many times ,however, i have left spelling mistakes as they are 'cos i give two hoots to them while blogging as there are limitations of software as well .

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  4. My dear Kishore thanx for ur kind words of wisdom . However, i would like to tell u that Sakshi is Major's sister. I had used the word 'hamsheera' meaning the same .
    I thank u n' Tau ji again for coming here and sharing the post . It is a reprint and when i published it first here last year it definitely got great reviews.

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  5. मुनीश जी मैं क्षमा प्रार्थी हूँ वस्तुतः ये कमेन्ट लिखते समय मैंने पिछली पोस्ट को देखा नहीं था जैसा अवचेतन में रहा लिख दिया.

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