Thursday, 18 June 2009
मयखाने में 'हीट एंड डस्ट'
साल दर साल इन दिनों गर्मियों में जब भी घर से बाहर कदम रखता हूँ , मन में एक बहुत पहले देखी फिल्म का टाइटल बेसाख्ता गूंजता है 'हीट एंड डस्ट ' .........'.हीट एंड डस्ट ' ! उस फिल्म की कहानी याद नहीं करता हूँ और न किसी दृश्य को मगर फिर भी ...'हीट एंड डस्ट ' ये लफ्ज़ यूं गूंजते हैं दिमाग में गोया कोई पुराना एल .पी. रिकॉर्ड सूई अटक जाने की वजेह से वही शब्द दोहराता रहे बार बार ! दरअसल मुझे लगता है की तमाम उत्तर भारत के मैदानों को बस यही शब्द परिभाषित करते हैं जहाँ खूब कमीनी गर्मी के बीच उड़ते हैं जानलेवा धूल के बगूले . साल दर साल हर रोज़ आप किसी फिल्म का टाइटल दोहराते रहें मन में ये काफी असामान्य सी बात नहीं है क्या? अब जो भी है रूथ प्रार झाबवाला के इसी नाम के नॉवेल पर मर्चंट आइवरी प्रोडक्शन की ये फिल्म जेम्स आइवरी के निर्देशन में मौसम के इस कातिल मिज़ाज को बखूबी पकड़ती है जिसमें १९२० के एक हिन्दुस्तानी कसबे की सिविल लाइन में रहती थी ओलिविया . एक जवान अँगरेज़ कलक्टर की ये बीवी अपने खाविंद से इतनी मोहब्बत करती है की गर्मियों में जब बाकी अफसरों की बीवियां शिमला चली जाती हैं तब भी वो उसके साथ ही रहना पसंद करती है तमाम धूल भरी गर्मी के बावजूद . उन अँगरेज़ एक्टर्स के नाम मुझे याद नहीं मगर ये लड़की ग्रेटा साषी ही थी और तभी आता है उसकी ज़िन्दगी में एक मोड़ . नवाब (शशि कपूर) के अंग्रेजी अंदाज़ मगर देसी लंठ-पने की वो कुछ यूं शाद हो जाती है कि उसकी छातियाँ और नवाब की हथेलियाँ ज़्यादा जुदाई बर्दाश्त करने को कतई तैयार ही नहीं हैं और अंजाम ज़ाहिर है ठीक नहीं होना ! ये सारी कहानी फ्लेश बेक में चलती रहती है जब १९८२ की ऐसी ही गर्मियों में उसकी एक पड़-नातिन एन् उसकी ज़िन्दगी के मुताल्लिक़ छान बीन करने उसी शहर आती है . वो काफी कुछ पता करती है और पाती है कि कुछ भी नहीं बदला है ...वही गर्मी और धूल और वैसी ही कहानी चूंकि वो अपने मकान-मालिक इंदर लाल ( तबले के उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ) के चक्कर में पड़ चुकी है और वो अपनी बीवी (रत्ना पाठक) को धोखा देकर उसके साथ मौज कर रहा है ! बहरहाल.....फिल्म ने ब्रिटेन का प्रतिष्ठित अवार्ड बाफ्टा हासिल किया था और कुछ वक़्त चर्चित भी हुई थी . अपनी तमाम कलात्मक खूबियों के बावजूद ये फिल्म अब भुला दी गयी है मगर इसका टाइटल मेरे दिमाग से नहीं जाता और सच कहूं गर्मी से भी ज़्यादा इसी से निजात पाने के लिए मैं पहाडों में हांफता फिरता हूँ ...मौका मिलते ही !
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बढिया पोस्ट।
ReplyDeleteमौका मिला, तो जरूर देखेंगे।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
भारत की बात हो और उससे गर्मी और धूल, सॉरी 'हीट एंड डस्ट ' को अलग कर दें, मुश्किल है पजामा और इजारबंद की तरह । बलवंत गार्गी की बीवी को उनसे जुदा करने में इसी कलमुही गर्मी का हाथ था। खैर, बहुत खूब याद दिलाया, आपकी पसंद की तारीफ़।
ReplyDeleteBalvant and Khushvant are both lucky guys . I mean c all the fame they got , inspite of nudity flowing in their books yaar.
ReplyDelete... तब दूरदर्शन ही हुआ करता था और 'जनता' की बेहद डिमान्ड पर डीडी ने पता नहीं किस ऐतिहासिक फ़ैसले के अन्तर्गत कुछेक एडल्ट टाइप इंग्लिस पिच्चरें दिखवाने का फ़ैसला किया था. ये क्लासिक टाइप फ़िल्में होती थीं बस दो चार छः न्यूड सीन होते थे इनमें ...
ReplyDelete'हीट एंड डस्ट' भी उसी दौर में दिखाई गई थी. मैंने भी देखी थी. तब ज़्यादा कहानी समझ में नहीं आई थी. बाद में किताब खोज कर पढ़ी.
कैने का मतलब ये है कि हमने भी देखी है.
हीट एन्ड डस्ट से भरपूर इस मौसम में 'हीट एन्ड डस्ट' की याद आपको ही आ सके थी. अब डाउनलोड पे लगाता हूं. लगाना ही पड़ेगा.
Good, unique post.
और हां ये फ़िल्में बिना सेंसर के दिखाई जाती थीं.
ReplyDeleteफिल्म कैसी भी हो !! नाम सचमुच बहुत sensual है.....
ReplyDeleteमिली तो फिल्म जरूर देखी जाएगी
Yes Rang u must watch! It has appeared on Star movies as well. Other noted Merchant -Ivory films are Bombay Talkies,The Guru,Deceivers, Cotton Mary,The householders, #6 Chowrangee lane and Shakespearevala. In fact these are the films to grow up with.
ReplyDeleteRead '36 Chowrangee Lane' .
ReplyDeleteबाबूजी जे फ़िलम तो हमने किसी जमाने में नैनीताल के कैपिटल सिनेमा में देखी थी
ReplyDeleteये कमीनी गर्मी तो हमे भी परेशान कर रही है,भाग कर कंहा जायें।शानदार पोस्ट्।
ReplyDeleteदूरदर्शन पर लगभग दो दशकों पहले इक ज़माने में देर रात शुक्रवार को ये फिल्म देखने का मौका मिला था। आज कल की हीट को देखते हुए बड़ी सामयिक चर्चा की है आपने।
ReplyDeletethank u all dear friends. Anil ji i think u can visit that great water fall in 36Garh.
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