Sunday 14 June 2009

शिमला से आगे जहां और भी हैं ......... .

शिमला ....... नैनीताल और मसूरी की भांति बढ़ती आबादी और वाहन शिमला का मट्ठ मार चुके हैं मगर फिर भी सितम्बर से मार्च तक ये पर्वतीय नगर सेवनीय हैं . कहने को शिमला अंग्रेज़ों की समर-कैपिटल थी ,साल के आठ महीने राज -काज यहीं से चलता था मगर  कोई ऐसी कशिश यहाँ नहीं पाता कि बार-बार यहाँ आऊँ . आता फिर भी हूँ ..बस रात भर ठहर अल्लसुबह जाखू मंदिर में मत्था टेक आगे निकल जाने के लिए . आगे याने ,कुफरी-फागु- थियोग-छैला-कोटखाई-खडा पत्थर-हठकोटी-रोहडू -चड गाँव . दरअसल शिमला तक तो बोली-बानी -भेस में पंजाबियत ही हावी है . असल हिमाचल की छटा तो शिमला के बाद दिखती है . शिमला से तत्ता पानी के गर्म चश्मों से होकर मनाली का भी रास्ता है . थियोग से छैला न मुडे तो सीधे किन्नोर जा निकलेंगे . बहरहाल , रोहडू और चड गाँव की तरफ पर्यटन कम है मगर सड़क मस्त है , सुविधाएँ ठीक ठाक हैं और नज़ारे से भी ज्यादा मज़ा इस रास्ते पर ड्राइव में है . कोटखाई में तेजी से नीचे आकर खडा पत्थर की चढाई आपको एकदम ८००० फुट की ऊँचाई पर ले जायेगी और हवा में तेजी से ठंडक का लुत्फ़ आप ले सकते है . हठकोटी में देवी हठेश्वरी यानि पारवती, शंकर जी के साथ बिराजती हैं . मंदिर बहुत पुराना और बौद्ध पगोडा शैली का है . साथ-साथ नदी बहती चलती है और कहीं कहीं आप बिलकुल नदी के लेवल पर चलते हैं . अभिनेत्री प्रीती झिन्गता उर्फ़ जिंटा यहीं रोहडू के पास की हैं . प्रीती के गालों और यहाँ के सेबों दोनों में साम्य है भी ! बहरहाल रोहडू में सेब की मंडी होने के चलते ट्रांसपोर्ट वाले बहुत हैं और यहाँ से सीधे चड गाँव निकल कर आगे बीसेक किलोमीटर ,जहाँ तक सड़क बनी हुई है, पहुंचना चाहिए . मनोरम जगह है बशर्ते ड्राइव का लुत्फ़ लेने का शौक़ आप रखते हों . रुकने के लिए रोहडू में हिमाचल पर्यटन का सुन्दर गेस्ट हाउस सस्ती दर पर पूरी क्वालिटी के साथ मौजूद है ,और क्या जान लोगे बाऊ जी ? नीचे लगायी गयी तस्वीरें मेरे डिजीटल युग में आने से पहले की हैं मगर खींची मैंने ही हैं . आपका व्यवहार ही आपका" परिच्य" है "शुब्भ यात्रा "!
'' पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाडों के कभी काम नि आनी '' चौकीदार परमेशरी निर्विकार भाव से बीडी सुलगाते हुए कहता है । ''उसकी बात में दम है बॉस ! '' मेरा कजिन रोह्डू के ताज़े सेब का लुत्फ़ लेते हुए सुर में सुर मिलाता है । मैं हठेश्वरी मन्दिर के करीब बहती बिष -कुल्टी को देखते हुए हैरान होता हूँ की इसे विष की नदी क्यों कहा गया । ये भी तो और नदियों की तरह वनस्पति और पशु, पक्षी को पोसती है ,इंसान की भी प्यास बुझाती है । सेब , हठेश्वरी मन्दिर और प्रिटी जिंटा के अलावा रोह्डू का कोई और' क्लेम टू फेम ' नहीं है । सैलानी यहाँ कम ही आते हैं । गए साल ' रोड एंड्स हियर ' लिखे बोर्ड तक पहुँच कर हमने जाना की जगह का नाम टिर्की है । आगे भी सड़क बनेगी बताते हैं ''चान्सल तक जैगी साब्ब जी , उधर दुनिया का सबसे बड़ा रिजोर्ट बनेगी बरफ का खेल की '' सड़क महकमे का ओवेरसीर कहता है । '' ''यानी हम लोग यहाँ सही टाइम पे आ गए बाऊ जी वरना कल को यहाँ भी वही रंड -रोना शुरू हो जाना हैगा '' कजिन हिमांशु कहता है और मैं सब पहाडों की इक्लोती पसंद capstan का कश खींचते हुए कहता हूँ '' बात में दम है बॉस'' !

15 comments:

  1. WoW WoW WoW...

    Kabhi yaha gaye to ye jankariya bahut kaam ayengi...

    ReplyDelete
  2. मनीष जी, आपने तो कतई घुमक्कडों की पोल खोल कर रख दी है. अरे यार शिमला जाते हो!!!! रोहडू जाया करो.

    ReplyDelete
  3. अच्छा घुमाया। मजा आया।

    ReplyDelete
  4. ऐसा लगा कि हम भी वंहा पहुंच जायें।शानदार लिखा आपने और आपकी ये बात भी सही है कि प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के आसपास बहुत सी गुमनाम जगह होती है घूमने लायक्।शिमला के आसपास घुमाने का शुक्रिया।

    ReplyDelete
  5. यह तो आपने एक दम नयी जानकारी दे दी है .मुख्य हिल स्टेशन से अब यह जगह अधिक अच्छी लग रही हैं शुक्रिया इस रोचक जानकारी के लिए

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन घुमवाया तस्वीरों में. भाई, सेब वाला फोटो तो गजब है..जिओ!!

    ReplyDelete
  7. waah ji waah , hum to ghar baithe hi ghoom aaye shilmla .. maza aa gaya post padhkar .. aapka blog abhut accha hai ji ..

    badhai sweekar keren..

    dhanyawad.

    vijay
    pls read my new suif poem
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/06/blog-post.html

    ReplyDelete
  8. only people wih positive and fresh outlook could comment here! Thanx for sharing joy ! Thnx dear friends.

    ReplyDelete
  9. photos are very nice...esp. one a man with long boot and animal...Of course! apple pick reminds the cheek of pretty zinta :)....

    ReplyDelete
  10. १९९७ में मनाली जाना हुआ था और वहाँ से सड़क मार्ग से मंडी होते हुए शिमला पहुँचा था। कुछ तसवीरे खींची तो थीं पर मनाली की खूबसूरती के सामने शिमला के आस पास का इलाका कुछ खास प्रभावित नहीं कर पाया था। आज इन चित्रों से उस यात्रा की याद ताज़ा हो गई।

    ReplyDelete
  11. wow!
    very nice pics!& commentry bhi mazedaar hai just like Aankhon Dekha Haal

    ReplyDelete
  12. Munish san, Very nice. Shimla has a special place in my heart cos my mom was from Shimla and we used to go to nani's place in summers.
    This definitely brings back a lot of memories.

    Viola

    ReplyDelete
  13. अरे वाह वायला जी अच्छा लगा जानकर कि आप का नाता है शिमला से ।

    ReplyDelete
  14. शिमला से आगे जहां और भी हैं... सही फ़रमाया आपने!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बस मैं तो एक मामूली सा प्रशंसक हूँ आपके सुन्दर राज्य का । अच्छा लगता है जाकर बस ।

      Delete