Tuesday, 9 June 2009
थैंक्स विनीता , थैंक्स प्रतिभा !
सकारात्मक ऊर्जा से लबरेज़ ब्लॉग यशस्वी की मालकिन विनीता ने बताया कि मयखाना का ज़िक्र उन्होंने अखबार में देखा है तो ज़ाहिर है मैं खुश हुआ . मेरी खुशी तब और ज़्यादा बढ़ गयी जब देखा कि तहज़ीब ओ' तमद्दुन का मरकज़ कहाने वाले शहर लखनऊ के दैनिक जागरण के जवाने जाने मन एडिशन 'आई नेक्स्ट' में भीगी -भीगी सी शीरीं ज़ुबां में मयखाने के मुताल्लिक लिक्खा गया है . ब्लोग्स की तारीफें तो आये हफ्ते छपती रहती हैं और पाबला साहेब के ब्लॉग से उनके बारे में पता लगता रहता है मगर यहाँ ये कटिंग देने का मकसद इसकी ज़ुबान की तरफ आपका ध्यान खेंचना है. कमसे कम दिल्ली में तो कोई ऐसा अखबार छपता नहीं जो भाषा के इस अंदाज़ से वाकिफ़ हो . तारीफ भी ऐसे छपती हैं यहाँ गोया एहसान उतारा जा रहा हो या कोई फ़र्ज़ निपटाया जा रहा हो .कई मर्तबा तो ये तक हुआ है साहब कि ब्लॉगर की तारीफ करते- करते जल्दबाज़ी की वज़ह से उसकी मट्टी ही पलीद कर दी गयी . शुक्र है ख़ुदा का , मयखाना पर कलम उठाने का करम एक निहायत ज़हीन औ' सलाहियत मंद सहाफी प्रतिभा ने किया है . मैं विनीता और प्रतिभा से कभी मिला तो नहीं मगर इतना तो कह ही सकता हूँ कि शुक्रिया आप दोनों का .
(CLICK ON THE CUTTING PLEASE)
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Congrats!
ReplyDeleteवाह जनाब! बधाइयां क़ुबूलिए!
ReplyDeleteNo thnx plz...
ReplyDeleteaapko bahut bahut badhaiya...
achcha laga jaankar.
ReplyDeleteयार आप लोग कहीं ये तो नहीं सोच रहे न कि मैंने अपने मुँह मियां मिट्ठू बनने के लिए ये पोस्ट लगाई है ? .....अगर हाँ तो आप बिलकुल सही सोच रहे हो ! बोलो क्या खाओगे -पियोगे , मैं तो आपको ट्रीट देने सी. पी. स्ट्रीट में ही बैठा हूँ !
ReplyDeleteबधाई तो हम भी देना चाह्ते थे, किंतु मौका ही नहीं मिल रहा था। अब दिये देते हैं। बधाई जी।
ReplyDeleteऔर ये क्या भई! कोई खाने-पीने के लिए बधाई देता है क्या :-)
बधाई।
ReplyDeleteबधाई मुनीशजी।
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग्स किसी खास वर्ग यानी जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है, तक ही सिमटा नही रहना चाहिए, इसका विस्तार करने की ज़रूरत है. प्रिंट मीडीया ख़ासतौर से अख़बार और पत्रिकाओं जिनकी पहुँच ज़्यादा है, में मौलिक, गंभीर और साहित्यिक ब्लॉग्स को जगह मिलनी चाहिए, इनके लिए एक अलग स्तंभ हो. आपका ब्लॉग्स इसी दिशा
ReplyDeleteकाम कर रहा है. बधाई हों.
सही बात है, इस अखबार वाले भले लोग हैं...अच्छी खबर रखते हैं.
ReplyDeleteकतरन पढ नहीं पा रहा हूं.क्या करना होगा?
ReplyDeleteNaveen bhai click twice in the cutting n u can read this exemplary Lakhnavi report.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई!मुनीश भाई।
ReplyDeleteअब्बू के अब्बु के अब्बु कह गये है कि किसी कि खुशी मे शामील होने से खुशी दुगुनी और गम मे शामील होने से गम आधा हो जाता है ..फ़िर तो आप अपने हो इसलिये तुस्सी लख-लख बधाईयाँ !! अभी तो शुरुवात है जनाब अभी और चर्चे होंगे मयखाने के इसलिये कह रहा हुँ मयखाने कि ये कटिंग दिगर ब्लागर कि तरह अगल-बगल मत टांगीयेगा वरना दुसरे अखबार वाले कही नाराज ना हो जाये :)
ReplyDeleteसचमुच मे विनीता जी काफ़ी अच्छे और सच्चे तरीके से मयखाने का मजनुन कहा है !!वैसे पार्टी कब दे रहे है ?
अब्बू के अब्बु के अब्बु कह गये है कि किसी कि खुशी मे शामील होने से खुशी दुगुनी और गम मे शामील होने से गम आधा हो जाता है ..फ़िर तो आप अपने हो इसलिये तुस्सी लख-लख बधाईयाँ !! अभी तो शुरुवात है जनाब अभी और चर्चे होंगे मयखाने के इसलिये कह रहा हुँ मयखाने कि ये कटिंग दिगर ब्लागर कि तरह अगल-बगल मत टांगीयेगा वरना दुसरे अखबार वाले कही नाराज ना हो जाये :)
ReplyDeleteसचमुच मे विनीता जी काफ़ी अच्छे और सच्चे तरीके से मयखाने का मजनुन कहा है !!वैसे पार्टी कब दे रहे है ?
बधाई!
ReplyDeleteघणी बधाई जी.
ReplyDeleteरामराम.
thank u all my dear friends.
ReplyDeleteMany many congrats Munish Bhai.
ReplyDeleteशुक्रिया मुनीश जी !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमनीष जी, क्या बात है!!
ReplyDeleteआज तो हवा में उडे जा रहे हो.
अजी एक बार हम भी अखबार में आये थे, तब से आज तक उस अखबार का वो वाला पूरा पेज ही अपने साथ रखता हूँ.
और ऐसे ही काम नहीं चलेगा.
ReplyDeleteट्रीट-वीट का इंतजाम कर लो.
ओए होए, मुनीष भाई! बधाई!
ReplyDeleteमयखाने की शान में लिखा गया एक-एक लफ्ज़ सटीक है और जिस नफ़ासत से लिखा गया है वो सोने पे सुहागा है. आपकी मटरगश्ती के सदके! मयखाने के नूर से हर शै जलवानशीं हुआ चाहती है-
मयखाने में आना जाना, फ़ितरत हो गयी यारों की
ख़िज़ा भी छूटी, हिज्र भी छूटा, बातें चली बहारों की.
परबत, दरिया, सहरा, कूंचा, और हैं ये गलियारों की
मयखाने की बातें यारों! दिल की और दिलदारों की.
Dear friends the icing on the cake is that Maykhaana is first individual hindi blog to have got a colour-coverage with a photo from the blog.
ReplyDeletemunish ji
ReplyDeletejo pite nhi unke liye MAYKHAANE me khali gilas khankane ke siva kya bandost h ??
kuchh hum log ke bhi vyavastha kuijiye.....