Friday, 1 May 2009
कोई है क्या जो चकराता गया हो कभी
चकराता देहरादून के करीब एक हिल स्टेशन है . चढाई कलसी से शुरू होती है और करीब ४० किलोमीटर के इस रास्ते पर यूँ ही एक बार 10-11 किलोमीटर जाना हुआ था . इसके बारे में नेट पर जानकारी मुझे मिली है लेकिन कोई ऐसा दोस्त नहीं मिला जो खुद वहां गया हो . अगर आप कभी वहां गए हैं तो आपसे गुजारिश है की उसके बारे में कुछ बताएं . सात तारीख को दिल्ली में चुनाव है , ९ को बुद्ध पूर्णिमा का अवकाश है और १० को इतवार है ही . मैं चाहता हूँ कि वोट डालने के बाद फ़ौरन रवाना हो लिया जाए और चकराता देखा जाए . कम ही लोग जाते हैं वहां मगर आप में से कोई गया हो तो अनुभव जानना चाहता हूँ .
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Sorry Munish Bhai! Not because I haven't been there and hence cannot suggest anything but to see not a single soul ... Alas!
ReplyDeleteHope! Hope is a big word still, Saar!
Happy journeying. I would though see to it that something is arranged for you beforehand in Chakrata. What if I haven't been there.
I am sure I would be able to unearth some army connection there. Plus some beforehand info. And some original armywala quota too.
Wait for my call.
इसे कहते हैं " गोद में छोरा अर् सहर में ढिंढोरा "! However, still i asked everyone 'cos i wanted to be sure that first Hindi blogger who made it to Chakrata would be none but me . I'll be looking forward to ur call saar!
ReplyDeleteSorry friend. Never heard of the place before. Looking forward to your blog update after the trip.
ReplyDeletesure Rajesh! Thats D' Spirit yaar!
ReplyDeleteमनीष जी, आपने बढ़िया याद दिलाया. 10 तारीख का इतवार है. देखता हूँ, मैं ही जाता हूँ.
ReplyDeleteचकराता के बारे में एक और उक्ति ये है कि वहां कि जलवायु बहुत ही स्वास्थ्य वर्धक है. हालाँकि पहाड़ की जलवायु स्वास्थ्य वर्धक तो होती ही है.
वैसे मैं कल ही शिमला से घूमकर आया हूँ.
काश मैं गया होता तो आपको ज़रूर जानकारी दे देता।
ReplyDeletevaah musafir bhai, Simle ki foto to lagao ! If u wish we can meet there.
ReplyDeleteThnx Pradeep ji. I appreciate ur concern and true spirit of a gentleman.
ReplyDeleteगया तो नहीं हुजूर, पर नाम जरूर सुन रखा था।
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SBAI TSALIIM
धन्यवाद मुनीष जी, मैंने जो अपने फोटोज लगाए हैं, दरअसल वो स्लाइडशो नहीं हैं लेकिन उनपर लिंक जरूर है। अगर आप करसर उनपर रखकर ओपन इन न्यू टैब या ओपन इन न्यू विंडो करेंगे तो आपको सभी संबंधित फोटो दिखेंगे। मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद। मैं भी आपके पास आता रहूँगा। - सचिन
ReplyDeleteएक बात लिखना भूल गया मुनीष जी, आपका ब्लॉग भी वाकई बहुत खूबसूरत है। इतने सुंदर नजारे तो शायद मैंने भी नहीं देखें हैं। दुर्भाग्य से मैं जब ज्यादातर हिन्दुस्तान तब घूमा जब मेरे पास डिजिटल कैमरा नहीं था और वो फोटोज मेरे एलबम में तो हैं लेकिन कम्प्यूटर पर या आनलाइन नहीं। आपके ब्लॉग पर आँखे तर करने जरूर आता रहूँगा। प्रकृति और प्रकृति प्रेमियों से मुझे प्यार है। इसी फील्ड में पत्रकारिता में रहकर काम भी कर रहा हूँ। जो लिखता हूँ उसे ब्लॉग पर चढ़ाता भी हूँ। पढ़िएगा। पिछले कुछ दिनों में चुनावों की वजह से काफी व्यस्तता थी इसलिए आपकी बात का जवाब थोड़ी देर में दे पाया, उसके लिए माफी। कम्प्यूटर पर तो मुलाकात होती रहेगी लेकिन कभी किस्मत रही तो आमने-सामने भी मिलेंगे और कहीं घूमने भी चलेंगे। हिमालय वाकई स्वर्ग है धरती का। दर्शन कराने के लिए धन्यवाद। और चलते-चलते बस इतना ही कि घूमने के लिए किसी से कैसा मार्गदर्शन लेना...बस निकल पड़िए, प्रकृति-माँ स्वयं ही राह दिखाएगी और जो शानदार अनुभव मिलेंगे वो मुफ्त में....। आपका सचिन..।
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