"किसी हिमालयी अंचल की ऐसी यात्रा जिसका प्लैन ब्लोगिये पूरी तरह चौड़े में ब्लॉग पर ही बनायें ", अपनी पिछली पोस्ट में ये प्रपोज़ल रखते हुए ये इमकान न था कि इसे इस कदर पसंद किया जाएगा । बड़ी तादाद में मिले कमेंट्स के अलावा ई -मेल भी बराबर मिल रहे हैं ,हालाँकि मैं पहले ही कह चुका हूँ दोस्तो कि ये प्रोग्राम पूरी तरह ब्लॉग पर ही तै होना चाहिए चूंकि तभी ब्लॉग -विधा की सार्थकता का अनुभव हम कर पायेंगे । हिमालय के करोड़ों मुरीदों में मैं शामिल हूँ और उसके दीदार की ख़ातिर गाहे-ब- गाहे जाना होता है । लेकिन, क्या मज़ा रहे कि कोई पंजाब से, कोई बंगाल से, कोई यू पी से तो कोई महाराष्ट्र से चला आए ब्लॉग विद्या के प्रताप से ! सर्व श्री अनिल पुसदकर , अनिल यादव, मीत , विनय ,आशुतोष ,इरफान और जिद्दी भाई तथा श्रीमती संगीता एवम् कुमारी रागिनी सिंह राठौर ने जिस तरह हौसला अफज़ाई की उसके लिए तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ सबका । दोस्तो ये पूछने पर कि कौनसी जगह चुनी जाए ,भाई अनिल यादव के खरे अंदाज़ ने हमें ला-जवाब कर दिया : "किसी भी ऐसी जगह- १-जहां मोबाइल का नेटवर्क न हो। २-अंग्रेजी लिखे लेबल वाली दारू न मिलती हो ३ -कम से कम एक रात खुले आसमान के नीचे, स्लीपिंग बैग में पड़े-पड़े बीते।जगह का नाम कबाड़ियों के खिमलू अशोक पांडे से जाना जा सकता है।
13 April 2009 22:५८"
15 April 2009 04:22
Ashok Pande said...
"सात ताल की सबसे बड़ी झील को पार कर लेने के बाद थोड़ा चढ़ने के बाद एक खुला मैदान आता है. किसी ज़माने में वह भी झील हुआ करती थी. वहां जा कर क्रिकेट खेलने के मेरे कुछ यादगार अनुभव हैं. मेरे मित्रों गौरी राणा और शिवा राणा ने उस के ऊपर एक कैम्प साइट बनाई है.झील ही मैन्डेटरी न हो तो भीमताल से नौकुचियाताल की तरफ़ जाने वाली सड़क से बांईं तरफ़ एक रास्ता जंगलियागांव नाम की जगह को जाता है. उस इलाके में तमाम बेहतरीन स्पॉट्स हैं जहां तम्बू गाड़े जा सकते हैं.रामगढ़ का भी आइडिया बहुत बुरा नहीं है. वहां से नीचे तल्ला रामगढ़ तक जाने पर कई ऐसी ही जगहें तलाशी जा सकती हैं.हां नैनीताल से करीब २० किलोमीटर की कच्ची पक्की सड़क पार कर लेने के बाद आप किलबरी, पंगूट, विनायक इत्यादि में से किसी भी एक जगह के बारे में भी सोच सकते हैं.चूंकि मैं ख़ुद मोटरसाइकिल वगैरह नहीं चलाता सो मैं तो फ़कत गाइड का काम कर सकता हूं.हां अनिल भाई की बताई सिफ़ारिशों के हिसाब से तो मुनस्यारी से अच्छा कोई ऑप्शन है ही नहीं. वहां पाई जाने वाली च्यक्ती नामक गुणकारी आयुर्वेदिक दारू को विजय माल्या की नज़र न लगे! ज़्यादेतर मोबिलायल भी वहां काम नहीं करते. और सामने का नज़्ज़ारा ... उफ़ उफ़ ...! आठ किलोमीटर की क्रोज़ फ़्लाइट पर पंचचूली की महान चोटियां ... दूरी-समय वगैरह इन्टरनेट पर चैक कर लेवें.फ़िलहाल इतने ही विकल्प देता हूं.देखिये!शुभ हो!"
अब इसके बाद भी अगर ये ट्रिप नहीं होता है तो क्या इतिहास कभी हमें माफ़ कर पायेगा ? क्या ब्लोगरों की आने वाली नस्ल कभी माफ़ कर पाएगी हमें ? ........और क्या ब्लॉग महज़ लफ्फाजी का औज़ार भर बना रहेगा हमेशा?
मोटरसैकल पकौड़ा और पुलिस परोठा की फोटुक बढिया है!
ReplyDeletejai ho !
ReplyDeleteJitni jagho ke naam apne likhe mai in sab ja chuki hu...per fir bhi muh mai pani aa raha hai...lagta fir se jana hi parega...
ReplyDeletephoto bahut achhe hai...
most welcome to join this expedition ! Since u r from Nainitaal , it will be a big moral-booster for the team comprising bloggers from all over India. Let us see how many!
ReplyDeleteblog achcha hai.. jankari bhee........
ReplyDeleteअरे मुनीश जी ! आपने मेरा नाम डाल दिया पोस्ट में! एक बार फिर मेरी शुभकामना ! अशोक जी की बताई जगहों के बारे जान कर सोचा - काश मैं भी शामिल हो सकती इस यात्रा में पर ..........
ReplyDeletepar kya....? kya par ? we r going to create history--the first ever car and bike trip of hindi blog community arranged via Blog! If u r for it then get ur friends agree,but they should be bloggers with ACTIVE blogs! koi shaq??
ReplyDeleteउत्तम ब्लॉग...उत्तम विचार!
ReplyDeleteHarsh speak up about the trip now !
ReplyDeleteThanx Pallavi ! Together we shall, i mean we all, change the world of blogging for ever. Give a company to li'l Ragini. will u ? my Hindi tool is not wo'king ,pls don't be annoyed.
ReplyDeleteDear Bloggers,
ReplyDeleteAll options suggested by Ashok Bhai r worth a visit, but it is going to be the first visit of this kind so let us start with his first option i.e. Ground near Sat-taal . Henceforth, this trip is going to be called 'Mission Sapt-Sarovar'. If anyone has any objection , he or she may file it by tomorrow.
Munish
majedar
ReplyDeleteहमारा समय तो हिम्मत जुटाते ही बीत जायेगा. आप तो घूमिये और अपने निराले अंदाज में वृतांत सुनायें.
ReplyDeleteफोटॊ बहुत बढिया लगे।अच्छा वृतांत सुनाया।
ReplyDeleteअभी वृत्तांत शुरू होना है परमजीत जी । समीर भाई यात्रा का सरल, सुहाना कार्यक्रम रहेगा । पर्वतारोहण या बंजी- जम्पिंग इसमे शामिल नहीं । एक समय का डिनर आपके खाते से हम वैसे ही करने वाले हैं , बेहतर है आप आयें । जहाँ तक गाड़ी जायेगी तम्बू वहीं गढेगा ।
ReplyDeleteBhaee Anil join us!
कभी झूमरी तिल्लैया आइये --ज़बरदस्त ,खूबसूरत जगह है ....बाकी प्रोग्राम सुन ने में kaafi tempting...
ReplyDeleteसिर्फ़ सुनने में नहीं पारुल ,देखने और जीने में भी ये अनुभव यादगार होगा बशर्ते लोग ये समझें की सबसे बकवास बात है सपनों का मर जाना ! मैंने कोई टूरिस्ट एजेन्सी नहीं खोल रखी, बस ये सपना है कि ब्लॉग के ज़रिये महज़ लफ्फाजी से हटकर भी कुछ हो । बेशक़, भविष्य में कभी झूमरी का प्रोग्राम भी होगा पर अभी बस मिशन सप्त-सरोवर।
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