एक आदमी रोटी बेलता है ,
एक आदमी रोटी खाता है ,
एक तीसरा आदमी भी है जो रोटी से खेलता है ,
ये तीसरा आदमी कौन है ?
मेरे देश की संसद मौन है !
आपको आज संसद के मौन होने की याद बडे मौक़े से आई. जिस हिक़ारत से आप इस संसद को देख रहे हैं...यह उसके मौन होने पर आपका मुखर विरोध है.
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन प्रस्तुति , धूमिल की झंकझोर देने वाली अच्छी रचना याद दिलाई.
ReplyDeleteआज संसद ने आपको कभी-कभी याद दिला दिया लगता है !! चलिये ठीक है यहा जबकी आधा भारत सो रहा है कोईजाग तो रहा है भले कभी कभी ही सही
ReplyDeleteअब तक तो मौन था, अब बेहयाई से बोलने भी लगा है....
ReplyDeleteन हिकारत न शरारत , खामोश सा तकता हूँ मैं बस एक इमारत.
ReplyDeleteफ़ोटू बढ़िया है. लग रहा है जैसे प्रलय के ठीक पहले मनु सृष्टि का अन्तिम अवलोकन कर रहे हैं ... लेकिन वस्ताद, यहां न तो ऊपर हिम है न नीचे जल ... न कोई भो...वाला तरल है न सघन...
ReplyDeleteआइये इस प्रलय वेला में भांगड़ा पाया जाए और कुछ तरल गरल को कुक्कुटासव के साथ उदरस्थ करने के उपरान्त स्काउट ताली बजाते हुए अपनी अपनी जोग्यतानुसार कहा अथवा गाया जाए (कहने का अभिप्राय है कि यदि गाना न आता हो गाया जाए और कहना न आता हो तो बस कहा जाए) -
ये देस है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का
इस देस का यारो ... होए!
इस देस का यारो ... हुर्र !!
wah janab khy khub kahi. aaj sansad moon bhi aur lachar bhi sansad mai note ki bhuchar na logo ka viswas chin liya hai
ReplyDeleteBahut zuroori hai scout taali,
ReplyDeletevarna jeene na degi duniya saali.