Saturday, 17 May 2008

फोटोनामा : 'क' से कश्मीर

खूबसूरती ---चाहे जिस रंग या फॉर्म में हो शोखी और बेवफाई उसकी पुरानी आदतें रहीं हैं !साबुन की बट्टी कीतरेह हाथ से बस फिसलने को मचलती है ! कश्मीर की भी यही दास्ताँ है , बाक़ी उसके हाल पे जितना चाहे रोइए , सच इतना ही है । मयखाने में वैसे भी रोने की मनाही है । हिन्दी के एक शायर हुए हैं जनाब बाल कृष्ण शर्मानवीन' , आप फरमाते हैं ,'' जिसके 'गट्टे में ताक़त है , है उसीकी वसुंधरा"। सो जिन जाँ-निसारों ने कश्मीर संभालरखा है उनको सौ बार सलाम । गए साल अपने बड़े भाई साहब के साथ कश्मीर जाना हुआ । ब्लोग्गिंग का तब रोगलगा न था वरना और तसवीरें लाता । बहरहाल ये सभी फोटू हमने फ़िल्म रोल वाले याशिका कैमरे से लिए हैं औरहमारे प्रिय मित्र इरफान की कलाकारी के ज़रिये आप तक पहुँच रहे हैं । अभी कुछ और भी हैं गर ये पसंद आए तोउन्हें भी ज़ुरूर लगायेंगे साहेब। श्रीनगर शहर उतना ही गन्दा है जितना के हो सकता है सो ज़ियादा ध्यान कुदरतीनज़ारों को क़ैद करने पे दिया गया है ! उड़ान से पहले श्रीनगर : ३.३० p.m. पहलगाम रोड टू पहलगाम पहलगाम यानी चरवाहों का गाँव वो कौन थी ? मैं और मेरी तन्हाई गुलमर्ग की ओर भाईसाहेब फिसला-फिसली मौसम का जायज़ा goldflake moments बर्फ गाडियाँ १२विन् सदी की एक शिला फौजी स्टैंड गुलमर्ग में एक उजाड़ चर्च डल पुराना गिरजा: श्री नगर डल के किनारे एक ' डल आदमी ' अल सुबह: डल अकेला पेड़ मैं वापस आऊँगा तुझसे ये वादा मेरा

6 comments:

  1. बहूत अच्छी लगी आपकी फ़ोटो !!आपके पुराने फ़ोटो मे नये कंमेंट के लिये ५०% बधाइ आपको बाकि के ५०% आपके तकनीकी सलाहकार इरफ़ान जी को !!

    एक और सलाह है आपके मयखाने के दरवाजे मे ये तख्ती भी टांगीये गा ये आपके मयखाने को बिल्कुल सुट करती है!! तख्ती है

    मंदिर मस्जीद भेद कराते ,मेल कराती मधुशाला "

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  2. मान्यवर,
    अत्यंत खेद के साथ सूचित किया जाता है कि ये तस्वीरें उत्तम हैं मगर इनका असर मुझ पर उलटा हुआ है। मैं अवसादग्रस्त हो गया हूं। मेरे प्रिय बड़े भाई स्वर्गीय अनिल की याद ने दबोच लिया है। कभी हम भी यूं ही तफरीह के ख्वाब देखते थे जैसे आप अपने भैया के साथ मगन हैं।
    आप अन्यथा न लें, सच कह रहा हूं। यूं ही भैया के साथ खुशनुमा लम्हों का मज़ा लेने के मौके जुटते रहें। आमीन...

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  3. डल के बीच सुडौल. अच्छे चित्र

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  4. भाई अभी पिछले महिने मेरे मित्र भी श्रीनगर से लौट कर आए हैं और कह रहे थे कि कश्मीर में श्रीनगर के आलावा सब बेहद सुंदर है। डल झील का पानी तो इतना प्रदूषित हो गया है कि सिकारे पे रहने का मज़ा किरकिरा हो जाता है। वैसे आपके चित्रों में मुझे डल की अल सुबह कमाल लगी।

    और हाँ मेरा कैमरा मामूली सा SONY W5 with 3 x optical zoom है।

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  5. वो बचपन का रटा याद आया - गर फ़िरदौसे बर्रुए ज़मीं अस्त ... - वाह

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  6. भाई ये नाइंसाफ़ी क्यों? आपने तो वादा किया था कि आख़िरी फ़ोटू का शीर्षक आप मेरे कहे के मुताबिक़ रखेंगे- अई-अई या करूँ मैं क्या सूकू-सूकू...

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