Sunday 13 April 2008

भारतीय सेना में आरक्षण : कहिये क्या ख़याल है ?

सरकारी इदारों और तालीमी शोबे में आरक्षण के पैरोकारों से मयखान्वी पूछना चाहेता है दोस्तो के हिन्दोस्तानी फौज में आरक्षण की मांग कब उठाई जाने वाली है ? चूंकि ले-दे के जाने कैसे यही एक इदारा है जो समाजी बराबरी के इस लासानी इलाज से महरूम हैयही नहीं वहां अभी तक ऊंचे तबके के लोग ही कमान संभालते आए हैं , अब बताइए इतने बड़े सितम को जाने क्यूं नज़रंदाज़ किया जाता रहा है ? फौज भी तो society का अहम् हिस्सा है ! जब डाक्टर और इंजिनियर बनने से , सिविल अफसर बनने से समाजी बराबरी आती है तो कर्नल और जनरल बनने से भी यकीनन आयेगी ही देश के लिए मरने के मामले में भी अब मेरिट खत्म करनेपर विचार करने का वक़्त क्या नहीं गया है ? जिस दिन ये सवाल देश के किसी बड़े अखबार के पहले पन्ने पे जगह पा लेगा वो दिन तवारीख में दर्ज होने लायक होगा कहिये क्या ख़याल है ?

9 comments:

  1. बढ़िया है मुनीश भिड़ू..
    अनिवार्य फौजी सेवा करवा दो प्लीज हिन्दुस्तान में...कुछ तो फर्क़ पड़ जाएगा...

    ReplyDelete
  2. आज ये बात हमने कही है अजित भाई चूंकि इस मसले पे हो चुकी तमाम निरर्थक बहसों में एक यही अहम् मुद्दा आज तक नहीं उठा । बात अनिवार्य सेवा की नहीं है ,बात है केवल जाती आधारित आरक्षण को सेना में लागू करवाने की । जिस दिन कोई सरकार सेना से ये कहेगी वो दिन इस देश के तमाम कष्टों का निवारण कर देगा । आइये सेना में आरक्षण लागू करने की आवाज़ बुलंद करें ।

    ReplyDelete
  3. बस !बस !हँसी मजाक तक ही ठीक है.
    मुनीश जी ,काहे को सुबह -सुबह इतना ज्वलनशील मुद्दा उठाते हैं???

    ReplyDelete
  4. मुद्दा तो उठा दिया है!

    ReplyDelete
  5. अल्पना बहिन यही सवाल इस देश के सारे सवालों की चाभी है ?
    मरने जाय राजपूताना और डोगरा रेजिमेंट गीता का पाठ sun के और महाभारत में भीष्म पितामह ने क्या कहा सैनिक के धरम के बारे में !! और देश पे राज , प्रशासन में आवाज़ हो

    किसी और ही बलबूते ...वाह!

    ReplyDelete
  6. बात ऐसी है की कल ही PD के ब्लॉग पर हम ने अपनी राय दी..और रात NDTV पर एक कार्यक्रम we the people -में the caste debate सुनी--रात १२ बजे तक आयी थी--उसे सुन कर वैसे ही दिमाग खराब हो रखा था इसलिए सुबह आप का लेख पढ़ कर ऐसा कहा..
    वास्तव में आरक्षण नाम का कीडा देश को खा रहा है--और आगे अगर ऐसा ही रहा तो यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण ही है. आर्थिक अधर पर आरक्षण हो अगर करना ही है तो--कल शरद पवार और उनकी बेटी भी आरक्षण के खिलाफ ही बोले थे--
    चिकित्सा ,सेना और तकनिकी जैसे क्षेत्रों से इसे दूर ही रखें तो अच्छा होगा--सेना में आरक्षण दे कर जल्द ही इतिहास दोहराना चाहते हैं तो बात अलग है-लेकिन एक बार gulam हुए तो अब वैसे देश भक्त फ़िर जनम नहीं लेंगे-यह भी तय है----अल्लाह मालिक हैहिंदुस्तान का!
    sorry if i offended anyone-

    ReplyDelete
  7. चलिये आप ने हाले दिल कह ही दिया तो उसी पर

    बालर ने बालिंग कि
    तो बाल बेट से नही बाये पैर से टकरायी "
    पब्लीक ने एल बी डब्लु ,एल बी डब्लु की आवाज लगायी ""
    अँपायर बोला खामोश !! क्रिकेट है या लूट "
    बॆट्स्मेन हरिजन है इसे तीन एल बी डब्लु कि छुट ’
    नियम कानून से खेले आओ "
    और एक एल बी डब्लु मे आउट करना है
    तो ब्राह्मण बेट्समेन लाओ ""

    (सुरेन्द्र दुबे)

    ReplyDelete
  8. THIS IS 'THE ISSUE' INDIA CAN NO LONGER IGNORE!

    ReplyDelete
  9. agar sena main bhi lambai chaudai main jaati dharm ya kisi bhi prakar ke aarakshan ke naam par chut di jani lagi to sena ka bantadhar ho jayega.aakhir har cheez ki ek seema hoti hai aaya to aarakshan 10 saalon ke liye tha par ab lagta hai ki gandi rajnti ke karan isko khatm karne wale masiha kaontezar karna hoga.rajyon ki police ki nukari main pehle se hi aarakshan lagu hai, aur aarakshan hi samajik aarthik pichdepan ki dawa nahi hai.

    ReplyDelete