Sunday 6 April 2008

मयखाने में लस्सी !!

हूशहरियाणवी बच्चे ,जिनके साथ मैं पला बढ़ा , अक्स़र किसी भी बड़े -छोटे को पकड़ लेते और कहते ''तू कह लस्सी '' या ''ताऊ बोल लस्सी '' और जब वो बोल देता ''लस्सी'' तो जवाब होता ''हत्तेरी नाक में रस्सी '' और फ़िर लस्सी और रस्सी की इस rhyme पर लगता एक पुरज़ोर ठहाका जिसमे दोनों ही पार्टियाँ बराबर की पार्टनर होतीं । ''हल्दी'' ...''तेरा ब्याह जल्दी '' का फार्मूला लड़कियों पे आज़माया जाता । बहर हाल , आज भी कभी लस्सी का गिलास देखता हूँ तो लड़कपने का वो मंज़र आंखों के सामने तैर जाता है और लस्सी की वो सोंधी महक और दिलकश ज़ायका भी याद आता है जो कुल्हड़ या कलई वाले पीतल के गिलास की लस्सी में होता था । यूं तो आज लस्सी पाँच सितारा होटल से लेकर छोटी बड़ी दुकानों में आज भी बिकती है मगर नातो वो वैसी दिखती है और न ही स्वाद वो रहा । हरियाणवी रेफेरेंस में बोलने से ये मतलब न लगाया जाए के लस्सी बनाने का कोई ख़ास फन रहा हो वहां । हरियाणा की USP है छाछ या मट्ठा । लस्सी नफासत मांगती है के कितनी देर उसे बिलोया जाए और मीठा किस मिक्दार में डलेगा और ये फन पुरानी दिल्ली , जयपुर , मथुरा , मेरठ और अमृतसर के पुश्तैनी हलवाइयों के यहाँ आज भी मिल जायेगा मगर ज़रा ढूँढना पड़ेगा , ढूँढने लायक है भी ! साथ में भांग का ठेका भी दिखाई दे तो समझो मंजिले मक़सूद पा ही ली आपने ! चीयर्स !! इरफ़ान said...

अरे आप धोखे का खेल कब बंद करेंगे. वादा किया था कि किंगफिशर एयरलाइंस से ले चलेंगे और बैठा रहे हैं गणेश टेम्पो में?

07 April 2008 20:३८

munish said...

अभी इब्तेदा है मियां ....शिरीगनेश है सो गनेश टेम्पू हैगा । अभी किन्गफिशेर एयर लाइन में दारू बाँटने का फरमान जारी तो करने वाली है ही सरकार सो उसमे मज़ा भी जभी आएगा जाने का ।

08 April 2008 09:36

DeleteDelete

17 comments:

  1. अरे बनारस और इलाहाबाद की लस्सी को कैसे भूल गए आप।

    भाई हमे तो बनारस की मलाई वाली लस्सी की याद आ गई। :)

    ReplyDelete
  2. सही कहा ममता जी ने , बनारस की लस्सी का अपना एक अलग ही मजा है , वह भी जब शाम के समय गोदौलिया चौराहे पर लस्सी का आनंद लिया जाय , तो....!

    ReplyDelete
  3. इलाहाबाद की लस्‍सी ममता जी ने याद दिलाई ना ।
    मुझे इलाहाबाद की तमाम चीजों से परिचित ही एक ममता जी ने करवाया है जो हमारी पत्‍नी हैं । और रेडियोसखी ममता के नाम से जानी जाती हैं ।
    हमारी ससुराल की लस्‍सी का जिक्र नहीं किया तैंने ।
    बड़ी बेईमानी सै रे ।

    ReplyDelete
  4. इत्तेफाके राय रखता हूँ आप तीनों से , मुआफी चाहेता हूँ सो अलग !

    ReplyDelete
  5. और हल्द्वानी में लंगड़े की लस्सी का क्या हुआ! बरेली की जगत प्रसिद्ध सीताराम की लस्सी ... बग़ैर दही वाली रघु भाई की लस्सी का क्या ज़िक्र किया जाए फ़िलहाल.

    खैर उम्दा पोस्ट ... वही ससुर नॉस्टैलजिया!

    ReplyDelete
  6. वो तो कभी पिलानी पड़ेगी असोक भाई तभी पता पड़ेगा के बिन दही लस्सी और बिन बट रस्सी कैसी होती है ?

    ReplyDelete
  7. I agree with you and all you agree with - including Lassee [:-)]

    ReplyDelete
  8. ye to .......matlab ki hona hi chahiye!

    ReplyDelete
  9. अरे आप धोखे का खेल कब बंद करेंगे. वादा किया था कि किंगफिशर एयरलाइंस से ले चलेंगे और बैठा रहे हैं गणेश टेम्पो में?

    ReplyDelete
  10. अभी इब्तेदा है मियां ....शिरीगनेश है सो गनेश टेम्पू हैगा । अभी किन्गफिशेर एयर लाइन में दारू बाँटने का फरमान जारी तो करने वाली है ही सरकार सो उसमे मज़ा भी जभी आएगा जाने का ।

    ReplyDelete
  11. नदी,पेड,पहाड,सुख दुख , गम,दम,नेता, अभिनेता,समाज ,सरकार ,इन सबसे तो ब्लाग्वानि भरी पडी है,बस लस्सी हि नया लाँच है !! इसिलिये हमे मयखाना अच्छा लगता है ।

    ReplyDelete
  12. आपने सिरिफ ब्लॉग पसंद नहीं किया दीपक बाबू, आपने जीवन का फल्सफ़आ समझा है । लस्सी एक गुणकारी , वीर्यवर्धक चीज़ है और देश में वीरता का अंदाजा इसी चीज़ से लगता है । देश में जब तक लस्सी है , ये देश है!

    ReplyDelete
  13. जी हाँ आपका कहना दुरस्त है ,मेरठ के कुछ हल्वयियो के पास ये लस्सी मिल जायेगी ,कभी आयेगे तो पिलवा देंगे .ओर रही बात मयखाने मे लस्सी की तो...हमने गोलगप्पे के पानी मे लोगो को दारू मिलाकर गोल्गाप्पो को भी खाते पीते तो देखा है.....

    ReplyDelete
  14. Munish Jee,

    Lassi ko north india tak simit na kariye bhai, Madhya Pradesh ke shahar Indore me ek lassi ki dukan hai, sarvate bus stand par, uska naam hai "Ghamandi ki Lassi" . Vinod Dua ne bhi apne khanpan ke program me is lassi ki dukan ko cover kiya hai.

    MP ke baki shahar aur Gaon bhi lassi me apni 1-2 prakhyaat dukanon ke liye famous hain.

    Akhilesh

    ReplyDelete
    Replies
    1. नाम भी शानदार जनाब घंमडी की लस्सी वाह जी वाह । मैंने पीनी है जी ।

      Delete
  15. और भाईसाहब, मुंबई को कोई क्यूँ याद नहीं करता? वहां लहसुन की तीखी चटनी और तली हुई मिर्ची के साथ तीखे वडा पाव खाने के बाद लोग लस्सी की मिठास अजमाते है . और इसमें मशहूर है दादर के श्री कृष्ण के वडा पाव और पास के रानाडे मार्ग की बनारसी भैये की लस्सी .
    वह यह पोस्ट से, तो भारत का लस्सी दर्शन हो गया !!!!

    मेहुल दवे

    ReplyDelete
  16. अजी लस्सी और वो भी मुंबई में । ये तो जनाब आज ही जाना । धन्यवाद ।

    ReplyDelete