Monday, 31 March 2008
मयखाने का पहला जाम .
मुल्क में रवायत है के तमाम दारू के ठेकों और मयखानों के लाइसेंस अप्रैल की पहली को ही रिनू होते हैं और नए भी इसी मुबारक रोज़ जारी करे जाते हैं । सो हमने भी कही के भई इससे माकूल महूरत और क्या होगा अपने मयखाने की शुरुवात का । वैसे इस ब्लॉग की लॉन्च -पार्टी की बात भी चला रखी है हमने । उसे अब पोस्ट -लॉन्च पार्टी के तौर पे मनायेंगे फिलहाल कारोबार तो चालू हो । कोई आध घंटा ही बचा है अभी पहली तारीख में।
बहरहाल आज लक्स्मन राव नाम का ऐसा आदमी देख के आ रहा हूँ जो चाय बना के बेचता है साहेबान वो भी रोड के किनारे बगैर किसी खोखे के निपट ज़मीन पै धरे स्टोव पै । जो लोग दिल्ली के हिन्दी भवन गए हों शायद वो उसे जानते हों । अपने दम पै अकेले ये आदमी छै: किताबें लिख के छपवा चुका है । उसे भारतीय अनुवाद परिषद् का पुरूस्कार मिल चुका है और चाय छानते हुए वो हिन्दी साहित्य जगत की वो पोल पट्टी खोलता है के आप गश खा जाएं। मयखाने में आज सबसे पहला जाम लक्स्मन राव चाय वाले के नाम .http://www.tribuneindia.com/2005/20051120/society.htm#१
गया था वहां बच्चन जी की जन्म शती के प्रोग्राम में जहाँ हिंदुस्तान टाइम्स की पूर्व पत्रकार इन्दुजैन ने हमें ऐसे इंसान से मिलवाया के फ़िर तबीयत न हुई प्रोग्राम में शिरकत की । कभी उस आदमी का interview लाऊँगा ,फिलहाल आप ऊपर वाला लिंक देखें ।
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चलिए शुरुआत हुई - सलाम
ReplyDeleteआप पहला जाम ज़मीन पर बैठाकर पिलाएँगे! लगता है आप पुराने ज़मीनदार हैं.
ReplyDeleteगूड ओपनिंग ! अब मयखाने मे रोज आया करेंगे "
ReplyDeleteपीना पिलाना
ReplyDeleteनहीं काम हमारा.
http://nukkadh.blogspot.com/
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आपके लिए उपयोगी लिंक्स, महत्वपूर्ण सूचनाएं.