Saturday, 29 October 2011

योकोहामा रात की बाँहों में....

For a Delhiite like me, the Ocean invariably holds an exotic charm! Therefore, during my stay in any port city, the 70 percent chances on a weekend are that you find me loitering around the promenade by the bay area. This weekend was not any exceptional , spent at Yokohama harbour ogling wistfully at the charming cruise ships sailing in and out of the bay . Then there is Hikawa Maru the giant luxury liner majestically anchored there . This ship has been turned into a museum now the luxurious interiors of which evoke the memories of Titanic… well as seen in the movie only . Sun sets early and by 5pm it is pitch dark and the lights in various hues impart a distinct and somewhat magical charm to this entire area .

The city of Yokohama ,by the way, has been sister city of Bombay since 1965 and it is an official status based on a mutual agreement . Like Mumbai this city also used to be a fishersmen's village . Inaugurated on 2 June 1859 the port of Yokohama was the the first one opened by Japan for foreign trade on regular basis . The unique architecture has a clear western influence and the city showcases the beauty and cultural richness of Japan with an international appeal.

14 comments:

  1. बोतल जिन्दाबाद,

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  2. maikhaane main pyaas na bhuji to tere dar pe aake baith gaye
    ab teri marji hai hosh main chod de ya behosh kar de

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  3. सही जगह आए हो यार देखो संदीप भाई पीते नहीं फिर भी आते हैं । तुम भी उनके सुर में सुर मिला के बोलो अक...बोत्तल की जय ।

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  4. सुन्दर चित्र। यदि चित्रों के साथ विवरण लगायें तो उत्सुकता शांत हो। फ़िलहाल तो अंतिम चित्र का विवरण दे दीजिये।

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  5. क्या यह मुम्बई की दूरी बता रहा है?

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  6. @ Smart Indian- जी प्रसन्नता का विषय है कि आपने रुचि ली । इस शहर का इतिहास अत्यधिक रोचक है । बहरहाल ये तमाम तस्वीरें योकोहामा बंदरगाह के आस-पास की हैं , कुछ वहीं की हैं और पहली तीन चार तस्वीरें जून में ली गई थीं बाकी कल की हैं । जी हाँ ये मुंबई की दूरी बता रहा है हालांकि समुद्र मार्ग मुझे तो लंबा लगता है पर लगने और होने में तो फर्क है ना । भारतीय व्यापारी यहाँ 1860 में आए और फिर 1925 के महाभूकंप के बाद कोबे शिफ्ट हो गए । वो जौहरी थे या फिर ऱेशम , रत्नों और हाथीदाँत के सौदागर थे । यही वो समय था जब यूरोप और अमरीका के लिए जापान ने दरवाजे खोले । यहाँ तक कि चीनियों की आमद भी तभी हुई । इससे पहल सिर्फ हालैंड और पुर्तगाल से बराय नाम व्यापार था और जापान दुनिया से खुद को काटे हुए था जान बूझकर एक नीति के तहत लेकिन अमरीका ने उसे मजबूर किया कि या तो दरवाजे खोलो वरना लडो । तब कानागावा का बंदरगाह खुला पर फिर जल्द ही सुविधा के नाते योकोहामा को बनाया गया । विदेशियों को वहाँ एक खाई और तारों से घिरे इलाके में ही रहने की इजाजत थी । नुक्ते टाइप नहीं हो पा रहे हैं इसलिए माफ करें । आप जो जानने के इच्छुक हों लिखें खुल कर ।

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  7. अंतिम चित्र एक लोहे की टाइल का है जो धरती में जड़ी है और इस पर आप मुंबई की भौगोलिक स्थिति के साथ उसके गेट वे ऑफ़ इंडिया को देख सकते हैं । दुनिया के कई बंदरगाह शहरों के साथ योकोहामा के भगिनी संबंध हैं और मुंबई उनमे से एक है । शायद आप देख पा रहे हों कि ब़ॉम्बे को ही मुंबई उसी टाइल पर किया गया है ।

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  8. भूकंप 1923 का था माफ़ करें ।

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  9. The sea is always enchanting, esp. with that bottle in one's hand. Beautiful pics.

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  10. Yeah ENchanting...enchanting is the proper word huzoor , shukria for being a humsafar !

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  11. @Arvind- Ji Kaun si vaali ye to bataiye na !

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  12. लाजवाब चित्र हैं सभी ...

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