Thursday 20 May 2010

मयखाने में 'रोमन हौली डे '

मुझे अब भी याद है कि अभिनेत्री ऑड्रे हप्बर्न एक शहज़ादी की भूमिका में थीं और ग्रेगरी पेक एक पत्रकार की अपने बहु-प्रचारित दौरे पे निकली शहज़ादी रोज़मर्रा के नीरस , मशीनी शेड्यूल से इतना उकता जाती है कि अपने रोम- प्रवास के दौरान भाग निकलती है और एक पत्रकार उसे कोई बेसहारा समझ कर घर ले आता है वो सोई हुई है और पत्रकार को उसी की प्रेस-कोन्फ्रेंस कवर करने जाना है ये उसे कॉन्फ्रेंस पहुँच कर पता चलता है कि जिसे वो सोते हुए अपने घर में छोड़ आया है वही शहज़ादी है और वो किसी को कुछ बताये बिना अपने एडिटर से शानदार स्टोरी का वायदा करते हुए वहां से निकल लेता है शहज़ादी कभी आम लोगों के बीच नहीं रही और वो उनकी तरह एक बार जी लेना चाहती है मग़र कब तक ...? बिल्कुल भारतीय या कहूँ यूनिवर्सल सेंसिबिलिटी की फिल्म है जिसे आप बाल-गोपाल के साथ भी देख सकते हैं और खुश हो सकते हैं कि कभी ऐसी-ऐसी भी ला-जवाब फ़िल्में थी पुरानी क्लासिक है और मैंने कोई तीन साल पहले देखी थी dvd मिल जायेगी , देखिये और बताइए फिलहाल ट्रेलर....

2 comments:

  1. Trailer to achha hai...ab to DVD dhundhni hi paregi...

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  2. Had seen it during my school days, but I don't remember anything of it. Unfortunately, its DVD won't be available in Almora.

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