हिंदीसिनेमाकेशराबीगीत ( वाक़ईअंतिमगीत ) उनसभीमयखानाप्रेमियोंकेसाथसुननाचाहताहूँयेमस्त-मस्तगीतजिन्होंनेशराबीगीतोंकायहाँभरपूरमज़ालिया ....गीतजिनकामज़ालेनेकेलिएशराबीहोनाकतईज़रूरीनहींहै ! दोनों विडियो लगा दिए हैं चूंकि एक में शुरूआती " चौपाई " है और दूसरे में फ़िल्मी विडियो । दुर्लभ आइटम है , सुन लें !
मछुआरो की एक बस्ती मे वार्शिकोत्सव मे जब मैने देखा की चार-चार बोतल कच्ची पीने के बाद भी भाई लोग out होने का नाम नही ले रहे है,तो जब अपन पाव-पव्वे मे ही उट्ने लगे तो बताया गया कि दारू पीते वक्त अप्नी जगह से हटो/हिलो मत,वर्ना दारु पेट मे छल्केगी...और फ़िर...चदेगी दिमग पे !! तो ये नुस्खा है लम्बी दौड का....!!
तो क्या कर रहे हो साकी...काका-बच्चन का एक दो बार नाम ले के निकल्लिये आप तो....
देखो यार ऐसा न हो के फ़िर बोल्ना पडे कि......
मुनिश भाई...... जितनी हम छोड दिया करते थे पैमानो मे, अब उत्नी भी मयस्सर नही "मयखानो" मे !
वाकई दुर्लभ आइटम ...
ReplyDeleteboss vdo nahi dikh raha hai.
ReplyDeleteho sakta hai mere net ki problem ho. kal phir koshih ho. sameer ne tareef ki hai to bhdhiya hi hoga
अरे दोस्त अभी से कहा --वाक़ई अंतिम ?!
ReplyDeleteमछुआरो की एक बस्ती मे वार्शिकोत्सव मे जब मैने देखा की चार-चार बोतल कच्ची पीने के बाद भी भाई लोग out होने का नाम नही ले रहे है,तो जब अपन पाव-पव्वे मे ही उट्ने लगे तो बताया गया कि दारू पीते वक्त अप्नी जगह से हटो/हिलो मत,वर्ना दारु पेट मे छल्केगी...और फ़िर...चदेगी दिमग पे !! तो ये नुस्खा है लम्बी दौड का....!!
तो क्या कर रहे हो साकी...काका-बच्चन का एक दो बार नाम ले के निकल्लिये आप तो....
देखो यार ऐसा न हो के फ़िर बोल्ना पडे कि......
मुनिश भाई......
जितनी हम छोड दिया करते थे पैमानो मे,
अब उत्नी भी मयस्सर नही "मयखानो" मे !