Saturday 10 April 2010

आज----- दम मारो दम ........

भारतीय संस्कृति के अनुरक्षण एवम संवर्धन की दिशा में भारत कुमार उर्फ़ मनोज कुमार और सदाबहार देव साहब दोनों का योगदान श्लाघनीय रहा है , प्रशंसनीय रहा है । दूसरे विश्व युद्ध के बाद की पहली पीढ़ी जब जवान हुई तो अमरीका और यूरोप दोनों में हिप्पी कल्ट का आगाज़ उसी के साथ हुआ । ये लोग जीवन में बंधनों को व्यर्थ मान कर ,नाचने-गाने , घूमने -फिरने और नशीले द्रव्यों के सेवन में रत रहते थे । भारतीय युवा भी इस रंग में रंगने लगे तो देव साहब ने उन्हें सन्देश देने के लिए एक फिल्म बनाई ' हरे रामा-हरे कृष्णा' और इस प्रकार वो हिप्पी बनने से बच गए । इस गाने का आनंद लें ...सदाबहार गीत है ..अमर गान है..मुझे पसंद भी है ...आइये सुनें ......

5 comments:

  1. ये गीत तो सदा बहार है मुनीष भाई.

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  2. बचपन में पर्दे और टीवी पर कई बार देखने का मौका मिला है इस फिल्म को। गीत तो बढ़िया थे ही फिल्म की अंत में आने वाला लँगड़ाता नकाबपोश किरदार उस वक़्त रोंगटे खड़ा कर देता था।

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  3. पुराने गानों की बात ही निराली है. नए गाने चाह कर भी याद नहीं रहते, और पुराने गाने भुलाए नहीं भूलते. . . .

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  4. It was only yesterday that I was talking to an old friend of mine on the telephone and we went down memory lane to our university days. I was immensely saddened when he told me that three of our univ. contemporaries had died due to drugs. The 70's was the time when the hippie culture was at its peak and this film was released then. Our favourite dialogue from the film was "काठमांडू में रहना है तो जैनिस का साथ छोड़ दो"

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  5. गाना तो बड़ा अच्छा सुनवाया...सदाबहार गीत है...शुक्रिया

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