Saturday 31 October 2009

जाओ लाओ पिया नदिया से सोन मछरी ..........

आज अचानक यू -ट्यूब पे बच्चन जी की ये कविता मिल गई जिसे अमिताभ बच्चन ने ८० के दशक में विदेश में हुए किसी फ़िल्म समारोह में गाया था । पहले ये एक कसेट में थी भी मेरे पास मगर ....बहरहाल , मुझे ये रचना पसंद है और हो सकता है आपको भी हो । दुर्लभ लगी , बांटना चाहता हूँ -----

13 comments:

  1. सगरी बांट दई
    या कछु बचाई भी।

    ReplyDelete
  2. अमिताभ ने बहुत जीवट दिखाई है इसे गाकर -हम तो मधुशाला के चक्कर में अंत तक सुनते रहे -न तो सों मछली मिली न कोई स्वर्नपरी! बहरहाल शुक्रिया !

    ReplyDelete
  3. bahutachchi lagi yeh post.... video bh i dekha..........achcha laga......

    ReplyDelete
  4. लोकतत्व गीत का प्राण होता है . बच्चन जी ने उत्तरप्रदेश के इस लोकगीत को बेहतरीन ढंग से ’इम्प्रोवाइज़’ किया है . यह एक किस्म की गीतकथा है और एक नीतिकथा -- फ़ेबल -- भी, इसे पढते-सुनते हुए मुझे हमेशा रवीन्द्रनाथ का एक गीत याद आता है : ’तोमरा जे जा बोलिश भाई,आमार शोनार होरिन चाइ’. मुझे बच्चन का यह गीत रवीन्द्रनाथ से तुलना योग्य लगता है .

    हरिवंशराय बच्चन का यह गीत अगर बांग्ला समाज के पास होता तो अब तक दर्ज़नों नृत्य-नाटिकाएं तैयार हो गई होतीं और उनके हज़ारों-हज़ार प्रदर्शन हुए होते .

    पर हम तो हिंदीभाषी केकड़े हैं . रचनात्मकता हमारे लिये दूसरी-तीसरी या शायद अन्तिम वरीयता है . सबसे महत्वपूर्ण ’पासटाइम’ है एक-दूसरे की टांगखिचाई .

    सुंदर प्रस्तुति के लिये आभार !

    ReplyDelete
    Replies
    1. निश्चित ही।अब मैं इए नृत्य में उतारूंगी।ज़हन में बहुत दिनों से था।शनादार प्रस्तुति होगी

      Delete
  5. नीचे दी हुई लिंक पर जाकर रवीन्द्रनाथ का यह गीत रवीन्द्रसंगीत के विख्यात गायक देवव्रत बिस्वास की आवाज़ में सुना जा सकता है . क्रम संख्या 29 पर :

    http://www.calcuttaweb.com/gaan/rabindra/

    ReplyDelete
  6. ise to jitne baar bhi suno humesha hi nayi si lagti hai...

    bahut achha kiya apne ise yaha laga kar...

    ReplyDelete
  7. शायद यह बेली सागू और अमिताभ के संयुक्त म्यूजिक एल्बम का लोकगीत है. गीत सुंदर है और और कम्पोजिंग भी दिल को छू लेने वाली है. अमिताभ की बजाय अगर कोई और ट्रेंड गायक गाता तो खूबसूरती और बढ़ जाती, मेरा ऐसा सोचना है.

    ReplyDelete
  8. जी हाँ, इसमें लोकगीतों सी मिठास है। अच्छा लगा सुनकर।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    ReplyDelete
  9. munish ji, do u have its audio in mp3?
    if yes,could u plz send it on my mail....
    thanx in anticipation!

    ReplyDelete
  10. मैं आज यहां पहुंच गया अचानक और यह गीत सुना , दिल को लुभाने वाला है । अगर मेरा कमेन्ट आपकी नज़र मे आये तो मेरा बहुत बहुत धन्यवाद स्वीकार कीजिये ।

    ReplyDelete
  11. bahut dino bad ye geet suna.rajasthan main apne sathiyo k sath ise kai bar gaya hai.purani yadain taza karne k liye dhanyawad..

    ReplyDelete
  12. Ustad Amjad Ali khan ne Sarod per is geet ko jivit Kar daytey they.Sambhav
    ho to sunaiyay.

    ReplyDelete