Wednesday, 28 October 2009

हिमालय -दर्शन

हिमालय के विलक्षण सौंदर्य का वर्णन कई कवियों ने अपनी रचनाओं में किया है । अभी कुछ वर्ष पहले तो बद्री नाथ में वन विभाग ने स्वर्गीय भरत व्यास की रचना '' ये कौन चित्रकार है......'' एक बोर्ड पर लिखवा कर लगा रखी थी । तब कैमरा न था , वरना सड़क किनारे सरकारी बोर्ड पर हिन्दी सिनेमा से साभार लिया एक गीत लिखा देख कर आप सब को सुखद आश्चर्य होता । हिमालय के विभिन्न रंग आपके साथ बांटना चाहता हूँ मित्रो । ऊपर एक चित्र हिन्दुओं के अनूठे मन्दिर बदरीनाथ धाम का है जहाँ नर और नारायण दोनों पूजित हैं ---ऐसा दुनिया में और कहाँ होगा ! कुछ मूर्ख लोग कहते हैं भारत को एक 'राष्ट्र' की अवधारणा अंग्रेजों से मिली । काश वो जानते की इस मन्दिर में कम से कम हज़ार वर्ष से मुख्य पुजारी सुदूर केरल से ही आता रहा है । मन्दिर को राजनीति का अखाडा बनाने वाले भी न जानते होंगे कि सबसे विशाल हिंदू मन्दिर तो अब भारत में है ही नहीं , तो कहाँ है ? ये ढूँढिये नेट पे और आनंद लीजिये हिमालय के अद्वितीय ,अनिंद्य सौंदर्य का । कैमरा है फूजी S5800 !

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर चित्र हैं। बढिया पोस्ट।आभार।

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  2. बहुत ही सुंदर चित्र हैं भाई मुनीश जी। आनन्द आ गया। बर्फ़ीली चोटियों का विस्तार लुभा रहा है।

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  3. बहुत खूब मुनीश जी।मज़ा आ गया।चित्र देख कर मुझे मशहूर फ़ोटोग्राफ़र दयाराम चावड़ा से एक बातचीत याद आ गई।सुनाऊंगा किसी दिन्।

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  4. munish ji, ramram
    aap bhi bade ajeeb ho. aaj chitr to dikha rahe ho himalay ke or kal mujhe bol rahe the ki gujrat chala ja.
    kya hamara man nahin karta baraf dekhne ko?
    gujrat canceal, ab munsyari jaayenge. baraf dekhenge.

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  5. Beautiful photographs. Refreshed memories of my visit to Badrinath Dhaam in the summer of 2001.

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