Saturday 1 August 2009

भारतीय सेना में आरक्षण : कहिये क्या ख़याल है ?

सरकारी इदारों और तालीमी शोबे में आरक्षण के पैरोकारों से मयखान्वी पूछना चाहता है दोस्तो के हिन्दोस्तानी फौज में आरक्षण की मांग कब उठाई जाने वाली है ? चूंकि ले-दे के जाने कैसे यही एक इदारा है जो समाजी बराबरी के इस लासानी इलाज से महरूम हैयही नहीं वहां अभी तक ऊंचे तबके के लोग ही कमान संभालते आए हैं , अब बताइए इतने बड़े सितम को जाने क्यूं नज़रंदाज़ किया जाता रहा है ? फौज भी तो समाज का अहम् हिस्सा है ! जब डाक्टर और इंजिनियर बनने से , सिविल अफसर बनने से समाजी बराबरी आती है तो कर्नल और जनरल बनने से भी यकीनन आयेगी हीदेश के लिए मरने के मामले में अब मेरिट खत्म करनेपर विचार करने का वक़्त क्या नहीं गया है ? जिस दिन ये सवाल देश के किसी बड़े अखबार के पहले पन्ने पे जगह पा लेगा वो दिन तवारीख़ में दर्ज होने लायक होगा कहिये क्या ख़याल है ?

4 comments:

  1. munish ji,
    main arakshan ko pakka virodhi hoon. arakshan se to or jyada jatiwad badhta hai.
    sena me arakshan ka naam mat lo. abhi jin logon ka sena me ekadhikar hai, use barkaraar rahne do.

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  2. अच्छा ख़याल है!
    बस ख़याल ही ख़याल है!
    ख़याल में ख़ुद ख़याल है!

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  3. Khayal to apka ekdum sahi hai...

    is or kabhi kici ka dhyan nahi gaya...lakin mujhe lagta hai ki ab samay aa gaya hai ki is or bhi dhyan diya jaye...

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  4. नीरज ये एकाधिकार नहीं एक बहुत बड़ा छल है ! आरक्षण मात्र मलाई खाने के लिए है ,12 बोर की गोली और १३५ एम. एम. . की मोर्टार का गोला खाने के लिए नहीं , वाह ! ये प्रश्न एक दिन हम सबको डसेगा !
    Thnx Vineeta and Pritish for sharing the Yaksh Prashn !

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