Friday, 5 June 2009

फिर अलीगढ: धड़ा -धड़ !

from my archives
---------------------- हाल ही मैं मैंने feedjit का वो नायाब मीटर अपने ब्लॉग पे चिपकाया है जो बताता है कि किस पोस्ट को पढ़ा गया. मुझे हैरानी है कि अलीगढ की वो तस्वीरें जिन्हें मैं काफी अरसा हुआ भूल चूका था , अभी तक पाठकों को ला रही हैं . पिछले साल इन्हीं दिनों खेंची गयी इन तस्वीरों में ऐसा क्या है ज़रा बताएं तो ?                                                                           ऐ.ऐम.यू                                                                फैज़ दरवाज़ा : कहाँ गए वो लोग " तो चोरी है , तो डाका है ; ये तो एक धमाका है
 धमाके में आवाज़ भी है , एक सोज़ भी है इक साज़ भी है"
 कहिये शिरिमान ! आपका क्या विचार है ?
 रंग -रोगन का इश्तेहार ? जी नहीं ये है लायब्रेरी
 चली आना तू पान की दूकान पे साढे तीन बजे !
 इक नसीहत :-ज़रिये -- अलीगढ़ रेलवे स्टेशन
 चौक- मस्जिद : रात आठ बजे
 इक नसीहत :ब-ज़रिये -- अलीगढ़ रेलवे स्टेशन                                                         

9 comments:

  1. Photo to vakai kamal ke hai...

    kuchh photo to lajwaab hai jaise - 3, 4, 6, 7, 8...

    ReplyDelete
  2. Aligadh ki badhiya sair karayee hai aapne. Badhai

    ReplyDelete
  3. photo to ekdum chakachak hain
    mazaa aa gaya

    ReplyDelete
  4. इस प्‍यारे शहर की अच्‍छी तस्‍वीरें दिखाने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, मुनीश भाई।

    ReplyDelete
  5. अलीगढ जाने का कभी मौका नही मिला,आपकी तस्वीरों ने कुछ-कुछ सैर करा दी।

    ReplyDelete
  6. मुनीश भाई आपने अलीगढ की यादें ताज़ा करा दी,यूनिवर्सिटी की और तस्वीरें लगाते तो और भी मज़ा आता.मैं खुद अलीगढ का छात्र रहा हूँ इसलिए वहां की खुशबू ढूँढता रहता हूँ.और वो रेलवे स्टेशन के पाकीजा पान भंडार वाली तस्वीर तो बहुत खूब लगाई आपने,ये एक वाहिद पान वाला है जो बरसों पुरानी तस्वीर अभी भी लगाये हुए है.

    ReplyDelete
  7. Majaa aa gaya desi tadke waali shuudhe desi (Ghee) tasveere dekhkar;)

    ReplyDelete