भारत पीर- फकीरों, साधु-संतों और दरवेशों का देश है । हम तो फ़क़त किरायेदार हैं उनके यहाँ । गली-कूचे, टेलिविज़न, रेलगाडी, हवाई जहाज़ और हिमालय पर्वत तक पर उनका बासा है । कहते हैं हिमालय पहाड़ पे आज भी ऐसे बाबा हैं जो सदियों से तपस्या कर रहे हैं । ये भी कहा जाता है की देश तो उनकी साधना से बचा हुआ है वरना हमने तो इसे मटिया-मेट कर डालना था जी । मैं इस कहे में अंध-विश्वास करता हूँ । एक बार गोमुख हिमनद के पास मैंने साढे ६ फ़ुट का ऐसा तपस्वी देखा जिसकी जटाएं उसके पैरों को छू रही थीं और वो बेहद तूफानी इलाके में तपस्या कर रहा था । वो कोई विदेशी जान पड़ता था ..शायद जर्मन। यमुनोत्री मन्दिर के पास एक बाबा हैं जो बर्फ में भी वहीं रहते हैं और गाँव वाले उनसे सलाह लेने आते हैं । गए साल बद्री नाथ से आगे भारत के अन्तिम गाँव को पार किया और शुद्ध शिलाजीत लेने वसुधारा फाल जाना हुआ। हम सबकी हालत खस्ता थी १३ हज़ार फ़ुट पे मगर एक ७० साल का गोरा बाबा ऐसे निकल गया मानो पंख लगे हों । लौटने के वक़्त हमने उनके साथ फोटो भी खिंचवाई । आप भी देख लो । इनमें से कोई बाबा किसी से कुछ मांगता नहीं । हाँ कुछ दे ही डाले तो आपकी किस्मत । मैं ऐसे ही बाबों का मुरीद हूँ । किसी को कोई उज्र ?
हिमालय दर्शन (चित्रोँ मेँ ही सही) आज मय बाबा हो गये - आपकी पोस्ट से ! ' मेरे अन्तर पट पर पडती, इन गिरि शृँगोँ की पडती छाया, साँध्य गुलाबोँ से रँजित है, जिनकी भीषण दुर्गमता, फिर भी मेरे प्राण, पलक पर बैठ अकुलाते, है कैसी ये पागल, ममता " रचना : स्व. पँडित नरेन्द्र शर्मा
asli moti mila blogs ke ghure main se. ye tumahra andh-vishwas nahi balki duniya ki asliyat hai. Baba ke chere ka tej aur shanti dekh kar dil khus ho gaya. keep on.
वाह, आज तो मजा आ गया मयखाने में :)
ReplyDeleteहिमालय दर्शन
ReplyDelete(चित्रोँ मेँ ही सही)
आज मय बाबा हो गये -
आपकी पोस्ट से !
' मेरे अन्तर पट पर पडती,
इन गिरि शृँगोँ की पडती छाया,
साँध्य गुलाबोँ से रँजित है,
जिनकी भीषण दुर्गमता,
फिर भी मेरे प्राण,
पलक पर बैठ अकुलाते,
है कैसी ये पागल, ममता "
रचना : स्व. पँडित नरेन्द्र शर्मा
kitney sundar ye PAHAAD ....
ReplyDeleteबाबा हो तो ऐसा! और घुमक्कड़ी भी हो तो ऐसी ही!
ReplyDeleteविषयान्तर करता हुआ आप को एश्यौर कर रहा हूं कि 'मिशन' पर काम जारी हैगा! थोड़ी सी प्रतीक्षा करें साहब!
Shukriya Dosto! May BABAS bless all!
ReplyDeletephotos to bade mast aaye hain
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
asli moti mila blogs ke ghure main se. ye tumahra andh-vishwas nahi balki duniya ki asliyat hai. Baba ke chere ka tej aur shanti dekh kar dil khus ho gaya.
ReplyDeletekeep on.
thnx nanak ! i've told u many times to accompany me to Badrinath ,but u never took interest. Der aaye durust aaye.coming along this time , i hope!
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