Friday, 3 April 2009
'सरपत': इरफान के दोस्तों की फ़िल्म
इरफान और मेरा न सिर्फ़ धरम अलग है बल्कि डेट ऑफ़ -बर्थ भी अलग है । वो मई की तेरह को पैदा हुआ जबकि मैं चौदह को ! उसकी zen का रंग लाल है जबकी मेरी पर्ल- सिल्वर है । कच्छे-बनियान भी हमारे अलग-अलग कम्पनियों के हैं मगर ..मगर इन सब बुनियादी ना- इत्तेफाकियों के बावजूद एक चीज़ वो भी है जिसके हम दोनों ही आशिक़ हैं । हम दोनों आपस में मिलें और सिनेमा पर बात ना हो ऐसा कम ही होता है । हमने साथ-साथ दो अन्तर-राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह (इफ्फी) कवर किए हैं और कईयों का ऐसा सोचना है के इस समारोह के लिए दिल्ली को फालतू-फंड घोषित करवा के उसे गोवा भिजवाने में हम जैसों का ही हाथ है ! बहरहाल , जो है सो... हाल में हम मिले तो एक शोर्ट फ़िल्म --'सरपत' के नाम से इरफान ने हमें दिखवाई । इत्तेफाक से दूरदर्शन के कुछ पुराने लोग जैसे योग- बत्रा साहब भी वहां मौजूद थे । फ़िल्म सभी को बहुत पसंद आयी । बारह मिनट की इस शानदार फ़िल्म को 'निर्मल आनंद ' वाले अभय तिवारी ने लिखा है , निर्देशित भी किया है और 'अज़दक ' फेम प्रमोद सिंह ने अपने कला निर्देशन से इसमें वो जान डाल दी है जो अक्स़र कोई संदेश देने वाली फिल्मों में डलने से रह जाया करती है । मैं इरफान का करीबी होने के नाते फ़िल्म के फेवर में बायस्ड हो सकता हूँ मगर उन खडूस तकनीशियनों ने भी इसकी तारीफ की जो इस मामले में खासे कंजूस माने जाते हैं । सो, अभय और जेनाब प्रमोद सिंह को मैं बधाई देता हूँ एक बढ़िया कहानी को बढ़िया तरीके से कहने के लिए और बाक़ी तो सब लक्क है जी इस लाइन में ! !
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उन्हें शुभकामनाएं
ReplyDeleteहमारी ओर से भी बधाई।
ReplyDeleteदेखने के लिए क्या करना होगा?
ReplyDeleteअभय इंटरनेट पर रहते हैं, प्रमोद इंटरनेट पर रहते हैं, दोनों को यू-ट्यूब के बारे में पता है कि नहीं? या फिर इसे सिर्फ प्राइवेट व्यू के लिए ही रखा है? अरे, हमें ही भेज दीजिए, हमीं यू-ट्यूब में चढ़ा देंगे. जनता का जरा भला हो जाएगा.
ReplyDeleteravi ji se sahmat
ReplyDeleteहमने भी देखी और हम मुग्ध हुए। अपने कॉलेज के बच्चों को अगले सत्र में दिखाएंगे इसलिए अभय भाई ने हमें एक प्रति भेज दी है। उनका इसमें खूब रोकड़ा लगा है इसलिए बिना उनकी इजाजत के तो यूट्यूब पर तो नहीं चढ़ा सकते वरना एक प्रति हमारे पास है तो..
ReplyDeletedekhna to hum sabhi chaahengey...
ReplyDeleteरवि जी की बातों से मैं भी सहमत हूँ,अब यहां मुम्बई में रहकर भी अगर हम नहीं देख पा रहे तो कम से कम यू ट्यूब पर तो देखा जा सकता है...वैसे अभय जी को मेरी शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteअभय और प्रमोद को फिर से हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteI think dear ones willing to watch this film ,should contact Abhay or Pramod directly. I have deliberately not disclosed the story so that u enjoy it fully!A nice film i must say again.
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